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  • राज्यपाल ने बच्चों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करने के लिए ‘क्रासिंग्स’ फिल्म की सराहना की
  • विश्वसनीय और ज़िम्मेदार मीडिया लोकतंत्र की रीढ़ः उप-मुख्यमंत्री
  • मुख्यमंत्री ने हिमाचल निकेतन के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया छह माह में निर्माण कार्य पूर्ण करने के दिए निर्देश
  • प्रदेश की 234 पंचायतों में नशा निवारण समितियों की बैठकें आयोजित
  • मुख्यमंत्री ने हमीरपुर में आयोजित एंटी-चिट्टा अवेयरनेस वॉकथॉन का नेतृत्व किया
  • मुख्यमंत्री ने नादौन-हमीरपुर-घुमारवीं-दिल्ली वॉल्वो बस सेवा का शुभारंभ किया
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  • मुख्यमंत्री ने नादौन-हमीरपुर-घुमारवीं-दिल्ली वॉल्वो बस सेवा का शुभारंभ किया
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज हमीरपुर में आयोजित चिट्टा विरोधी मेगा वॉकथॉन के उपरांत हिमाचल पथ परिवहन निगम की नादौन-हमीरपुर-घुमारवीं-दिल्ली वॉल्वो बस सेवा का शुभारंभ किया। यह बस रोजाना सुबह 7 बजे नादौन से चलेगी। इसका हमीरपुर से चलने का समय 8 बजे, घुमारवीं से 9 बजे और चंडीगढ़ से 11ः40 होगा तथा यह शाम को 4ः40 पर दिल्ली पहुंचेगी। वापसी में यह बस दिल्ली से सुबह 8ः30 बजे चलेगी और शाम को 6ः30 बजे नादौन पहुंचेगी। 
    इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल और जन सुलभ बनाने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए यात्रा शुल्क का भुगतान अब यूपीआई, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से संभव है। हिमाचल पथ परिवहन निगम देश का ऐसा पहला राज्य परिवहन उपक्रम बन गया है जिसने नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड सुविधा आरंभ की है। इस कार्ड से दिल्ली मेट्रो, दिल्ली परिवहन निगम, हरियाणा रोडवेज तथा पश्चिम मुंबई की बसों सहित पूरे देश में यात्रा की जा सकेगी। रियायती और मुफ्त यात्रा के लिए हिम बस कार्ड, हिम बस प्लस कार्ड और ग्रीन कार्ड जैसी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं। परिवहन निगम के बेड़े में 297 नई इलेक्ट्रिक बसें शामिल की जा रही हैं। 25 स्टेट ऑफ द आर्ट वॉल्वो बसों को परिवहन बेड़े में शामिल करने से निगम में वॉल्वो बसों की संख्या बढ़कर 98 हो गई है। 50 टेंपो ट्रैवलर और 24 सुपर लग़जरी बसें भी खरीदी गई हैं। 250 डीजल बसें, 100 मिनी बसें और चार क्रेनों की खरीद प्रक्रिया प्रगति पर है। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 234 नए बस रूट जारी किए जा रहे हैं तथा 18 सीटर तक के टेंपो ट्रैवलर वाहनों के संचालन के लिए 350 नए परमिट आवंटन की प्रक्रिया जारी है।
    ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हरित परिवहन को प्रोत्साहन देने के लिए छह ग्रीन कॉरिडोर पर 88 पेट्रोल पंप और 41 स्थलों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त राज्य के विश्राम गृह और सरकारी कार्यालयों सहित विभिन्न स्थानों पर 310 चार्जिंग स्टेट स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के आधार पर 41 अन्य स्थलों पर भी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं।
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  • मुख्यमंत्री ने हमीरपुर में आयोजित एंटी-चिट्टा अवेयरनेस वॉकथॉन का नेतृत्व किया
    कहा, पुलिस के रडार पर हैं संदिग्ध
    चिट्टा रूपी दीमक को समाप्त करने की दिशा में सख्त और निर्णायक कार्रवाई कर रही सरकारः मुख्यमंत्री
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने प्रदेश में मादक पदार्थ चिट्टे के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन के तहत आज हमीरपुर में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (छात्र) के खेल मैदान से पुलिस लाइन दोसड़का ग्राउंड तक आयोजित एंटी चिट्टा जागरूकता वॉकथॉन का नेतृत्व किया, जिसमें समाज के सभी वर्गों ने भाग लिया। इनमें भारी संख्या में विद्यार्थी, जन प्रतिनिधि, अधिकारी और गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। 
    मुख्यमंत्री ने वॉकथॉन आरम्भ होने से पहले राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (छात्र) के खेल मैदान में उपस्थित लोगों को चिट्टे और मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ जागरूकता शपथ भी दिलाई।
