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6th September 2015

श्रमिक कल्याण सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता

औद्योगिकरण तथा आर्थिक विकास में श्रमिक वर्ग के महत्व को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है और श्रमिकों के कल्याण को भी तेजी से सराहा गया है। औद्योगिक संबंधांे में श्रमिक कल्याण एक महत्वपूर्ण पहलु है। हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों, जल विद्युत परियोजनाओं और अन्य संस्थानों में कार्यरत श्रमिकों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है। इस उद्देश्य के मददेनजर प्रदेश में 23 से अधिक केन्द्रीय श्रमिक कानूनों व दो राज्य श्रमिक कानून प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने श्रमिक कानूनों के प्रावधानों के अनुरूप कामगारों को समय पर न्यूनतम दिहाड़ी सुनिश्चित बनाई है। प्रदेश का श्रम एवं रोजगार विभाग न केवल युवाओं को रोजगार दिलाने में सहायता कर रहा है, बल्कि उन्हें कार्य के दौरान बेहतर वातावरण भी सुनिश्चित बना रहा है। कामगारों को सही सेवा वातावरण व सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने के लिए समय-समय पर निरीक्षण किए जा रहे हैं। प्रदेश में स्थापित हो रहे औद्योगिक संस्थानों व प्रतिष्ठानों व औद्योगिक इकाइयों में उच्च दक्ष तथा तकनीकीयुक्त श्रम शक्ति उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्य में 500 करोड़ रुपये की कौशल विकास भत्ता योजना कार्यान्वित की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत युवाओं को अधिकतम दो वर्ष के कौशल प्रशिक्षण के दौरान 1000 रुपये तथा 50 प्रतिशत से अधिक शारीरिक रूप से अक्षम युवाओं को 1500 रुपये कौशल विकास भत्ता प्रदान किया जा रहा है। इस योजना से अभी तक प्रदेश के 77000 से अधिक युवा लाभान्वित हुए हैं। कौशल विकास कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने के लिए कौशल विकास निगम गठित किया गया है। प्रदेश के ऊना जिले में 11 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक कौशल विकास संस्थान स्थापित किया जा रहा है। शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों को नौकरी संबंधी सहायता उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से श्रम एवं रोजगार निदेशालय में विशेष रोजगार कार्यालय स्थापित किया गया है। गत अढ़ाई वर्षों के दौरान इस केन्द्र में 5000 युवा पंजीकृत हुए हैं और 477 पद अधिसूचित किए गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, 585 आवेदन प्राप्त हुए और 133 शारीरिक रूप से अक्षम युवाओं को इसके माध्यम से रोजगार उपलब्ध करवाया गया है। प्रदेश में निर्माण कार्यों में कार्यरत कामगारों के हितों की रक्षा तथा ठेकेदारों के शोषण से बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड गठित किया गया है। हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में वे सभी कामगार पंजीकृत हो सकते हैं, जिन्होंने पूर्ववर्ती 12 महिनों के दौरान 90 दिन तथा मनरेगा में कार्यरत कामगारों ने 50 दिन कार्य किया हो, वे इसका लाभ उठा सकते हैं। अधिनियम के अन्तर्गत प्रत्येक प्रतिष्ठान को कुल निर्माण लागत का एक प्रतिशत बोर्ड में डिपोजिट सैस के रूप में जमा करवाना सुनिश्चित बनाया गया है। बोर्ड के अधीन पंजीकृत सभी कामगारों को स्वास्थ्य बीमा छत्र, उपकरणों की खरीद के लिए ऋण, शिक्षा तथा विवाह के लिए वित्तीय सहायता तथा महिला कामगारों को साईकिल, सोलर लैम्प, इंडैक्शन चूल्हे तथा वाशिंग मशीन इत्यादि के लाभ प्रदान किए जा रहे हैं। गत अढ़ाई वर्षाें के दौरान लगभग 5900 लाभार्थी बोर्ड द्वारा पंजीकृत किए गए और 46,000 से अधिक लाभार्थियों को इस दौरान 885 लाख रुपये के लाभ उपलब्ध करवाए गए। प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए नियोजित एवं स्थायी शहरी विकास को प्रमुखता प्रदान की गई है। उच्च औद्योगिक क्षेत्रों में योजनावद्ध विकास के साथ-साथ प्रवासी मजदूरों के लिए आवासीय सुविधा के प्रावधानों को भी शामिल किया जा रहा है। बद्दी-बरोवाला तथा नालागढ़ क्षेत्र में पुरूष तथा महिला कामगार छात्रावास बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त ऊना जिले के औद्योगिक क्षेत्र टाहलीवाल में भी कामगार छात्रावास का निर्माण किया जा रहा है।

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