20 सितम्बर, 2015
आबकारी एवं कराधान विभाग राज्य का सर्वाधिक राजस्व अर्जित करने वाला विभाग है। राज्य सरकार ने न केवल प्रभावी एवं पारदर्शी कर संग्रह प्रणाली विकसित कर राजस्व वृद्धि के लिए विभिन्न पग उठाए हैं, बल्कि विक्रेताओं और कारोबारियों को अनेकों प्रकार की सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में कारगर प्रयास भी किए हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2013 के दौरान एक करोड़ से अधिक बिक्री करने वाले पंजीकृत विक्रेताओं को ई-विवरणियां, ई-घोषणा, ई-कर भुगतान, विधिक प्रपत्र और वैट, सीएसटी, सीजीसीआर, एलटी, पीजीटी व एम एण्ड टीपी फार्म आॅन-लाईन ज़ारी करने की सुविधा प्रदान की है। जुलाई, 2014 से यह सुविधा राज्य के सभी पंजीकृत व्यापारियों को प्रदान की जा रही है, जिससे व्यापारियों को आबकारी एवं कराधान विभाग के कार्यालयों में बार-बार चक्कर काटने से राहत मिली है और उन्हें अपने व्यावसायिक परिसरों अथवा घरों पर ही हर समय, यहां तक की अवकाश के दिनों भी इन सेवाओं का लाभ प्राप्त हो रहा है। डीलरों को अलग-अलग अधिनियमों के अन्तर्गत पृथक लाॅग-इन आई.डी द्वारा विभिन्न रिटर्न अपलोड करने की कठिनाई से बचाने के लिए आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा इस वर्ष काॅमन लाॅग-इन आई.डी उपलब्ध करवाई गई हैं, जिसके माध्यम से डीलरों को अलग-अलग अधिनियमों के तहत अपनी सभी रिटर्न अपलोड करने की सुविधा हासिल हुई है। इसके अतिरिक्त, कारोबारियों को सुविधा देने के लिए सरकार ने हिमाचल प्रदेश मूल्यवर्धित अधिनियम के तहत वसूल की जाने वाली पंजीकरण फीस को भी माफ कर दिया है।
छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही के विधान सभा सत्र में संशोधित वैट विधेयक पास करवाया गया है, जिसके तहत अब 8 लाख रुपये से कम कारोबार करने वाले ढाबा, हलवाई, चाय व चाट कारोबारियों को मूल्य सवंर्द्धित कर (वैट) की अदायगी में छूट प्रदान की गई है। पूर्व में यह छूट 5 लाख रुपये से कम कारोबार करने वाले कारोबारियों को प्राप्त थी। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लाखों कारोबारियों को फायदा हुआ है। विधेयक के अनुसार ही हिमाचल में दूसरे राज्यों से प्रवेश कर रहे ट्रकों, जिनके पास ढोए जा रहे सामान की पूर्ण आॅनलाईन घोषणा हो, उन्हें अब बैरियर पर रूकने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। पहले केवल प्रदेश से बाहर जाने वाले ट्रकों को बैरियर पर रोकने से छूट प्राप्त थी। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से बैरियर पर माल ढुलाई की प्रक्रिया परेशानी मुक्त हुई है, वहीं इससे बैरियरों पर अनावश्यक भीड़-भाड़ से भी निजात मिली है।
सरकार ने छोटे कारोबारियों को बीमा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से इस वर्ष समूह दुर्घटना बीमा योजना आरम्भ की है। योजना के अंतर्गत 25 लाख रुपये सालाना कारोबार करने वाले प्रदेश के 47,000 कारोबारियों का 2 लाख रुपये का समूह दुर्घटना बीमा निःशुल्क किया जाएगा, जिसका प्रीमियम राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
राज्य के छोटे डीलरों को सुविधा प्रदान करने के लिए इस वित्त वर्ष 25 लाख रुपये तक का अंतरराज्यीय क्रय-विक्रय करने वाले डीलरों को वैट अधिनियम के तहत एकमुश्त कर भुगतान की योजना के दायरे में लाया गया है, जबकि पहले यह सुविधा केवल प्रदेश में ही क्रय-विक्रय करने वाले डीलरों को ही प्राप्त थी। इसी तरह चालू वित्त वर्ष के दौरान 25 लाख रुपये तक अंतरराज्यीय क्रय-विक्रय करने वाले कारोबारियों को एकमुश्त समूह दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत लाया जा रहा है।
कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष ट्रकों एवं बसों की बाॅडी फैब्रीकेशन पर वैट 13.75 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। इसी प्रकार से निर्यात के उद्देश्य से राज्य के अन्दर ही औद्योगिक इनपुट क्रय करने वाले निर्यातकों को अपेक्षित फार्म प्रस्तुत करने पर वस्तु कर में छूट की सुविधा प्रदान की गई है। पैकेजड पानी की बोतल पर लगाये गए सी.जी.सी.आर. कर को घटाया गया है ताकि यह उद्योग अन्य राज्योें में स्थापित ऐसे उद्योगों से स्पर्धा कर सके। प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए कच्चे माल पर कर की दर को 5 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत जबकि सैनिक और भूतपूर्व सैनिकों द्वारा सी.एस.डी. से खरीद पर कर को 4 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया गया है। प्रदेश सरकार ने वैट रिफंड को समयबद्ध करने के लिए पहले ही नियमों में संशोधन कर लिया है। अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि डीलरों को निर्धारित समय सीमा के भीतर ही वैट कर का रिफंड मिल सके।
सरकार द्वारा डीलरों के लिए डीम्ड् एसेस्मैंट की एक सरल प्रणाली तैयार की गई है, जिसके तहत अब उन्हें नियमित मूल्यांकन प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा और न ही बार-बार सम्बन्धित कार्यालय के चक्कर लगाने होंगे। डीलरों को अब विभागीय वैबसाईट तथा एस.एम.एस. के माध्यम से डीम्ड् एसेसमैंट के बारे में सूचना मिलने से फायदा हो रहा है।
प्रदेश में पर्यटन को प्रोत्साहन देने के दृष्टिगत अधिसूचित एयरलाईनों द्वारा खरीदे जा रहे विमानन ईंधन पर कर 5 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया है। उद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए नए उद्योगों से औद्योगिक इनपुट पर प्रवेश शुल्क को वर्तमान की 2 प्रतिशत की दर को घटाकर एक प्रतिशत किया गया है। 300 से अधिक हिमाचलियों को रोज़गार देने वाले उद्योगों से पहले 5 वर्षों तक केवल 2 प्रतिशत विद्युत शुल्क लिया जा रहा था, जिसे घटाकर इस वर्ष से एक प्रतिशत किया कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश विलास कर अधिनियम, 1979 के अंतर्गत पिछड़ी पंचायतों में प्रथम अप्रैल, 2013 से प्रचलन में आए होटलों तथा होम-स्टे को दस वर्ष की अवधि के लिए विलास कर से छूट प्रदान की गई है।