हिमालय की पर्वतीय मालाओं में बसा हिमाचल प्रदेश अपने बर्फ से ढके पहाड़ों, शीत जलवायु, हरी-भरी घाटियों और आतिथ्य सत्कार प्रिय लोगों के लिए प्रसिद्ध है। राज्य की अपार सौंदर्यता विश्व के विभिन्न भागों के फिल्म निर्माताओं को प्रदेश में शूटिंग के लिए आकर्षित करती है। इसका श्रेय यहां के सुन्दर पर्वतीय शहरों, आश्रयो, ट्रैकिंग, पर्वतारोहण व स्कीईंग जैसी अन्य गतिविधियों को जाता है। हिमाचल में शिमला, मण्डी, धर्मशाला, रोहतांग, नग्गर आदि कई मनमोहक स्थल है।
हिमाचल प्रदेश में विभिन्न फिल्मों की शूटिंग की गई है जैसे अनबे वा, बद्रीनाथ, बैंग बैंग, ब्लैक, देव डी, अन्थीरन, हाईवे, जब वी मेट, लायर्स डाईस, लुटेरा, लव इन शिमला, राजः द मिस्ट्री कन्टीन्यूस, रानी पदमीनी, रोजा, शिप ऑफ थिसियस, यंग मलंग। फिल्म निर्माता राज्य के सौंदर्य से बेहद प्रभावित हैं तथा उन्हें आश्चर्य होता है कि भारतीय लोग मनाली जैसे स्थलों को छोड़कर छुट्टियां मनाने विदेश क्यों जाते हैं।
राज्य सरकार भी प्रदेश में निर्माताओं की शूटिंग में मद्द के माध्यम से फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहित करने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। निर्माताओं की सहायता के लिए एक सिंगल विंडो क्लीयरेंस प्रणाली स्थापित की गई है ताकि शूटिंग की अनुमति, भवनों से सम्बन्धि अनुमति, कानूनी व्यवस्था सम्बन्धित मामलों व उपकरणों की आवाजाही की अनुमति शीघ्र प्राप्त की जा सके। सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग को राज्य में फिल्मों की शूटिंग से सम्बन्धित अनुमतियों को जारी करने के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।
पर्यटन विभाग को भी विभिन्न अनुमतियों के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है। प्रदेश में फिल्मों की शूटिंग को प्रोत्साहन व सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से नोडल अधिकारियों को भी नियुक्त किया गया है। राज्य के सहयोग से विदेशी फिल्म निर्माताओं के लिए परिचय यात्राओं की सुविधा भी प्रदान की जा सकती है। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहित करने के नजरिये से फिल्म स्टूडियों की स्थापना की संभावनाओं को भी जांच रही है।
स्वस्थ मनोरंजन के स्रोत के अतिरिक्त, सिनेमा आय व रोजगार सृजनता की अपार संभावनाएं भी प्रदान करता है। इसके मद्देनजर प्रदेश में सिनेमाघरों की स्थापना व प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा एकल सिनेमाघरों को मल्टीपलेक्सिस में परिवर्तित करने के लिए प्रक्रियाओं व अनुमतियों को सरल किया गया है। प्रशासन द्वारा शूटिंग को नुक्सान से बचाने के लिए बीमा की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
देश की समृद्ध फिल्मी धरोहर के संरक्षण व भावी पीढ़ियों के लिए इन्हें उपलब्ध करवाने हेतु राष्ट्रीय फिल्म धरोहर अभियान आरम्भ किया गया है। इसका उद्देश्य फीचर फिल्मों व लघु फिल्मों का डिजिटलकरण व सरंक्षण करना है। राज्य सरकार ऐतिहासिक फुटेज, राजसी व राजनीतिक परिवारों द्वारा संरक्षित वृत्तचित्र तथा इस प्रकार के अन्य फिल्मांकित पल जो हमारी फिल्मी धरोहर में बढ़ौतरी करे, को अर्जित व संग्रहित करने की सुविधा प्रदान करेगी। राज्य भविष्य में सभी उपलब्ध फिल्मी सामग्री की खोज कर, इन्हें राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार के कोष में संरक्षण व संग्रहण के लिए भी जमा करेगा।
राज्य सरकार शिमला, कुल्लू व धर्मशाला में स्थित हवाई पट्टिकाओं के विस्तार व स्तरोन्नयन पर भी विचार कर रही है ताकि यहां नियमित उड़ानों का संचालन हो सके। इससे फिल्मों के निर्माण में अतिरिक्त सुविधा प्राप्त होगी तथा राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। अगर फिल्म निर्माता सरकारी आवास, परिवहन व उपकरण जैसी सुविधाओं का प्रयोग करना चाहते हैं तो उन्हें अतिरिक्त सुविधाएं व छूट भी प्रदान की जा सकती है।
स्वास्थ्यप्रद पर्यावरण के अलावा प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर जो विशिष्ट तौर पर हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई तथा बौद्ध जीवन शैली व परम्पराएं भी सभी का ध्यान आकर्षित करती हैं। राज्य में फिल्मी मीडिया को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से फिल्म महोत्सवों व अन्य फिल्म सम्बन्धित गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।
राज्य को फिल्मी गंतव्य के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे फिल्म पर्यटन को प्रोत्साहन के अलावा राजस्व भी अर्जित होगा। इसके अतिरिक्त दूरगामी व अल्प-विकसित क्षेत्रों में रोजगार भी सृजित होगा। प्रदेश के युवा व प्रतिभाशाली स्नातक न केवल रोजगार के अवसरों बल्कि व्यवाहारिक अनुभव प्राप्त करने के भी अभिलाषी हैं। मण्डी जिला जहां प्रदेश का एकमात्र अभिनय संस्थान है, कलाकारों व अभिनयकारों की राजधानी कहलाता है।