    पुलिस लाइन ग्राउंड दोसड़का में उपस्थित जनसैलाब को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल चिट्टे के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ रहा है। प्रदेश में युवाओं के भविष्य को खोखला कर रहे चिट्टा जैसे घातक नशे के विरुद्ध राज्य सरकार आर-पार की लड़ाई लड़ रही है। चिट्टा रूपी दीमक को समाप्त करने की दिशा में सख्त और निर्णायक कार्रवाई की जा रही है। नशे के इस अवैध नेटवर्क से जुड़े तस्करों, सप्लायरों और उनका संरक्षण देने वालों पर एक-एक कर शिकंजा कसा जा रहा है। चिट्टा के कारोबार से जुड़े संगठित गिरोहों की कमर तोड़ने के लिए तकनीक, खुफिया तंत्र और कड़े कानूनों का प्रभावी इस्तेमाल किया जा रहा है। 
    ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार अपने संकल्प के अनुसार चिट्टा सौदागरों की पहचान, नाम और नेटवर्क सब मिटा देगी। यह जन आंदोलन, प्रदेश के लोगों की पुकार और हिमाचल की अस्मिता का युद्ध है। उन्होंने कहा कि इस महा आंदोलन को आरम्भ हुए 30 दिन हो चुके हैं। इस दौरान 22 नवम्बर को हिमाचल के इतिहास में पहली बार पूरे प्रदेश में पुलिस द्वारा एक साथ 121 स्थानों पर छापामारी की गई। बड़े तस्करों के नेटवर्क पर सीधा प्रहार किया गया तथा तीन दिन बाद 41 शिक्षण संस्थानों, 598 दुकानों, बाजारों और कॉलेजों के आसपास गहन छानबीन की गई। 12 एनडीपीएस मामले दर्ज किए गए और 385 चालान किए गए। 
    उन्होंने कहा कि 7 दिसंबर को पीआईटी एण्ड एनडीपीएस के तहत एक साथ प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से 16 नामी तस्करों को हिरासत में लिया गया। इस अधिनियम के तहत अब तक 63 तस्कर गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 1214 तस्कर और संदिग्धों की पहचान तथा 950 अवैध संपत्तियां सीमांकित की गई हैं। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार के कार्यकाल के दौरान तीन वर्ष में एनडीपीएस के तहत 13 करोड़ रुपये की चल-अचल सम्पत्ति जब्त की गई थी, जबकि वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान अब तक 50 करोड़ रुपये से अधिक की चल-अचल जब्त की जा चुकी है। 
    उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा चिट्टे के खिलाफ बहुस्तरीय व बहुआयामी कार्रवाई की जा रही है। प्रदेश में नशा निवारण केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं। प्रदेश में नशा मुक्ति रोकथाम एवं पुनर्वास बोर्ड का गठन भी किया गया है। 
    ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि हम नशे के चंगुल में फंसे युवाओं को समाज की मुख्य धारा में ला रहे हैं। उन्होंने प्रहारक शब्दों में कहा कि चिट्टे के माफिया और उनसे जुड़े तस्करों की सूचना देने वालों को दस हजार रुपये से 10 लाख रुपये तक ईनाम दिया जाएगा और गोपनीयता 100 प्रतिशत होगी। उन्होंने वीरभूमि हमीरपुर से चिट्टा का समूल नाश करने के लिए समाज के सभी वर्गों को एकजुट होने का आह्वान किया। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि नशामुक्त हिमाचल के लक्ष्य को जमीनी स्तर पर हासिल करने के लिए 15 दिसम्बर को प्रदेश की 234 सबसे ज्यादा नशा प्रभावित पंचायतों और शहरी निकायों में नशा निवारण समितियों की बैठकें आयोजित की गई हैं। इन बैठकों के दौरान जन भागीदारी को सशक्त बनाने तथा स्थानीय हालात का आकलन करने के दृष्टिगत व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया गया। 
    एंटी चिट्टा अवेयरनेस वॉकथॉन के दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों से संवाद भी किया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि चिट्टा किस प्रकार सेहत और समाज के लिए खतरा बन गया है। उन्होंने बच्चों को अपने आस-पास के लोगों को चिट्टे व मादक पदार्थों के दुष्प्र्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए प्रेरित किया।
    इस अवसर पर गुब्बारे व अन्य माध्यम द्वारा नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया गया।
    पुलिस विभाग ने नशे के दुष्प्रभावों के संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।
    मुख्यमंत्री ने वॉकथॉन के आयोजन के लिए पुलिस विभाग और सहभागियों के प्रयासों की सराहना की। 
    तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा बिट्टू, विधायक सुरेश कुमार व कैप्टन रणजीत सिंह, एपीएमसी के अध्यक्ष अजय शर्मा, मुख्य सचिव संजय गुप्ता, पुलिस महानिदेशक अशोक तिवारी, उपायुक्त अमरजीत सिंह, पुलिस अधीक्षक बलबीर सिंह, प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, नशा मुक्ति, रोकथाम एवं पुनर्वास बोर्ड के संयोजक व सलाहकार नरेश ठाकुर, उप-संयोजक संजय भारद्वाज, कांग्रेस नेता पुष्पेन्दर वर्मा, सुभाष ढटवालिया, व विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।  -0-
