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3rd August, 20143rd August 2014

गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर बल

3 अगस्त, 2014 प्रदेश सरकार राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को और सुदृढ़ बनाने तथा दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके घर-द्वार पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रयासरत है। स्वास्थ्य अधोसंरचना विकास के साथ-साथ गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इस दिशा में अनेक कार्यक्रम एवं योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इस वित्त वर्ष में स्वास्थ्य क्षेत्र पर 1050 करोड़ रुपये व्यय किये जा रहे हंै। हिमाचल प्रदेश सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य मानकों में देश के अग्रणी राज्यों में एक है। गत 18 माह की अवधि के दौरान प्रदेश में स्वास्थ्य क्ष़्ोत्र में आधुनिक सुविधाएं, बेहतर अधोसंरचना, अनुसंधान सुविधाएं एवं पर्याप्त स्टाफ की उपलब्धता को सुनिश्चित बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य संस्थानों को स्तरोन्न्त किया गया है एवं नये संस्थान खोले जा रहे हैं। शिमला के कमला नेहरू मातृ एवं शिशु अस्पताल में 16.50 करोड़ रुपये की लागत से 100 बिस्तरों के नए भवन का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय अस्पताल, मंडी में पांच करोड़ की लागत से 100 बिस्तरों वाला मातृ तथा शिशु अस्पताल निर्मित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार शीघ्र ही गर्भवती महिलाओं तथा एक वर्ष तक के बच्चों की सुविधा के लिए ड्राप बैक एंबुलेंस 102 सेवा आरम्भ करेगी। इस तरह के 125 वाहन प्रदेश भर के स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात करने की योजना है। प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा को नया आयाम देने के लिए केन्द्र के सहयोग से 567 करोड़ रुपये की लागत से तीन नये चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। ये महाविद्यालय चंबा, हमीरपुर तथा नाहन में स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा, आईजीएमसी शिमला के नर्सिंग स्कूल को स्तरोन्नत कर नर्सिंग काॅलेज बनाने के लिए भी केन्द्र सरकार से स्वीकृति प्राप्त हो गई है। इस कार्य के लिए स्वीकृत 520.50 लाख रुपये की कुल धनराशि में से केन्द्र द्वारा 440.00 लाख रुपये जारी कए जा चुके हैं। प्रदेश के लोगों को घर-द्वार पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए वर्ष 2013-14 में 43 बहु विशेषज्ञ शल्य चिकित्सा शिविर लगाए गए, जिनमें कुल 3651 लोगों के निःशुल्क आॅपरेशन किए गए। इसके अतिरिक्त, प्रदेश में लगभग 50 नए स्वास्थ्य संस्थान खोले गए हैं। इन संस्थानों में चिकित्सकों तथा पैरामेडिकल स्टाफ की पर्याप्त संख्या सुनिश्चित बनाने के लिए 48 विशेषज्ञ चिकित्सक, 412 चिकित्सक, 7 रेडियोग्राफर, 19 ओटीए के अलावा विभिन्न श्रेणियों के 150 पद भरे गए हैं। हिमाचल प्रदेश में पहली बार ब्रेन स्ट्रोक उपचार के लिए पाॅयलट परियोजना के आधार पर टेलीस्ट्रोक प्रबन्धन कार्यक्रम आरम्भ किया गया है। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली के सहयोग से आरम्भ किया गया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत लक्षण देखकर मस्तिष्क आघात (ब्रेन स्ट्रोक) का पता लगाना तथा तुरंत इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए एम्स प्रदेश भर में उन 18 अस्पतालों में प्राथमिक स्ट्रोक केन्द्र स्थापित करेगा जहां सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है। इसके लिए मस्तिष्क आघात का समय पर उपचार सुनिश्चित बनाने के लिए प्रदेश के 120 चिकित्सकों को प्रशिक्षित किया गया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 6 मरीजों का सफल इलाज भी किया जा चुका है। कार्यक्रम की सफलता भविष्य में मस्तिष्क आघात के संपूर्ण उपचार की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेगी। प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के उददेश्य से 10 जिलों में सचल चिकित्सा इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। इन इकाइयों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ-साथ अल्ट्रा साऊंड की सुविधा तथा सभी जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध करवाई जाएंगी। ये इकाइयां ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धारित समय पर शिविर आयोजित करेंगी। प्रदेश सरकार टेलिमेडिसन सुविधाएं विकसित करने के लिए भी प्रयासरत है। लोगांे को सस्ती दरों पर दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए 29.59 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय, शिमला में केन्द्रीकृत आक्सीजन संयत्र स्थापित किया जा रहा है। सरकार सार्वजनिक निजी सहभागिता के अन्तर्गत प्रदेश के चिहिन्त संस्थानों में एमआरआई सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हमारे राज्य मे दुर्घटनाओं तथा अन्य कारणों से से आए दिन हादसे होते हैं। इन परिस्थितियों में तुरंत उपचार के लिए आईजीएमसी में आधुनिक ट्रामा केन्द्र स्थापित करने के साथ-साथ नूरपुर, रामपुर तथा कुल्लू में भी ट्रामा केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सरकार प्रयासरत है ताकि राज्य के कठिन एवं दूर-दराज क्षेत्रों तक लोगों को विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके।

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