Feature
   

30th September 2018

हिमाचल सरकार का पर्यटन के बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर बल

प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए ढांचागत विकास,  सड़क कनेक्टिविटी, आवासीय सुविधाओं आदि पर बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार पर्यटन गतिविधियों में विविधता लाने, अनछुए और दूरदराज के पर्यटन स्थलों के दोहन पर विशेष ध्यान दे रही है।

राज्य सरकार ने नए क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ‘नई राहें नई मंजिलें’ नाम की एक नई योजना शुरू की है। चूंकि पर्यटन हिमाचल की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। इसलिए यह योजना राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सही दिशाओं में एक बड़ा प्रयास होगा। इस योजना के लिए वर्ष 2018-19 में 50 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इस योजना से ग्रामीण इलाकों में नए और अनछुए पर्यटन स्थलों को पहचान मिलेगी। 
बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर मुख्य रूप से जोर दिया जा रहा है। पार्क, पैदल मार्ग, ट्रेकर्स होस्टल, शौचालयों, मंदिरों का सौंदर्यीकरण, सड़कों की चौड़ाई, वर्षा शालिकाओं, सरायों, सड़क संकेत और यातायात के दिशा-निर्देशों, सड़क मार्ग पार्किंग, ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, सामुदायिक हॉल, प्रकाश और कचरा प्रबन्धन जैसी सुविधाएं नए परिभाषित पर्यटन सर्किट में विकसित की जा रही है। स्थानीय लजीज व्यंजनों, लोक कलाकारों, स्थानीय कारीगरों, संस्कृति, स्थानीय वेश-भूषा, टूर गाइडों, पर्यावरण गाइडों, एडवेंचर गाइड़ों को प्रोत्साहित कर रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा करने पर भी बल दिया जा रहा है।
योजना का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में पर्यटन में विविधता और नए स्थानों पर बुनियादी ढांचे के विकास, ग्रामीण पर्यटन, रोजगार और आजीविका के अवसरों के प्रचार और उसके बाद नए स्थानों के प्रचार व प्रसार को बढ़ावा देना है। इन नए पहलुओं के तहत मण्डी जिले के जंजैहली, कांगड़ा जिले के बीड़ बिलिंग और जिला शिमला के चांशल को शामिल किया गया है।
योजना के तहत मण्डी जिले के जंजैहली में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जंजैहली, थुनाग, शिकारी देवी, पुडा केदार, तुंगारी टोप इत्यादि के आस पास साहसिक पर्यटन, जंगल ट्रैकिंग मार्गों को बढ़ावा देने के लिए अस्थायी तंबू बनाए जाएंगे। पर्यटकों की सुविधा के लिए जंजैहली सर्किट में 40 नए ट्रेकिंग मार्ग भी विकसित किए जाएंगे। 12 वन विश्राम गृहों को भी पर्यटकों की सुविधा के लिए स्तरोन्नत किया जाएगा। पर्यटकों के आकर्षण के लिए क्षेत्रों को 16.70 करोड रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, एशियाई विकास बैंक के 25.17 करोड रुपये के वित्त पोषण पर्यटकों संस्कृति केंद्र को भी स्थापित किया जा रहा है।
कांगड़ा जिले में बीड़ बिलिंग को इस योजना के तहत 14.62 करोड रुपये खर्च करके पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार की ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के तहत बीड़ बिलिंग में 8.07 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक पैराग्लाइडिंग संस्थान स्थापित किया जा रहा था।
इसी तरह शिमला जिले के चांशल क्षेत्र को भी इस नई योजना के तहत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा तथा इसके अन्तर्गत 15.12 करोड़ रुपये से क्षेत्र में साहसिक खेल, स्कीइंग और कैंपिंग की अत्यधिक संभावनाओं के दृष्टिगत विकसित किया जाएगा।
राज्य सरकार पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए राज्य में अधिकतम संख्या में रोपवे स्थापित करेगी। सरकार ने उन उद्यमियों को कई रियायतें देने का फैसला किया है जो रोपे-वे परियोजनाओं में निवेश करने में रूचि रखते हैं और इसमें पहले 7 वर्षों के लिए वार्षिक लाइसेंस शुल्क मुक्त करना शामिल है। श्री नैना देवी रोपेवे के निर्माण के लिए पंजाब सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। धर्मशाला-मेकलोडगंज रोपेवे पर निर्माण 15 करोड रुपये की लागत से किया जा रहा है।
पलचान से रोहतांग रोपे-वे का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है, जबकि आदी-हिमानी से चामुंडा और भुंतर को बिजली महादेव रज्जू मार्ग का निर्माण भी शीघ्र किया जाएगा। चमेरा, पोंग बांध, गोबिंद सागर, ततापानी, लारजी और पंडोह जैसे कई मानव निर्मित जलाशयों में साहसिक और जल खेलों के लिए आकर्षण के रूप में विकसित करने की अत्यधिक क्षमता है। गोबिंद सागर झील पानी के खेलों, शिकारा (हाउस बोट), नौकायान, समुद्री विमान और अन्य मनोरंजक गतिविधियों के लिए विकसित किया जा रहा है। इसी प्रकार, पोंग बांध पक्षी प्रमियों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य होने के नाते जल क्रीड़ा के लिए एक प्रमुख आकर्षण के रूप में विकसित किया जाएगा।
राज्य सरकार निजी क्षेत्र में भी होम स्टे योजना को प्रोत्साहित कर रही है। इन सर्किटों में नेचर वॉक, इको-ट्रेल्स, ट्रेक्स, बगीचे की यात्रा और अन्य आकर्षण विकसित किए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार पर्यटन एवं विकास की दृष्टि से बीबीएमबी के साथ पंडोह बांध में जल क्रीडा और मनोरंजक गतिविधियों की अनुमति प्रदान करने का मामला उठाएगी। इसके अलावा, भाखड़ा बांध व कौलडैम में भी पर्यटकों को आर्कषित करने के लिए जल क्रीड़ाओं को आरम्भ करने का मामला भी केन्द्र सरकार से उठाया गया है, जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है। 
प्रदेश में इको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इको पर्यटन की वैबसाईट द्वारा अब वन विभाग के 100 विश्राम गृहों की बुकिंग की जा सकेगी। हिमाचल प्रदेश इको पर्यटन सोसायटी के तहत प्रदेशभर में इको पर्यटन पर विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से इको पर्यटन गाईड का प्रशिक्षण इको पर्यटन सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। वन विश्राम गृह की जानकारी को एकत्रित कर एक कॉफी टेबल पुस्तिका का भी प्रकाशन किया जा रहा है ताकि प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को इससे सुविधा हो सके। इको पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इको पर्यटन सोसायटी द्वारा एक इको क्लब बनाया गया है। सोसायटी द्वारा इस क्लब में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने तथा शहरों का सौंदर्यीकरण, पर्यटन की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों का विकास, पर्यटन गतिविधियों में स्वरोजगार के अवसर, धरोहर भवनों का जीर्णोंद्धार तथा साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1892 करोड़ रुपये की एक महत्वाकांक्षी योजना स्वीकृति की गई है। एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना व सरकार की अनेक पहलों से आने वाले दिनों में प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
 