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  • मुख्यमंत्री ने हिमाचल निकेतन के निर्माण कार्य का निरीक्षण किया छह माह में निर्माण कार्य पूर्ण करने के दिए निर्देश
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज नई दिल्ली के द्वारका स्थित हिमाचल निकेतन का दौरा कर निर्माण कार्य का निरीक्षण किया।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि लगभग 145 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस भवन में 107 कमरे, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, मल्टीपर्पज हॉल, मीटिंग हॉल, डॉर्मिटरी, पार्किंग, गार्डन, ईवी चार्जिंग स्टेशन सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं होंगी। 
    उन्होंने कहा कि यह भवन उपचार, शिक्षा एवं अन्य कार्यों से राष्ट्रीय राजधानी आने वाले हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा तथा लोगों को इस भवन में उच्च स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
    मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इस भवन का निर्माण कार्य छह माह के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों की आवश्यकताओं के प्रति सदैव संवेदनशील रही है और लोगों को प्रदेश के बाहर हर संभव सुविधाएं सुनिश्चित करने के प्रयास कर रही है। 
    हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने राज्य सरकार की सराहना करते हुए कहा कि बड़ी संख्या में विद्यार्थी और मरीज दिल्ली आते हैं और यह भवन उन्हें सुविधाजनक एवं आरामदायक आवास उपलब्ध कराएगा।
    प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग देवेश कुमार ने मुख्यमंत्री को परियोजना से संबंधित विस्तृत जानकारी दी।
    इस अवसर पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष विनय कुमार, प्रमुख आवासीय आयुक्त अजय यादव, मुख्यमंत्री के ओएसडी कर्नल (सेवानिवृत्त) के.एस. बांश्टू तथा लोक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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  • राज्यपाल ने बच्चों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक करने के लिए ‘क्रासिंग्स’ फिल्म की सराहना की
    राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज लोक भवन में ‘क्रासिंग्स’ फिल्म देखने के उपरांत बच्चों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए इस फिल्म की सराहना की। उन्होंने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित फिल्म निर्माता विवेक मोहन की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस फिल्म के माध्यम से एक संवेदनशील और प्रभावशाली संदेश प्रस्तुत किया गया है। फिल्म पर्यावरण संरक्षण पर आधारित है और यह दर्शाती है कि मानव गतिविधियों के कारण किस तरह प्राकृतिक आपदाएं आती हैं।
    विवेक मोहन ने बताया कि ‘क्रासिंग्स’ दो वास्तविक घटनाओं से प्रेरित एक लघु फिल्म है। यह फिल्म ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म उनकी पहले की फिल्म ‘फॉर हूम द जिंगल बेल्स टोल’ में दिए गए संदेश को आगे बढ़ाती है। फिल्म में दर्शाया गया है कि पृथ्वी हमें अपने पूर्वजों से विरासत में नहीं मिली है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की धरोहर है।
    राज्यपाल ने फिल्म की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की रचनात्मक पहलें, सभी लोगों, विशेषकर बच्चों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता लानेे में, बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक संपदा से भरपूर राज्य है और इसे सुरक्षित रखना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।
    राज्यपाल ने कहा कि ‘क्रासिंग्स’ जैसी फिल्में पर्यावरण के प्रति चेतना बढ़ाने में सार्थक योगदान देती हैं और प्रशंसा के योग्य हैं।
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  • मुख्यमंत्री ने एपीएआर सॉफ्टवेयर विकास की प्रगति की समीक्षा की
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज यहां वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) सॉफ्टवेयर के विकास कार्य की प्रगति की समीक्षा की। यह सॉफ्टवेयर डिजिटल टेक्नोलॉजीज एवं गवर्नेंस विभाग द्वारा विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों के लिए एक पारदर्शी, प्रभावी एवं पूर्णतः डिजिटल प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली स्थापित करना है।
    बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को अवगत करवाया गया कि एपीएआर पोर्टल के माध्यम से एपीएआर तथा वार्षिक कार्य योजनाओं की एंड-टू-एंड ऑनलाइन प्रोसेसिंग एक सुव्यवस्थित डिजिटल वर्कफ्लो के तहत की जा सकेगी। यह प्रणाली प्रदर्शन मूल्यांकन प्रक्रिया में निष्पक्षता, जवाबदेही तथा निगरानी में सुगमता सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई है।
    मुख्यमंत्री को बताया गया कि एपीएआर की शुरुआत संबंधित रिपोर्टिंग अथॉरिटी द्वारा तैयार की गई वार्षिक कार्य योजना एवं स्पष्ट रूप से निर्धारित गुणात्मक एवं मात्रात्मक लक्ष्यों के आधार पर की जाएगी। सॉफ्टवेयर में यह प्रावधान भी होगा कि प्रशासनिक आवश्यकताओं एवं बदलती प्राथमिकताओं के अनुरूप व्यक्तिगत अधिकारियों अथवा संपूर्ण कैडर के लक्ष्यों में वार्षिक संशोधन किया जा सके।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि समूह ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ एवं ‘डी’ के सभी कर्मचारियों के लिए एक समान एवं मानकीकृत एपीएआर प्रारूप लागू किया जाएगा, जिससे प्रदर्शन मूल्यांकन में एकरूपता एवं निष्पक्षता सुनिश्चित होगी। पोर्टल के माध्यम से एपीएआर की शुरुआत के समय रिपोर्टिंग, रिव्यूइंग एवं एक्सेप्टिंग अधिकारियों की ऑनलाइन पहचान एवं अनुमोदन की सुविधा भी उपलब्ध होगी।
    मुख्यमंत्री को यह भी अवगत करवाया गया कि यह प्रणाली एक ही वित्तीय वर्ष में एक से अधिक एपीएआर शुरू करने की सुविधा प्रदान करेगी, बशर्ते प्रत्येक एपीएआर की न्यूनतम अवधि तीन माह हो। इससे स्थानांतरण अथवा दायित्वों में परिवर्तन की स्थिति में अधिक सटीक मूल्यांकन संभव हो सकेगा।
    मुख्यमंत्री ने प्रगति की समीक्षा करते हुए सॉफ्टवेयर को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने तथा इसे उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि एपीएआर पोर्टल प्रदर्शन-आधारित शासन को सुदृढ़ करने, पारदर्शिता बढ़ाने तथा सरकारी तंत्र में जवाबदेही की संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा।
    बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (नवाचार, डिजिटल टेक्नोलॉजीज एवं गवर्नेंस) गोकुल बुटेल, विधायक सुरेश कुमार, डिजिटल टेक्नोलॉजीज एवं गवर्नेंस विभाग के निदेशक डॉ. निपुण जिंदल, संयुक्त निदेशक अनिल सेमवाल तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 
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  • शिक्षा में डिजिटल परिवर्तन की नई इबारत
    मुख्यमंत्री ने समग्र शिक्षा निदेशालय में अत्याधुनिक शैक्षणिक अवसंरचना का लोकार्पण किया
    प्रदेश सरकार विद्यार्थियों में 21वीं सदी के कौशल विकसित करने के लिए प्रयासरतः ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने आज समग्र शिक्षा निदेशालय में नव-निर्मित विद्या समीक्षा केंद्र, शिक्षा दीर्घा, कार्यक्रम प्रबंधन स्टूडियोदृसम्मेलन क्षेत्र, नए सम्मेलन कक्ष तथा आधुनिक केंद्रीय ताप व्यवस्था का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह अत्याधुनिक सुविधाएं न केवल प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्य प्रणाली को अधिक सक्षम बनाएंगी, बल्कि हिमाचल प्रदेश में डिजिटल शिक्षा प्रबंधन के एक नए युग की शुरुआत करेंगी। यह पहल सरकार की उस दूरदर्शी सोच का सशक्त प्रमाण है, जिसमें शिक्षा को विकास की रीढ़ माना गया है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में प्रदेश सरकार ने शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए अनेक निर्णायक सुधार लागू किए हैं, जिनके सकारात्मक परिणाम आज स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता के आकलन में हिमाचल प्रदेश ने 21वें स्थान से उल्लेखनीय सुधार करते हुए पांचवां स्थान प्राप्त किया है। यह उपलब्धि शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों की सामूहिक मेहनत के साथ-साथ प्रदेश सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
