Feature
   

8th May 2016

नील क्रान्ति की ओर अग्रसर हिमाचल प्रदेश

प्रदेश सरकार मछली उत्पादन के समुचित दोहन की दिशा में कारगर प्रयास कर रही है। कृषि एवं बागवानी के साथ मछली व्यवसाय लोगों की आर्थिकी को मजबूत बनाने में अतिरिक्त साधन के रूप में विकसित हो रहा है। प्रदेश में मत्स्य विभाग का मुख्य उदेश्य राज्य के विभिन्न जलाश्यों एवं मत्स्य स्त्रोतों में ‘मछली उत्पादन’ बढ़ाना है। मछली एक प्रोटीनयुक्त आहार होने के साथ खाद्य-सुरक्षा, गरीबी-उन्मूलन व स्वरोज़गार के साधन उपलब्ध करवाने में अहम् भूमिका अदा कर रहा है।
 प्रदेश के मछली उत्पादन में 9.2 प्रतिशत की बढ़ौतरी
प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य में कुल 11798.72 मीट्रिक टन मछली का रिकार्ड उत्पादन हुआ जो वर्ष 2014-15 के मुकाबले 1062.61 मीट्रिक टन अधिक है और इस प्रकार उत्पादन में 9.24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। मछली के रिकार्ड उत्पादन के चलते प्रदेश में 109.80 करोड़ रुपये का आर्थिक कारोबार संभव हुआ है। राज्य में वर्ष 2015-16 के दौरान 417.23 मीट्रिक टन ट्राउट मछली की पैदावार हुई, जो वर्ष 2014-15 के मुकावले 61 मीट्रिक टन अधिक है। पूर्व की भांति गोविंदसागर जलाशय ने राष्ट्र के बड़े जलाशयों में प्रति हैक्टेयर सर्वाधिक मछली उत्पादन का रिकार्ड बरकरार रखा है। मत्स्य विभाग ने वर्ष 2015-16 में कुल 465.59 लाख रुपये का राजस्व अर्जित किया। 
मछली बीज मत्स्य उत्पादन बढ़ाने का एक मुख्य घटक है, इसके तहत गत वर्ष प्रदेश में 581.73 लाख कार्प बीज तथा 17.50 लाख ट्राउट बीज का उत्पादन हुआ जो वर्ष 2014-15 की तुलना में क्रमशः 335.74 लाख व 6.39 लाख अधिक है। यह उपलब्धि सरकार के प्रयासों से निजी क्षेत्र के मछली पालकों को मछली बीज उत्पादन क्षेत्र से जोड़ने से संभव हो पाई है। निजी क्षेत्र में मछली बीज व मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के उदेश्य से प्रदेश में तीन कार्प हैचरियां, पांच हैक्टेयर के नर्सरी तालाब व 29 हैक्टेयर के बड़े मछली तालाब, दो मत्स्य आहार संयत्र, मत्स्य फार्म देवली (ऊना) व सुलतानपुर (चंबा) में स्थापित किये गये हैं। इसके अतिरिक्त, दो नई मत्स्य पालक सहकारी सभाओं का पंजीकरण कर उनके माध्यम से मछली दोहन के उपरांत उसके सही रख-रखाव व मूल्यवर्धक उत्पाद बनाने के लिए संयत्र व बर्फ के कारखाने भी स्थापित करवाए जा रहे हैं। पिछले वर्ष ट्राउट मछली के आखेट का आनंद उठाने के लिए 2400 तथा महाशीर मछली के आखेट के लिए 1258 ‘ऐंगलर’ प्रदेश में आए।
प्रदेश के जलाशयों में मछली के रख-रखाव के लिए सरकार द्वारा ‘शीत कड़ी’ (‘कोल्ड-चेन’) प्रदेश में आरंभ की गई जिसके अंतर्गत मत्स्य आवतरण केन्द्र भवनों का आधुनिकीकरण, बर्फ के कारखानों की स्थापना तथा सभी मछुआरों व मत्स्य सहकारी सभाओं को ‘इंसुलेटिड बाॅक्सज’ का निःशुल्क वितरण किया गया। इसके परिणामस्वरूप मछुआरों द्वारा पकड़ी जाने वाली मछली के मूल्यों में अपार वृद्वि हुई है। प्रयोगात्मक आधार पर प्रदेश के गोविंदसागर एवं पौंग जलाशयों में 4-4 पिंजरों का एक सैट स्थापित कर एक नई मछली प्रजाति ‘पंैगाशियुच्छी’ का पालन ‘केज ॅिफश कल्चर’ योजना के अन्तर्गत आरंभ किया गया है।
मत्स्य विभाग राज्य में मत्स्य विकास के लिये नवीन वैज्ञानिक तरीकों को अपना रहा है। गत वर्ष बिलासपुर में ‘नैशनल वर्कशाप आॅन डिवल्पमेंट आफ फिशरीज विज-ए-विज-ब्लू रिवोलूशन एण्ड वैल्यू एडीशन’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिससे विभाग को वैज्ञानिक ढंग से मछली उत्पादन करने का मार्गदर्शन मिला। मछली उत्पादन में सरकार के इन्हीं सघन प्रयासों के चलते प्रदेश मत्स्य विभाग को वर्ष 2015-16 में केन्द्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा ‘बैेस्ट इनलैंड फिशरीज रिज़रवायर कैटगरी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 
स्वरोज़गार के साधन के रूप में विकसित हो रहा है मत्स्य उत्पादन 
सरकार के दिशा-निर्देशों में मत्स्य विभाग ने प्रदेश में मछली पालन के विकास के लिए कई नई योजनाएं कार्यान्वित की हैं जिनमें जलाशयों में ‘शीतकड़ी’ की स्थापना, आदर्श मछुआरा-गांव आवास योजना, ‘एक्वाकल्चर डिवेल्पमेंट थ्रू इन्टैग्रेटिड-अप्रोच’, ‘मोबाईल फिश मार्किंिटंग’ शामिल हैं। साथ ही मछली दोहन के उपरांत इसके सही रख-रखाव व मूल्य-वर्धक उत्पादों को तैयार करने के लिए नए संयंत्र स्थापित कर विभाग ने मछली उत्पादन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किये हैं। इसके अतिरिक्त, समस्त विभागीय मत्स्य बीज फार्मों के विस्तारीकरण, आधुनिकीकरण व नए फार्मों के निर्माण से मछली बीज उत्पादन में बढौतरी के चलते प्रदेश में एक सशक्त नील क्रांति आई है। 
मण्डी जिले के जोगिन्द्रनगर में विभाग द्वारा ‘मछियाल’ महाशीर मछली बीज फार्म तथा कुल्लू जिले के बंजार में ‘हामनी’ ट्राउट फार्मों को इस वर्ष से चालू करने के हर संभव प्रयास जारी हैं। प्रदेश की ‘सुनहरी महाशीर’ मछली के प्रजनन हेतु मछियाल फार्म पर विभाग द्वारा परिपक्व मछली तैयार की  गई है तथा इस प्रजाति की मछली का प्रजनन करवाने के लिए विभाग विशेषज्ञ महाशीर डा. एस.एन. ओग्ले की सेवाएं ले रहा है, जिनकी मदद से इस वर्ष के अन्त तक इस तकनीक के इजाद होने की पूरी संभावना है। इस तकनीक के शुरु होने से मछली उत्पादन के क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात होगा। प्रदेश सरकार के मार्गदर्शन में विभाग कड़ी मेहनत कर नई उपलब्धियां हासिल करने के लिये निरन्तर प्रयासरत है।
 
 

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10512217

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox