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21th February 2016

एचआरटीसी सुनिश्चित बना रहा सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा सुविधा

21.02.2016

एचआरटीसी सुनिश्चित बना रहा सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा सुविधा
पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश की विषय भौगोलिक स्थितियों के मद्देनजर हिमाचल प्रदेश सरकार दूर-दराज़ के क्षेत्रों तक लोगों को आधुनिक परिवहन सुविधाएं प्रदान करने पर विशेष बल दे रही है। प्रदेश में परिवहन का एकमात्र साधन भूतल परिवहन हैए इसलिए राज्य सरकार यात्रियों को सुरक्षित एवं आरामदायक यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप् परिवहन सेवाओं का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। आधुनिक सुविधायुक्त कई बसें परिवहन निगम के बेड़े में शामिल की गईं हैं और कार्यशालाओं में उचित सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर बस नए अड्डों का निर्माण तथा वर्तमान बस अड््डों का स्तरोन्यन व आधुनिकीकरण किया जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश के गठन के उपरांत प्रदेश में सड़क नेटवर्क को सुदृढ़़ करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और आज प्रदेश में हजारों किलोमीटर लम्बी सड़कों का जाल बिछ चुका है। पथ परिवहन निगम के पास आज 2655 बसों का बेड़ा है और प्रदेश भर में 2400 रूटों पर बसें चल रहीं है। मैंदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों के सड़क मार्गों पर समुद्रतल से 16 हजार फुट तक की ऊंचाई पर भी निगम की बसें अपनी सेवाएं दे रहीं हैं। चंूकि पहाड़ी एवं दुर्गम क्षेत्रों में बय चलाना एक चुनौतिपूर्ण कार्य है इसलिए चालकों की कार्य क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
हिमाचल पथ परिवहन निगम में कार्यरत चालकों और तकनीकी कर्मचारियों की कार्य कुशलता बढ़ाने के लिए अनेक पग उठाए जा रहे हैं। शिमला शहर में पायलट परियेाजना के आधार पर कैश लैस टिकट प्रणाली आरम्भ की गई है। प्रति वर्ष बेहतर माइलेज देने वाले चालकों एवं परिचालकों को एक-एक लाख रुपये के प्रोत्साहन पुरस्कार का प्रावधान किया गया है। इसी तरह, बसों के संचालन की लागत में कटौती लाने वाले तकनीकी कर्मचारियों के लिए भी एक लाख रुपये के पुरस्कार प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।
यात्रियों की सुरक्षा सरकार की विशेष प्राथमिकता है जिसे सुनिश्चित बनाने के लिए चालकों को नियुक्ति के समय विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है और दुर्घटना की स्थिति में उनके विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है। बसों में सीडी प्लेयर व बड़े आकार के शीशे लगाने पर पाबंदी लगाई गई है। नशे की स्थिति में कोई चालक वाहन न चलाएं, इसके लिए डयूटी के दौरान उनकी जांच की जाती है। समय-समय पर चालकों की चिकित्सीय जांच को भी अनिवार्य बनाया गया है। सड़क जांच समिति द्वारा बसों को चलने योग्य घोषित करने के उपरांत ही सड़कों पर उतारा जाता है। विभिन्न बस अड्डों पर सीसीटीवी कैमरा स्थापित किए गए हैं और चरणबद्ध तरीके से सभी बस अड्डों पर इन कैमरों की सुविधा दी जा रही है।
वोल्वो और अन्य लग्जरी बसों में भी सीसीटीवी स्थापित करने की प्रक्रिया आरम्भ की गई है। उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नम्बर 94180-00529 तथा 98050-00529 आरम्भ किया गया है जिन पर निगम व निजी बसों से सम्बन्धित 50 से 60 काॅल प्रतिदिन प्राप्त हो रही हैं।
गत तीन वर्षों के दौरान निगम के बेड़े में 1300 नई बसें शामिल की गई और 316 और बसें, जिन में 16 लग्जरी बसें भी शामिल हैं, और शामिल की जाएंगी। इसी दौरान 365 नए रूट भी आरम्भ किए गए हैं और बसों को जीपीएस, सीसीटीवी व यात्री सूचना प्रणाली से सुसज्जित किया गया है। सरकार प्रदेश के प्रमुख धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों को लग्जरी बस सेवाओं से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। शिमला, दिल्ली, मनाली, चम्बा, धर्मशाला, कांगड़ा, बैजनाथ, पालमपुर, मैकलोडगंज, हमीरपुर, हरिद्वार और चंडीगढ़ में सभी प्रकार की बसों के लिए आॅनलाइन बुकिंग सेवा आरम्भ की गई है। शीघ्र ही इसे रामपुर व सरकाघाट में भी आरम्भ किया जाएगा।
निगम की आमदनी बढ़ाना राज्य सरकार का लक्ष्य है। निगम ने शिमला शहर में टैक्सी सेवाएं आरम्भ की हैं, जो प्रतिबंधित सड़कों पर सफलतापूर्वक चल रही हैं। विशेषकर वरिष्ठ नागरिकों, बीमार व्यक्तियों, शारीरिक रूप से अक्षम लोग, महिलाओं व बच्चे इससे विशेषतौर पर लाभान्वित हो रहे हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए मनाली से रोहतांग रूट पर सीएनजी बस सेवा आरम्भ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
सामाजिक दायित्व के तहत प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों व महाविद्यालयों के विद्यार्थियों व विशेष रूप से अक्षम लोगांे को निःशुल्क बस सेवा उपलब्ध करवा रही है। इसके अतिरिक्त सरकारी कर्मचारियों, पुलिस जवानों और जेल वार्डनों इत्यादि को रियायती दरों पर परिवहन सुविधा प्रदान की जा रही है, जिस पर 110 करोड़ रुपये वार्षिक व्यय हो रहे हैं। प्रदेश सरकार ने पथ परिवहन निगम के कर्मचारियों के कल्याण के लिए अनेक पग उठाए हैं। पथ परिवहन निगम 147 करोड़ रुपये वार्षिक पेंशनों पर व्यय कर रही है, जबकि वर्ष 2012-13 में इसकी देनदारी 47 करोड़ रुपये थी।  
 

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