नशाखोरी समूचे देश में एक गंभीर सामाजिक समस्या के रूप में विद्यमान है। नशे की गिरफ्त में आ चुके हजारों लोगों का जीवन इसके आदी होने के कारण बर्वाद हो रहा है। नशे के कारण अपराधों में वृद्धि की घटनाओं से इन्कार नहीं किया जा सकता। नशा एक बडे़ लाभ वाला व्यावसाय बन चुका है। नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार से आपराधिक घटनाओं का सीधा संबंध है। हाल ही के कुछ वर्षों में नशाखोरी को एक विचित्र समस्या के तौर पर देखा गया है, जो अब विश्वभर में लोगों को अपनी चपेट में ले रही है।
हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में व्याप्त नशाखोरी की समस्या से निपटने के लिये कृतसंकल्प है तथा इस दिशा में अनेक प्रभावी कदम उठाए गए हैं। वनस्पति से तैयार किये जा रहे कुछ विशेष नशों जिनमें मुख्यतः चरस व अफीम शामिल हैं, पर ध्यान देना राज्य सरकार की नशा विरोधी कार्यनीति का एक मुख्य हिस्सा है। राज्य सरकार इन नशीले पौधों की खेती करने वालों से सख्ती से निपट रही है और साथ ही इन पौधों को नष्ट करने के लिये प्रभावी पग उठा रही है।
हिमाचल को भांग व अफीम मुक्त राज्य बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में पहले ही 22 अगस्त से 5 सितम्बर, 2016 तक भांग व अफीम की खेती को पूरी तरह से नष्ट करने के लिये एक विशेष अभियान चलाया गया है। अभियान के दौरान ग्राम पंचायतों, वन, लोक निर्माण, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य, कृषि, बागवानी विभागों की भूमि व सड़कों के किनारों सहित सभी प्रकार की भूमि से भांग व अफीम की खेती को जड़ से समाप्त किया जा रहा है। एसएसबी को भी ऊंचे व दूरवर्ती क्षेत्रों में भांग व अफीम की खेती को नष्ट करने के लिये शामिल किया गया है। यह अभियान समूचे राज्य में चलाया गया है और शिमला, मण्डी, कुल्लू तथा कांगड़ा जिलों में प्रभावी रूप से चलाया गया है। अभियान के दौरान राज्य सरकार ने अभी तक 1527.05 हेक्टेयर भूमि से भांग अथवा अफीम के 1,88,50,152 पौधों को उखाड़ा है तथा 1,64,98,175 पौधों का निराकरण किया है।
राज्य सरकार के नशीले पदार्थों पर अंकुश के प्रयास काफी हद तक सफल हुए हैं। इन्ही प्रयासों के चलते हि.प्र. पुलिस विभाग ने अभी तक 19157.2 बीघा सरकारी भूमि तथा 6040.57 बीघा निजी भूमि से भांग के पौधे नष्ट किए हैं। इसके अतिरिक्त, 76093 बीघा भूमि से पोस्त दाना के पौधों को भी नष्ट किया गया है। राज्य पुलिस की नशीले पदार्थों को समाप्त करने की पहल के अन्तर्गत अभी तक राज्य में 266.25 किलोग्राम भांग तथा इसके उत्पाद, 2385 किलोग्राम अफीम, 104538 नशीली गोलियां एवं कैप्सूल तथा 1967 कोडिन एवं कॉरेक्स की बोतलें बरामद की हैं।
प्रदेश सरकार नशा निवारण अभियान को और मजबूती प्रदान करने पर बल दे रही है। राज्य पुलिस ने नशीले पदार्थों से जुड़े पौधों को उखाड़ने के लिए कांगड़ा जिला के नूरपुर तथा डमटाल क्षेत्रों में मई, 2016 से एक विशेष अभियान आरम्भ किया है तथा इसके लिए एक अतिरिक्त बटालियन तैनात की गई है। विशेष अभियान के दौरान वर्ष 2016 में अभी तक एनडीपीएस अधिनियम के अन्तर्गत 119 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी अवधि के दौरान एनडीपीएस के अन्तर्गत 27 मामलों में वित्तीय छानबीन की गई है।
राज्य सरकार के नशा निवारण प्रयासों के अन्तर्गत राज्य पुलिस एनडीपीएस मामलों का पता लगाने के लिए समय-समय पर विशेष अभियान चला रही है। युवाओं को नशीले पदार्थों के सेवन से बचाने के लिए सामुदायिक पुलिस योजना के अन्तर्गत नारकोटिक सैल, पुलिस अधीक्षकों तथा सीआईडी की फील्ड इकाइयों द्वारा समय-समय पर स्कूलों तथा कालेजों में विशेष जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। राज्य पुलिस प्रत्येक वर्ष नशा निवारण के अन्तर्गत एक लघु मैराथन का आयोजन भी करती है।
राज्य में नारकोटिक सैल को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने जिलों में नशीली दवाओं एवं नशीले पदार्थों के भण्डारण के लिए राज्य पुलिस को एक करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है, जिसे सभी जिलों में समान रूप से वितरित किया गया है।
प्रदेश सरकार न केवल नशीले पदार्थों के उत्पादन पर रोक लगाने के लिए दृढ़ संकल्प है, बल्कि नशे की आदत से जूझ रहे लोगों को सहायता उपलब्ध करवाने का कार्य भी कर रही है। नशाखोरी की आदत से निजात दिलाने के लिए प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा नशामुक्ति कार्यक्रम आरम्भ किया गया है और एक मुख्य घटक राष्ट्रीय किशोर कार्यक्रम आरम्भ किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत प्रदेश के सभी क्षेत्रीय तथा आंचलिक अस्पतालों में नशामुक्ति केन्द्र खोले गए हैं। इन सभी केन्द्रों में एक क्लीनिकल मनोविज्ञानी तथा एक चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ता नियुक्त किया गया है। इन मनोविज्ञानियों तथा चिकित्सा सामाजिक कार्यकर्ताओं को इस कार्य के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं मस्तिष्क विज्ञान राष्ट्रीय संस्थान, बैंगलुरू में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। ये परामर्शदाता आईइसी गतिविधियों के लिए विभिन्न संस्थानों में महीने में चार फील्ड दौरे करते हैं।
राज्य सरकार के समाज से नशे जैसी बुराई को जड़ से समाप्त करने के प्रयासों को सार्थक बनाने के लिये पंचायती राज संस्थानों, स्वयं सेवी संस्थाओं, बुद्धिजीवियों तथा आम लोगों का सहयोग अपेक्षित है।