 
 30 सितम्बर, 2018
हिमाचल सरकार का पर्यटन के बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर बल
प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए ढांचागत विकास,  सड़क कनेक्टिविटी, आवासीय सुविधाओं आदि पर बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार पर्यटन गतिविधियों में विविधता लाने, अनछुए और दूरदराज के पर्यटन स्थलों के दोहन पर विशेष ध्यान दे रही है।
राज्य सरकार ने नए क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ‘नई राहें नई मंजिलें’ नाम की एक नई योजना शुरू की है। चूंकि पर्यटन हिमाचल की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। इसलिए यह योजना राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सही दिशाओं में एक बड़ा प्रयास होगा। इस योजना के लिए वर्ष 2018-19 में 50 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। इस योजना से ग्रामीण इलाकों में नए और अनछुए पर्यटन स्थलों को पहचान मिलेगी। 
बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर मुख्य रूप से जोर दिया जा रहा है। पार्क, पैदल मार्ग, ट्रेकर्स होस्टल, शौचालयों, मंदिरों का सौंदर्यीकरण, सड़कों की चौड़ाई, वर्षा शालिकाओं, सरायों, सड़क संकेत और यातायात के दिशा-निर्देशों, सड़क मार्ग पार्किंग, ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, सामुदायिक हॉल, प्रकाश और कचरा प्रबन्धन जैसी सुविधाएं नए परिभाषित पर्यटन सर्किट में विकसित की जा रही है। स्थानीय लजीज व्यंजनों, लोक कलाकारों, स्थानीय कारीगरों, संस्कृति, स्थानीय वेश-भूषा, टूर गाइडों, पर्यावरण गाइडों, एडवेंचर गाइड़ों को प्रोत्साहित कर रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा करने पर भी बल दिया जा रहा है।
योजना का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में पर्यटन में विविधता और नए स्थानों पर बुनियादी ढांचे के विकास, ग्रामीण पर्यटन, रोजगार और आजीविका के अवसरों के प्रचार और उसके बाद नए स्थानों के प्रचार व प्रसार को बढ़ावा देना है। इन नए पहलुओं के तहत मण्डी जिले के जंजैहली, कांगड़ा जिले के बीड़ बिलिंग और जिला शिमला के चांशल को शामिल किया गया है।
योजना के तहत मण्डी जिले के जंजैहली में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए जंजैहली, थुनाग, शिकारी देवी, पुडा केदार, तुंगारी टोप इत्यादि के आस पास साहसिक पर्यटन, जंगल ट्रैकिंग मार्गों को बढ़ावा देने के लिए अस्थायी तंबू बनाए जाएंगे। पर्यटकों की सुविधा के लिए जंजैहली सर्किट में 40 नए ट्रेकिंग मार्ग भी विकसित किए जाएंगे। 12 वन विश्राम गृहों को भी पर्यटकों की सुविधा के लिए स्तरोन्नत किया जाएगा। पर्यटकों के आकर्षण के लिए क्षेत्रों को 16.70 करोड रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, एशियाई विकास बैंक के 25.17 करोड रुपये के वित्त पोषण पर्यटकों संस्कृति केंद्र को भी स्थापित किया जा रहा है।
कांगड़ा जिले में बीड़ बिलिंग को इस योजना के तहत 14.62 करोड रुपये खर्च करके पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जाएगा। केंद्र सरकार की ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के तहत बीड़ बिलिंग में 8.07 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से एक पैराग्लाइडिंग संस्थान स्थापित किया जा रहा था।
इसी तरह शिमला जिले के चांशल क्षेत्र को भी इस नई योजना के तहत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा तथा इसके अन्तर्गत 15.12 करोड़ रुपये से क्षेत्र में साहसिक खेल, स्कीइंग और कैंपिंग की अत्यधिक संभावनाओं के दृष्टिगत विकसित किया जाएगा।
