राज्यपाल आर्चाय देवव्रत ने हिमाचल प्रदेश को देश का शून्य बजट प्राकृतिक खेती राज्य बनाने के लिए प्रयास करने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य इन उत्पादों के लिए अपनी मण्डी विकसित करेगा ताकि किसानों को इन मण्डियों में उनके उत्पादों का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सके।
राज्यपाल आज राष्ट्रीय पारिस्थितिकीय सोसायटी के हिमाचल चैप्टर द्वारा डॉक्टर वाई.एस परमार उद्यानिकी एवं वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन के सहयोग से विश्वविद्यालय सभागृह में आयोजित किसानों की आय बढ़ाने के लिए वैकल्पिक कृषि प्रणाली पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के अवसर पर बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती पर्यावरण के लिए स्वस्थ एवं उपयोगी है। उन्होंने कहा कि यह अति आवश्यक है कि रासायनिक खेती को प्राकृतिक खेती में बदला जाए ताकि भूमि की उर्वरकता में आ रही कमी व कृषि फसलों में रासायनिक खादों की भारी मात्रा के उपयोग से स्वास्थ्य समस्याओं को कम किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने में वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है । उन्हांने कृषि वैज्ञानिकों से समर्पण की भावना से कार्य करने का आग्रह किया तथा कहा कि कृषि देश के लोगों की आर्थिकी की रीढ़ है।
राज्यपाल ने कहा कि यदि वैज्ञानिक प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में कार्य करने के लिए समर्पित हों तो कोई भी प्रदेश को सिक्कम की तरह जैविक राज्य बनने से नहीं रोक सकता इससे रासायनिक खाद और कीटनाशक बेचने वाली कम्पनियों के एकाधिकारी पर भी रोक लग सकेगी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती राष्ट्र को कृषि क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए बेहतर विकल्प है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पाद न केवल स्वस्थ जीवन में सहायता करते है अपितु पर्यावरण समृद्धि में भी सहायक है।
राज्यपाल ने कहा कि पदम श्री डॉक्टर सुभाष पालेकर ने देश के किसानों का मार्गदर्शन कर उन्हें शून्य बजट प्राकृतिक खेती की अवधारणा दी जिसे देश के 40 लाख से अधिक किसानों ने अपनाया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक लोगों को लम्बे समय तक लाभान्वित करेगी और इस तकनीक को अपनाने वाले किसान अपने उत्पादों का बेहतर मूल्य प्राप्त कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक स्थनीय गाय 30 एकड़ भूमि पर कृषि के लिए सहायक होगी और इससे भूमि की उर्वरकता बढ़ेगी और कम पानी के उपयोग से अधिकतम उपज प्राप्त होगी और किसान अपने उत्पादों का लाभदायक मूल्य प्राप्त कर सकेगे। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने निजी हितों से उपर उठकर कार्य करना चाहिए और अपने अनुसंधानों के दायरे को बदलना चाहिए और प्राकृतिक खेती पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जिससे देश के किसानों की आय को दुगुना करने में सहायता मिलेगी।
राज्यपाल ने डॉक्टर करतार सिंह को कृषि तथा बागवनी क्षेत्र में योगदान देने के लिए लाईफ टाईम अचीवमेंट पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
इसके उपरान्त राज्यपाल कार्यशाला के सत्र में भी शामिल हुए।
पदम श्री डॉक्टर सुभाष पालेकर ने कृषि वैज्ञानिकों को कार्यशाला आयोजित करने को बधाई दी तथा कहा कि यह आज नितान्त आवश्यकता है कि विज्ञानिक किसानों को वैकल्पिक खेती उपलब्ध करवाएं, जिससे उनकी आय दुगुनी हो सके। उन्होंने कहा कि समाज के समक्ष खाद्य सुरक्षा, वैश्विक उष्मीकरण गांव से प्लायन तथा एकल परिवार के बढ़ने की चुनौती है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अपनाएं जा रहे कृषि के ढंग वैश्विक उष्मीकरण के लिए जिम्मेवार है और सभी चुनौतियों को शून्य बजट प्राकृतिक खेती से सुलझाया जा सकता है और वैज्ञानिकों को इससे निपटने के लिए समाधान देने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हरित क्रान्ति व जैविक खेती उस समय की बेहतर विकल्प थी परन्तु आज प्राकृतिक खेती को अपना कर समाज को बचाया जा सकता है। उन्हांने कहा कि किसानों को महंगी रासायनिक खादों के उपयोग के बावजूद भी उनके उत्पादों के लाभदायिक मूल्य प्राप्त नहीं हो रहे है इसलिए वे आत्महत्या कर रहे है और आम लोग भी सब्जियों व खाद्य उत्पादों में इन घातक तत्वों का सेवन कर रहे है। उन्होंने प्रत्येक चुनौती का समाधान प्राकृतिक खेती को दिया।
बागवानी एवं वाणिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन के कुलपति डा0 एचसी शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा कहा कि फसलों की ऐसी नई प्रजातियां विकसित की जाएंगी, जिनके लिए कम पानी की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि हमें पौषक तत्वों से भरपूर जैविक स्त्रोंतो व केवल जैव-कीटनाशकों का उपयोग करना होगा।
उन्होंने उच्च घन्तव पौधरोपण पर भी बल दिया और किसानों व बागवानों से फसल विविधिकरण अपनाने का आग्रह किया तथा कहा कि इससे बागवानों की आय दुगुनी होगी और वे उच्च उत्पाद तैयार करने के लक्षयों को प्राप्त करने में सफल होंगे और भूमि की उर्वरकता भी बढ़ेगी।
अनुसंधान निदेशक व आयोजक समिति के अध्यक्ष डॉक्टर करतार सिंह वर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा कार्यशाला के दौरान आयोजित होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी।
भारतीय पारिस्थितिकीय सोसायटी के अध्यक्ष डा. अशोक धवन ने राज्यपाल का स्वागत किया और मिट्टी के स्वास्थ्य व कृषि क्षेत्र में जल संरक्षण के सुधार पर बल दिया।
संयुक्त निदेशक अनुसंधान व आयोजिन समिति के सचिव डा0 राजेश्वर चन्देल ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।