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-11th January 2015

मां-बच्चे के लिए खुशियों की सौगात लेकर आई ‘जननी एक्सपे्रस-102’

‘सच कहूं तो यह गाड़ी माॅं और बच्चे दोनों के लिये एक भरोसेमन्द दोस्त जैसी है, सही अर्थों में खुशियों की लाॅरी है-जननी एक्सपे्रस-102।’ यह केवल इस निःशुल्क सेवा की लाभार्थी रहीं मण्डी जिले की किरण, शिमला जिले की स्वाति, कांगड़ा जिले की कल्पना, या सिर्फ पांवटा साहिब की बबीता का ही कहना नहीं है, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति में प्रदेश की अनेक महिलाओं और परिवारों की भावनाएं समाई हैं, जिनके घर-आंगन जननी एक्सपे्रस खुशियों की ‘डिलीवरी’ लेकर पहुंची है। हिमाचल प्रदेश देश के उन चुनिन्दा राज्यों में से है, जहां प्रदेश सरकार द्वारा संस्थागत प्रजनन को बढ़ावा देने के लिये चलाए जा रहे जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदान की जा रही विभिन्न सेवाओं की कड़ी में जननी एक्सपे्रस-102 जैसी बेहतरीन सेवा आरम्भ की गई है। इस सेवा का लाभ टोल फ्री नम्बर 102 पर फोन कर प्राप्त किया जाता है। प्रदेश में सेवा आरम्भ से अब तक तीन महीने से भी कम की समयावधि में 3500 से अधिक लाभार्थी इस सेवा का लाभ उठा चुकी हैं। प्रदेश सरकार द्वारा 15 नवम्बर, 2014 को जननी-शिशु कार्यक्रम के अन्तर्गत शिमला से इस योजना का शुभारम्भ किया गया था। दरअसल जननी-शिशु कार्यक्रम जननी सुरक्षा योजना की ही एक कड़ी है। जननी सुरक्षा योजना की शुरूआत संस्थागत प्रजनन को बढ़ावा देने के लिये की गई थी, जिससे शिशु जन्म प्रशिक्षित दाई अथवा नर्स या चिकित्सकों द्वारा कराया जा सके और माता एवं नवजात शिशुओं को गर्भ से सम्बन्धित जटिलताओं एवं मृत्यु से बचाया जा सके। इस योजना से संस्थागत जन्म में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन महिलाओं एवं उनके परिवारों को आर्थिक असुविधा रहती थी। खर्चे से बचने के लिये महिलाएं संस्थागत प्रजनन के बजाए घर में प्रजनन कराने के लिये वरियता देती हैं, जिस कारण प्रसव के समय जटिलता होने या रूग्ण नवजात शिशुओं को त्वरित स्वास्थ्य सुविधाएं न मिलने के कारण जीवन के लिये संकट खड़ा हो जाता है। इस समस्या के निवारण के लिये केन्द्र सरकार द्वारा जून 2011 में गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिये जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम आरम्भ किया गया था। इस योजना के अन्तर्गत निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने पर बल दिया गया। हिमाचल में राज्य सरकार ने जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत जननी एक्सपे्रस के नाम से प्रदेश भर में कुल 125 एम्बुलेन्स उपलब्ध करवाई हैं। ये एम्बुलेन्स स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव पर 48 घण्टे संस्थान में बिताने के उपरान्त माता-शिशु को निःशुल्क घर पहुंचाती है। कई संस्थागत प्रजनन के मामलों में माताएं 48 घण्टे अस्पताल में रूकने की इच्छुक नहीं थीं, जबकि प्रसव के बाद पहले 48 घण्टे माता व शिशु दोनों के लिये नाजुक होते हैं। विभाग के अन्य प्रयासों के अतिरिक्त 102 सेवा का लाभ 48 घण्टे के उपरान्त ही मिल पाने की शर्त के साथ इस दिशा में माताओं व उनके परिवारों की अन्निच्छा को इच्छा में तबदील करने में जननी एक्सपे्रस अपनी भूमिका बखुबी निभा रही है। इसके अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं व एक वर्ष आयु तक के शिशुओं को भी निःशुल्क घर पहुंचाने की सुविधा प्रदान की जाती है। योजना के अन्तर्गत कुल 125 एम्बुलेन्स में से छः एम्बुलेन्स बिलासपुर में, 11 चम्बा में, नौ हमीरपुर, 19 कांगड़ा, चार किन्नौर, सात कुल्लू, तीन लाहौल एवं स्पिति, 18 मण्डी, 20 शिमला, 11 सिरमौर, 10 सोलन और सात एम्बुलेन्स ऊना जिला में क्रियाशील हैं। ये एम्बुलेन्स जिला अस्पतालों के अतिरिक्त ऐसे अस्पतालों में भी तैनात की गई हैं जहां पर प्रसव के मामलों की अधिकता रहतीे है। प्रदेश सरकार द्वारा ये सभी एम्बुलेन्स लगभग 6.15 करोड़ रूपये में खरीदी गई हैं, इन्हें सार्वजनिक निजी भागीदारी मोड में संचालित किया जा रहा है। जीवीके-ईएमआरआई को प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के द्वारा सेवा संचालक के तौर पर चिन्हित किया गया है। प्रदेश सरकार प्रदेशवासियों को यह निःशुल्क सेवा उपलब्ध करवाने पर हर महीने प्रति एम्बुलेन्स 41000 रूपये की धनराशि व्यय कर रही है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश सरकार कमला नेहरू अस्पताल व डा. राजेन्द्र प्रसाद चिकित्सा महाविद्यालय टाण्डा में गर्भवती महिलाओं के लिये 50-50 करोड़ रूपये की लागत से सौ-सौ बिस्तरों वाला मातृ-शिशु कक्ष बनवा रही है। नवजात शिशुओं के लिये प्रदेश के 93 प्रसव केन्द्रों में न्यू बोर्न केयर काॅर्नर स्थापित किये गए हैं। इसके अलावा, प्रदेश के दोनों मेडिकल काॅलेजों व जिला अस्पतालों में 33 न्यू नेटल आईसीयू स्थापित किये गए हैं। प्रदेश में मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में अत्यधिक प्रगति हुई है जिसमें और सुधार की गुजाईंश है। जननी एक्सपे्रस-102 इस लक्ष्य को हासिल करने केे लिये संस्थागत प्रजनन को शत-प्रतिशत बनाने व महिलाओं को प्रसव पूर्व व प्रसव के उपरांत कुछ समय अस्पताल में बिताने की प्रवृत्ति विकसित करने की दिशा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही है। जारीकर्ताः निदेशक, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग

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