राज्य सरकार पर्यटकों और स्थानीय लोगों की सुविधा के लिए राज्य में अधिकतम संख्या में रोपवे स्थापित करेगी। सरकार ने उन उद्यमियों को कई रियायतें देने का फैसला किया है जो रोपे-वे परियोजनाओं में निवेश करने में रूचि रखते हैं और इसमें पहले 7 वर्षों के लिए वार्षिक लाइसेंस शुल्क मुक्त करना शामिल है। श्री नैना देवी रोपेवे के निर्माण के लिए पंजाब सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। धर्मशाला-मेकलोडगंज रोपेवे पर निर्माण 15 करोड रुपये की लागत से किया जा रहा है।
पलचान से रोहतांग रोपे-वे का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है, जबकि आदी-हिमानी से चामुंडा और भुंतर को बिजली महादेव रज्जू मार्ग का निर्माण भी शीघ्र किया जाएगा। चमेरा, पोंग बांध, गोबिंद सागर, ततापानी, लारजी और पंडोह जैसे कई मानव निर्मित जलाशयों में साहसिक और जल खेलों के लिए आकर्षण के रूप में विकसित करने की अत्यधिक क्षमता है। गोबिंद सागर झील पानी के खेलों, शिकारा (हाउस बोट), नौकायान, समुद्री विमान और अन्य मनोरंजक गतिविधियों के लिए विकसित किया जा रहा है। इसी प्रकार, पोंग बांध पक्षी प्रमियों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य होने के नाते जल क्रीड़ा के लिए एक प्रमुख आकर्षण के रूप में विकसित किया जाएगा।
राज्य सरकार निजी क्षेत्र में भी होम स्टे योजना को प्रोत्साहित कर रही है। इन सर्किटों में नेचर वॉक, इको-ट्रेल्स, ट्रेक्स, बगीचे की यात्रा और अन्य आकर्षण विकसित किए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार पर्यटन एवं विकास की दृष्टि से बीबीएमबी के साथ पंडोह बांध में जल क्रीडा और मनोरंजक गतिविधियों की अनुमति प्रदान करने का मामला उठाएगी। इसके अलावा, भाखड़ा बांध व कौलडैम में भी पर्यटकों को आर्कषित करने के लिए जल क्रीड़ाओं को आरम्भ करने का मामला भी केन्द्र सरकार से उठाया गया है, जिसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई है। 
प्रदेश में इको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इको पर्यटन की वैबसाईट द्वारा अब वन विभाग के 100 विश्राम गृहों की बुकिंग की जा सकेगी। हिमाचल प्रदेश इको पर्यटन सोसायटी के तहत प्रदेशभर में इको पर्यटन पर विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से इको पर्यटन गाईड का प्रशिक्षण इको पर्यटन सोसायटी द्वारा किया जा रहा है। वन विश्राम गृह की जानकारी को एकत्रित कर एक कॉफी टेबल पुस्तिका का भी प्रकाशन किया जा रहा है ताकि प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को इससे सुविधा हो सके। इको पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इको पर्यटन सोसायटी द्वारा एक इको क्लब बनाया गया है। सोसायटी द्वारा इस क्लब में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने तथा शहरों का सौंदर्यीकरण, पर्यटन की दृष्टि से ग्रामीण क्षेत्रों का विकास, पर्यटन गतिविधियों में स्वरोजगार के अवसर, धरोहर भवनों का जीर्णोंद्धार तथा साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 1892 करोड़ रुपये की एक महत्वाकांक्षी योजना स्वीकृति की गई है। एशियन विकास बैंक द्वारा वित्त पोषित इस परियोजना व सरकार की अनेक पहलों से आने वाले दिनों में प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
 
 

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10461933

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox