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17th May 2015

प्रदेश सरकार जैव प्रौद्योगिकी को दे रही व्यापक स्तर पर बढ़ावा

सिरमौर व सोलन में स्थापित होंगे जैव प्रौद्योगिकी उद्यान प्रदेश सरकार नेे बनाई जैव प्रौद्योगिकी नीति हिमाचल प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र तेजी के साथ विकसित हो रहा है। आम लोगों के लिये जैव प्रौद्योगिकी की उपयोगिता को ध्यान मेें रखते हुए सरकार राज्य जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों, प्रक्रियाओं एवं सेवाओं के लिए विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी एवं पसंदीदा गंतव्य बनाने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। हिमाचल में विभिन्न प्रकार के जैव प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों को विकसित करने की अपार सम्भावनाएं मौजूद है और इनके समुचित दोहन के लिए राज्य सरकार नेे ‘जैव प्रौद्योगिकी नीति 2014’ तैयार की है। सरकार राज्य में बीटी उद्यमों को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है और इकाईयां शुरू करने के लिये जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करवा रही हैं। राज्य सरकार ने कृषि, पशु पालन, बागवानी, चिकित्सा, पर्यावरण, जैव विविधता संरक्षण तथा जैव औद्योगिक विकास के समुचित उपयोग से प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये वृहद योजना तैयार की है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश सरकार जैव प्रौद्योगिकी में कुशल श्रम शक्ति के सृजन के लिए राज्य मंे स्थिति जैव प्रौद्योगिकी संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से सहायता उपलब्ध करवा रही है। हिमाचल प्रदेश जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित उद्योगों की स्थापना के लिये एक आदर्श स्थल है। राज्य में बहुमूल्य पौधे, पशु और माइक्रोबियल जैव विविधता मौजूद है। यहां विशेषकर हिमालय के ऊपरी भागों में कई दुर्लभ पौधे और जड़ी-बूटियां विद्यमान हैं, जिनकी दवा उद्योगों में उपयोग करने की अपार क्षमता है। प्रदेश में शानदार पर्यावरण विविधता, प्रदूषण रहित वातावरण एवं अनुकूल जलवायु सहित उद्योगों के लिये पर्याप्त भूमि तथा वर्षभर पर्याप्त सस्ती बिजली जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्य में बीटी उद्योग स्थापित करने के लिये जैव प्रौद्योगिकी के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिये उद्योग विभाग द्वारा सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। राज्य सरकार सहयोगात्मक भागीदारी और सुविधाओं के प्रावधानों के माध्यम से निजी क्षेत्र को जैव प्रौद्योगिकी औद्योगिक बुनियादी ढांचे जैसे जैव प्रौद्योगिकी पार्कों और अनुसंधान प्रशिक्षण इत्यादि के लिए प्रोत्साहित कर रही है। प्रदेश ने सोलन जिले के नालागढ़ के आदुवाल में जैव प्रौद्योगिकी उद्यान स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है। प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी आधारित उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए निजी क्षेत्र के सहयोग से जैव प्रौद्योगिकी पार्क एवं जैव प्रौद्योगिकी औद्योगिक कलस्टर स्थापित करने का प्रस्ताव है। विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी से सुसज्जित ये उद्यान जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास की क्षमता बढ़ाने का महत्वपूर्ण कार्य प्रदेश के सोलन और सिरमौर जिलों में इन उद्यानों का निर्माण प्रस्तावित है। प्रदेश सरकार को जैव प्रौद्योगिकी संबंधित नीतियों के निर्माण और उनके कार्यान्वयन के संबंध में सलाह देने के लिए ‘टास्क फोर्स’ का गठन किया गया है। यह टास्क फोर्स जैव प्रौद्योगिक आधारित उद्योगों के लिए नियम भी तैयार करेगी। जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए पर्यावरण, विज्ञान और तकनीकी विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। विभाग विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देने, जैव संसाधन उपयोग, संरक्षण एवं औद्योगिक प्रोत्साहन जैसे रोजगार सृजन क्षेत्रों पर विशेष बल देने के साथ-साथ कम्पनियों, अनुसंधान केन्द्रों और संस्थानों के मध्य नेटवर्किंग बनाए रखने का काम करेगा। जारीकर्ताः निदेशक, सूचना एवं जनसम्पर्क, हिमाचल प्रदेश, शिमला-2

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