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   No. 1045/2023-PUB 12th September 2025

विक्रमादित्य सिंह ने केरल अर्बन कॉन्कलेव कोच्चि में हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया

लोक निर्माण एवं शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने आज केरल अर्बन कॉन्कलेव कोच्चि में भाग लिया। इस अवसर पर केन्द्रीय आवासन एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर और केरल के मुख्यमंत्री पिणराई विजयन भी उपस्थित थे। 
उन्होंने इस अवसर पर शहरी विकास से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श किया। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की पहाड़ी परिस्थितयों के अनुरूप जलवायु संवदेशील शहरी विकास मॉडल साझा करते हुए अन्य राज्यों के साथ अपने अनुभवों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने इस अवसर पर राज्यों के बीच आपसी सहयोग एवं सतत विकास को बढ़ावा देने पर भी विशेष बल दिया। 
लोक निर्माण मंत्री ने ‘कल के पहाड़’ विजन के तहत जलवायु संवेदनशील शहरी विकास की व्यापक योजना प्रस्तुत करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश ने शहरीकरण की तेज रफ्तार और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए विकास और संरक्षण को संतुलित करने का संकल्प लिया है। 
उन्होंने बताया कि पिछले 100 वर्षों में औसत तापमान में हुई 1.6 सेल्सियस वृद्धि और वर्ष 2023 व 2025 की अतिवृष्टि जैसी आपदाओं ने यह स्पष्ट किया है कि जलवायु अनुकूलन अति अनिवार्य है। प्रदेश ने इस दिशा में कार्य करते हुए क्लाइमेंट इंटेलिजेंस नेटवर्क, ढलानों की जैव इंजीनियरिंग से सुरक्षा, वर्षा जल संचयन झरनों का पुनर्जीवन और आधुनिक जल प्रबंधन जैसे कदम उठाए हैं। 
विक्रमादित्य सिंह ने बताया कि प्रदेश ने 5 हजार करोड़ रुपये का हिमाचल ग्रीन डवेल्पमेंट फंड, कार्बन क्रेडिट से वार्षिक आय और पयर्टन आधारित इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जैसी नवाचार पूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। अक्षय ऊर्जा में 2400 मेगावाट क्षमता स्थापित कर हिमाचल शत-प्रतिशत नवीकरणीय बिजली उत्पन्न करने वाला पहला राज्य बना है। 
उन्होंने कहा कि राज्य ने डिजिटल तकनीक से स्मार्ट सिटी प्रबंधन, कचरा पुनर्चक्रण, इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन और केवल कार जैसी पहलों ने शहरी जीवन को और अधिक सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल बनाया है। राज्य सरकार मंदिरों, वनांे और पारम्परिक शिल्प कला को संरक्षित करते हुए प्रदेश की समृद्ध संस्कृति की पहचान को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। 
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार का वर्ष 2040 तक हिमाचल को क्लाइमेट-पॉजिटिव राज्य बनाने का लक्ष्य है ताकि इसे वर्ष 2047 तक विश्व का अग्रणी पर्वतीय विकास मॉडल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि हिमालय हमें धैर्य और संतुलन की सीख देता है और इन्ही मूल्यों के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए एक समृद्ध और जलवायु संवेदनशील हिमाचल का निर्माण संभव हो पाएगा। 
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