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8th February 2015

‘हिमाचल की आर्थिकी में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान’

हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश के 90 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तथा 70 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं। राज्य के सकल घरेलु उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का लगभग 20 प्रतिशत योगदान है। प्रदेश में 5.43 लाख हैक्टेयर भूमि पर काश्त होती है तथा 80 प्रतिशत क्षेत्र वर्षा पर निर्भर है। कृषि व सम्बन्ध क्षेत्र में 4 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना लागू की गई है। इस योजना में कृषि विभाग के अलावा बागवानी, पशुपालन और मत्स्य विभाग भी शामिल हैं। प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए अनेक योजनाएं व कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं ताकि देश की रीढ़ माने जाने वाले गांव के लोग आर्थिक रूप से और संबल बन सकें। प्रदेश में कृषि विविधिकरण को बढ़ावा देने के उददेश्य से 321 करोड़ रुपये की फसल विविधिकरण प्रोत्साहन योजना, जापान इंटरनेशनल कारपोरेशन एजेंसी (जायका) के सहयोग से लागू की गई है। योजना के अन्तर्गत सिंचाई सुविधाएं किसानों को जैविक खेती, व किसानों के समूह गठित कर सब्जी उत्पादन व विपणन हेतु तकनीकी जानकारी उपलब्ध करवाना तथा सब्जी उत्पादन व फसल विविधिकरण को बढ़ावा देना शामिल है। वर्तमान में यह योजना प्रदेश के पांच जिलों, बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी, कांगड़ा और ऊना में सात वर्षों के लिए कार्यान्वित की जाएगी। योजना के अन्तर्गत 210 लघु सिंचाई योजनाएं, 147 सम्पर्क मार्ग तथा 37 संग्रह केन्द्र बनाए जाएंगे। वर्ष 2014-15 में इस योजना के अन्तर्गत 55 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। गत दो वर्षों के दौरान येाजना के तहत 46.47 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए 111.19 करोड़ रुपये की डा.वाई.एस. परमार किसान स्वरोजगार योजना लागू की है जिसके अन्तर्गत वर्ष 2014-15 से वर्ष 2017-18 तक 4700 पाॅलिहाऊस व 2150 स्प्रींकलर/ड्रिप इकाइयां स्थापित की जाएगी जिन पर किसानों को 85 प्रतिशत तक उपदान उपलब्ध है। योजना के अन्तर्गत 870 पानी के स्रोत्र जैसे लघु, मध्यम उठाऊ व पंपिंग मशीनरी स्थापित करने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत का उपदान दिया जा रहा है। योजना के अन्तर्गत सीमांत किसानों की सामाजिक व आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बांस के पाॅलिहाऊस के निर्माण पर 85 प्रतिशत उपदान भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। योजना के तहत 8.35 लाख वर्ग मीटर संरक्षित खेती के अन्र्तगत तथा 8.20 लाख क्षेत्र सूक्ष्म सिंचाई केे अन्तर्गत लाने का लक्ष्य रखा गया है। योजना के अन्तर्गत इस वर्ष 8 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार ने गत वर्ष से किसानों के लिए महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री आदर्श कृषि गांव योजना आरम्भ की है। जिसके अन्तर्गत हर विधानसभा क्षेत्र की एक चयनित पंचायत के लिए कृषि विकास योजना तैयार की जाएगी तथा कृषि सम्बन्धी अधोसंरचना सृजित करने के लिए इस पंचायत में 10 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। योजना के अन्तर्गत गत दो वर्षों में 7.37 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने की आदर्श परिस्थ्तिियां हैं जिसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 26741 कृषकों को जैविक खेती के लिए पंजीकृत किया जा चुका है तथा 15548 हैक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के अन्तर्गत लाया गया है। प्रदेश सरकार ने इस वर्ष 2000 हैक्टेयर क्षेत्र जैविक खेती के अन्तर्गत लाने का लक्ष्य रखा है जिसके लिए 8.64 करोड़ रुपये की योजना तैयार की गई है। प्रदेश में जैविक प्रमाणीकरण एजेंसी की स्थापना भी की जा रही है। जैविक प्रमाणीकरण के लिए 100 प्रतिशत तथा जैविक विकास के लिए 50 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है। इसके अलावा वर्मी कमपोस्ट यूनिट लगाने के लिए भी 50 प्रतिशत उपदान दिया गया है। प्रदेश सरकार कृषि उत्पादन बढ़ाने व भूमि की उपयोगिता जानने के लिए मिटटी प्रशिक्षण को विशेष ध्यान दे रही है। विभाग द्वारा किसानों को निःशुल्क मिटटी प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। वर्ष 2014-15 में एक लाख मिटटी स्वास्थ्य कार्ड वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश सरकार किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उपलब्ध करवाने के प्रति वचनबद्ध है जिसके लिए कृषि विभाग के 28 बीज गुणन प्रक्षेत्र हैं जहां पर रबी व खरीफ फसलों का आधार बीज तैयार किया जाता है। इन बीज फार्मों में अनाज दालों और सब्जियों का लगभग 3500 से 4000 क्विंटल बीज प्रतिवर्ष तैयार किया जाता है। इसके अतिरिक्त कृषि विभाग द्वारा किसानों को विभिन्न फसलों के 90,000 क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए जाते हैं। प्रदेश सरकार किसानों को खाद पर भी उपदान प्रदान कर रही है। इस वर्ष मिश्रित खादों पर उपदान 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति मिट्रिक टन किया गया है। इसके अलावा घुलनशील खादों पर 25 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जा रहा है। किसानों को उनके उत्पादों के विपणन सुविधा के लिए जगह-जगह छोटे सब्जी संग्रहण केन्द्र और विपणन यार्ड बनाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त वर्तमान सरकार मंडियों व कोल्ड स्टोरों के माध्यम से भी विपणन को बढ़ावा दे रही है। जारीकत्र्ता निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क हिमाचल प्रदेश, शिमला-2.

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