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26th June 2016

हिमाचल में उन्नति एवं खुशहाली के नए युग का सूत्रपात

पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश में पिछले साढे़ तीन वर्ष का कार्यकाल अभूतपूर्व उन्नति एवं विकास का गवाह बना है। राज्य सरकार ने उत्तरदायी एवं पारदर्शी शासन देने के साथ-साथ राज्य के सभी क्षेत्रों का तीव्र एवं सर्वांगीण विकास भी सुनिश्चित बनाया है। वीरभद्र सिंह सरकार के अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि आज हिमाचल प्रदेश सतत् विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सेवा, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, स्वरोजगार सृजन, स्थूल आर्थिकी व वृहद् निवेश में आज राज्य अग्रणी बनकर उभरा है, जिससे लोगों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में आशातीत बदलाव आया है।
राज्य ने स्थानीय लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य सहित सभी बड़े क्षेत्रों में एक मजबूत नींव रखी है। इसके अतिरिक्त, सभी घरों का पेयजल व शत-प्रतिशत् विद्युतीकरण के लक्ष्य को भी हासिल किया है। 
शिक्षा क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश दूसरे राज्यों के लिए एक आदर्श बनकर उभरा है। राज्य की साक्षरता दर 88 प्रतिशत तक पहुंच गई है और प्रारम्भिक शिक्षा में प्रवेश शत-प्रतिशत हो चुका है। अब राज्य अपने लक्ष्य के अनुरूप वर्ष 2017 तक माध्यमिक शिक्षा का सार्वभौमिकरण हासिल करने की ओर अग्रसर है। विद्यार्थियों, विशेषकर लड़कियों को घर-द्धार के समीप गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए दूर-दराज़ एवं ग्रामीण क्षेत्रों में एक हजार से अधिक नई पाठशालाएं तथा 29 राजकीय महाविद्यालय खोले हैं। इसके अतिरिक्त, दौरान 21 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और 2 इंजीनियरिंग कालेज भी खोले गए। 
स्वास्थ्य क्षेत्र सरकार की तीन शीर्ष तीन सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान 135 से अधिक नए स्वास्थ्य केन्द्र खोले अथवा स्तरोन्नत किए गए। इसके अलावा, विशेषज्ञ चिकित्सकों के 60 पद और सामान्य डियूटी अधिकारियों के 550 पद भरे गए हैं। राज्य में एम्स, नई दिल्ली के सहयोग से पहली बार पायलट आधार पर टैली स्ट्रोक प्रबन्धन कार्यक्रम आरम्भ किया गया है। 
आईजीएमसी शिमला तथा डा. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल टांडा को सुपरस्पैशियलिटी चिकित्सा संस्थानों के रूप में विकसित किया जा रहा है और राज्य में शीघ्र ही तीन नए मेडिकल कालेज और एक एम्स भी खोला जा रहा है।
सरकार के प्रयासों से हिमाचल प्रदेश औद्योगिक गतिविधियों से गुलजार हुआ है। औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने के लिए ‘निमंत्रण से उद्योग’ की नीति अपनाई गई है। औद्योगिक प्रस्तावों को समयबद्ध स्वीकृति प्रदान करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकार ने राज्य में औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के लिए स्वीकृति प्राप्त करने के उद्देश्य से सामान्य आवेदन प्रक्रिया अपनाई है। आवेदन पत्र प्राप्त होने की तिथि से 45 दिनों के भीतर स्वीकृतियां प्रदान की जा रही हैं। इस अवधि 12572 करोड़ रुपये के निवेश की 247 औद्योगिक इकाईयां स्वीकृत की गई हैं, जिनमें 24760 युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
इसी दौरान राज्य में 1415 किलोमीटर नई सड़कों व 134 पुलों का निर्माण कर 255 गांवों को सड़क सुविधा प्रदान की गई। आज राज्य में कुल 36,759 किलोमीटर लम्बी सड़कों का जाल बिछ चुका है। 
सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर बिजली उपलब्ध करवाने के लिए अनुदान पर सालाना 996 करोड़ रुपये व्यय कर रही है, जबकि कृषि व घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली पर अनुदान प्रदान करने के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान 410 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। घरेलू उपभोक्ताओं को 10 एलईडी बल्व तथा गैर घरेलू उपभोक्ताओं को रियायती दरों पर 15 एलईडी बल्व वितरित किए गए हैं। 
कृषि एवं बागवानी राज्य के लोगों की मुख्य आर्थिकी हैं और इन क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस पहल की गई है। कृषि में विविधता लाने के लिए जापान अन्तरराष्ट्रीय सहयोग अभिकरण की सहायता से 321 करोड़ रुपये की हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण परियोजना कार्यान्वित की जा रही है। इस परियोजना से किसानों को सिंचाई सुविधाएं एवं उनके खेतों तक सम्पर्क मार्गों का निर्माण, जैविक उत्पादों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सब्जी उत्पादन एवं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से विपणन की सुविधाएं जुटाई जा रही हैं तथा तकनीकी जानकारी प्रदान की जा रही है। 
राज्य में फसल विविधिकरण, बे-मौसमी सब्जी उत्पादन, बुनियादी सुविधाओं का विकास, पाॅलीहाऊस एवं लघु सिंचाई योजनाओं के निर्माण के लिए 111.19 करोड़ रुपये की ‘डा. वाई.एस. परमार किसान स्वरोजगार योजना’ भी कार्यान्वित की गई है। किसानों को पाॅलीहाऊसों के निर्माण, टपक सिंचाई एवं स्प्रिंकलर्ज के लिए 85 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जा रहा है।
राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पैंशन बढ़ाकर 650 रुपये प्रतिमाह की है और 80 वर्ष से अधिक की आयु के व्यक्तियों को 1100 रुपये प्रतिमाह पैंशन प्रदान की जा रही है। खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए राजीव गांधी अन्न योजना के तहत राज्य के 37 लाख लोगों को शामिल किया गया है जिन्हें दो रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं और 3 रुपये प्रति किलो की दर से चावल प्रदान किए जा रहे हैं। गरीबी रेखा से नीचे के सभी परिवारों को उपदान दरों पर 35 किलोग्राम राशन हर महीने उपलब्ध करवाया जा रहा है।
मजदूरों की दिहाड़ी को 150 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये किया गया है और गरीब लोगों के लिए गृह अनुदान की राशि 48,500 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये की है। पात्र बेघर लोगों को घर बनाने के लिए शहरी क्षेत्रों में दो विस्वा, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि प्रदान की जा रही है।
 

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