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1st January 2017

औद्योगीकरण ने खोले रोजगार के द्धार

हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में प्रदूषण-मुक्त, स्थानीय कच्चे माल पर आधारित तथा रोज़गार सृजन की अधिक क्षमता वाले उद्योगों को व्यापक प्रोत्साहन दे रही है। प्रदेश में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम एवं प्रभावी योजना अपनाई जा रही हैं। प्रदेश में ऐसे औद्योगिक क्षेत्र चिन्हित व विकसित किए जा रहे है, जहां अत्याधुनिक अधोसरंचना सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सके।कृषि आर्थिकी पर निर्भर करता है। लेकिन, औद्योगिक विकास राज्य में बेरोज़गारी की समस्या को काफी हद तक कम करने में सहायक है। प्रदेश में औद्योगिकीकरण से न केवल लोगों की आर्थिकी में सुधार आया है, बल्कियुवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हुए हैं।

प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने निमंत्रण से निवेशकी नीति अपनाई है। इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय दल ने मुम्बई,बंगलूरू,अहमदाबाद व दिल्ली में प्रदेश में निवेश आकृषित करने हेतु एमर्जिंग हिमाचलके अंतर्गत इन्वैस्टर मीटका आयोजन किया गया जिसमें प्रतिष्ठित औद्योगिक घरानों के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त, उद्योग विभाग में निवेश प्रोत्साहन प्रकोष्ठका गठन किया गया है।

प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के सुखद परिणाम आए हैं। गत चार वर्षों में प्रदेश में 3659 ओैद्योगिक इकाईयाॅं स्थापित हुई जिसमें 3581.48 करोड़ का पूंजी निवेश हुआ व 48422 लोगों को रोजगार मिला है। इसके अतिरिक्त एकल खिड़की प्रणाली के अन्तर्गत गत चार वर्षों में 283 परियोजनाओं को अनुमोदित किया गया, जिनमें 13262.27 करोड़ के पूंजी निवेश के साथ लगभग 26680 व्यक्तियों को राजगार मिलने की सम्भावना है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के बेहतर कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप युवाओं को 7054 रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। इसके अन्तर्गत युवाओं को अपने स्वरोजगार के अवसर आरम्भ करने के लिए 23.93 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं।

निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रदेश के ऊना, कांगड़ा तथा सोलन जिलों में तीन अत्याधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों में निवेशकों को सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। कांगड़ा ज़िला के कंदरौड़ी में 88.05 करोड़ रुपये व्यय कर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है, जबकि ऊना ज़िले के पंडोगा में 95.77 करोड़ रुपये की लागत से औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है।

जिला सोलन के बददी में 100 बीघा भूमि पर भटोलीकलां गांव में 102 करोड़ रूपये की लागत से टैक्नोलाॅजी केन्द्र की स्थापना की जा रही है। इससे लघु, सुक्ष्म व मध्यम उद्योग को तकनीकी सहायता एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध होंगी।प्रदेश से निर्यात प्रोत्साहित करने के लिए बदद्ी में कन्टेनर पार्किंग सुविधा हेतु कुल 14.42 करोड़ की लागत से इनलैंड कन्टेनर डिपू का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, बददी में  10.81 करोड़ रुपये की लागत से व्यापार केन्द्र तथा 26.89 करोड़ रुपये की लागत से वेयर हाउस का निर्माण किया गया है। इसी प्रकार सोलन जिले के नालागढ़ में 2.11 करोड़ रुपये की लागत से एक काॅमन फैसिलिटी केन्द्र का निर्माण भी किया गया है।

बददी में औद्योगिक कचरे के सुरक्षित प्रबंधन व निपटारे हेतु 53.80 करोड़़ रुपये की लागत से कचरा प्रबन्धन संयंत्र स्थापित किया गया है, जिसकी क्षमता 25 एम.एल.डी. है। संयत्र ने प्रभावी ढंग से कार्य करना आरम्भ कर दिया है। बददी में औद्योगिक श्रमिकों व बेरोज़गार युवाओं के कौशल विकास व संवर्धन हेतु 8.10 करोड़ रुपये कल लागत से कौशल विकास केन्द्र की स्थापना की गई है। इसके अलावा, बददी में 12 करोड़ रुपये की लागत से कामकाजी पुरूष छात्रावास तथा ऊना जिले के बाथु में 4.46 करोड़ रुपये की लागत से लेबर होस्टल का निर्माण किया गया है।

प्रदेश सरकार द्वारा उद्यमियों को रियायती दरो पर बिजली मुहैया कराने के उदेश्य से निर्धारित एक्सट्रा हाई टैंशन (ईएचटी) श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए विद्युत शुल्क को वर्तमान 17 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत करने की, ईएचटी श्रेणी को छोड़कर, वर्तमान में स्थापित मध्यम तथा बड़े उद्योगों के लिए विद्युत शुल्क को वर्तमान दर को 15-17 प्रतिशत से घटाकर 11 प्रतिशत करने की, लघु उद्योगों के लिए विद्युत शुल्क को वर्तमान दर को 9 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत तथा नए उद्योगों के लिए 5 वर्षाें तक केवल एक प्रतिशत की दर से विद्युत शुल्क के भुगतान की घोषणा की गई है। ईएचटी श्रेणी सहित किसी भी नये उद्योग, जो 300 से अधिक हिमाचलियों को रोज़गार प्रदान कर रहा है, से 5 वर्षाें तक केवल एक प्रतिशत की दर से विद्युत शुल्क वसूला जा रहा है। इसके अतिरिक्त, नये निवेश पर उद्यमियों से सेल डीड व लीज डीडपर स्टाॅंप ड्यूटी में 50 प्रतिशत की छूट दी गई है।

प्रदेश सरकार ने उद्यमियों की सुविधा के लिए तथा राज्य में नवाचार उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री स्र्टाट-अप योजनाका शुभारम्भ किया गया है। इसके अन्तर्गत, प्रदेश में सभी नए उद्यमों को केवल स्वःस्त्यापित दस्तावेज आॅनलाईन अथवा व्यक्तिगत रूप से जमा करवाने होंगे। यही नहीं, 100 हिमाचलियों को रोजगार प्रदान करने वाले उद्योगों को औद्योगिक क्षेत्रों में नियायती दरों पर भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी।

सामान्यतः यह पाया गया है कि अधिकांश रोजगार 25 लाख रुपये के निवेश वाले सूक्षम उद्योगों द्वारा प्रदान किया जाता है। अतः राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि कम से कम 5 लोगों को रोजगार प्रदान करने वाली ऐसी सभी छोटी औद्योगिक इकाईयों को जिन्होंने 10 लाख रुपये तक का ऋण लिया है, को तीन वर्षों के लिए ब्याज पर 4 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि नए उद्योगों को भूमि के पंजीकरण के लिए केवल तीन प्रतिशत की दर से स्टाॅंप शुल्क वसूला जाएगा।

प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से हिमाचल प्रदेश तेजी से निवेशकों का पसंदीदा निवेश स्थल बन कर उभरा है, जिससे न केवल प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है, बल्कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार के अवसर भी खुले हैं।

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