    उन्होंने कहा कि विद्या समीक्षा केंद्र इस परिवर्तनकारी यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय है। हिमाचल प्रदेश उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है, जहां एकीकृत डिजिटल मंच के माध्यम से शिक्षण, मूल्यांकन, उपस्थिति, संसाधन प्रबंधन और विद्यालय संचालन से संबंधित वास्तविक समय का आंकड़ा उपलब्ध करवाया जा रहा है। ‘अभ्यास हिमाचल’, भू-स्थानिक तकनीक आधारित स्मार्ट उपस्थिति प्रणाली तथा ‘निपुण प्रगति’ जैसे नवाचार विद्यार्थियों के सीखने के स्तर का वैज्ञानिक विश्लेषण सुनिश्चित कर रहे हैं। अब सीखने की कमियों की पहचान अनुमान के आधार पर नहीं, बल्कि ठोस आंकड़ों के माध्यम से की जा रही है, जिससे शिक्षा व्यवस्था अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी और परिणाम-केंद्रित बन रही है।
    उन्होंने कहा कि ‘शिक्षक सहायक’ डिजिटल उपकरण शिक्षकों के लिए एक सशक्त मंच बनकर उभरा है। इसके माध्यम से शिक्षक शिक्षण सामग्री, दिशा-निर्देश और शैक्षणिक संसाधन त्वरित रूप से प्राप्त कर पा रहे हैं, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ प्रशासनिक बोझ में भी कमी आई है। 
    ठाकुर सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता केवल नए संस्थान स्थापित करना नहीं है, बल्कि मौजूदा शैक्षणिक संस्थानों को सशक्त, सक्षम और आधुनिक बनाना है, ताकि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दूरस्थ और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी समान रूप से पहुंच सके। 
    उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार विद्यार्थियों में 21वीं सदी के कौशल विकसित करने के लिए प्रयासरत है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी शैक्षणिक सत्र से प्री-नर्सरी से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों द्वारा स्कूल परिसर में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाएगा। अध्यापक अपने मोबाइल फोन स्टाफ रूम या बैग में रख सकते हैं।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में दृढ़ता से कार्य किया जा रहा है। स्कूली पाठ्यक्रम में संगीत, संस्कृति और भविष्य के विषयों का समावेश भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग में व्यापक स्तर पर भर्तियां करने जा रही है, जिसमें अस्थाई व स्थाई दोनों तरह की भर्तियां की जाएंगी। अस्थाई भर्तियां पांच वर्ष के लिए व स्थाई भर्तियां बैच वाइज व प्रतिस्पर्धा के आधार पर की जाएंगी। मल्टी यूटिलिटी वर्कर्ज की भर्ती भी की जाएगी। आगामी शैक्षणिक सत्र से प्राथमिक विद्यालयों की खेल प्रतिस्पर्धाएं भी आयोजित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2032 तक प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में देश के सबसे बेहतरीन स्कूल होंगे। हिमाचल शिक्षा के क्षेत्र में देश भर में नंबर एक स्थान पर होगा। प्रदेश सरकार द्वारा गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने की परिकल्पना बहुआयामी दृष्टिकोण से की गई है। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग में बेहतर तबादला नीति लाने पर विचार किया जा रहा है। राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल और सीबीएसई पाठ्यक्रम स्कूलों के लिए विशेष कैडर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को शिक्षा विभाग से सबसे अधिक सहयोग प्राप्त हो रहा है।
    इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संकल्प वर्कबुक का विमोचन भी किया। 
    शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि प्रदेश ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है। प्रदेश की साक्षरता दर 99.30 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। प्रदेश सरकार ने सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार किए हैं, जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जा रही है। उन्होंने कहा कि संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए क्लस्टर स्कूल प्रणाली लागू की गई है, जिसके तहत 300 से 500 मीटर की परिधि में स्थित विद्यालयों को एक क्लस्टर के रूप में विकसित किया गया है। इस मॉडल ने पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं, खेल सामग्री और शिक्षकों की विशेषज्ञता का साझा उपयोग संभव बनाया है। इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच और सीखने के अनुभव दोनों में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा की परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स में भी हिमाचल का प्रदर्शन उल्लेखनीय रूप से उभरा है। मेधावी छात्रों के लिए जेईई और एनईईटी कोचिंग की मुफ्त सुविधा प्रदेश सरकार का अत्यंत महत्त्वपूर्ण कदम है। यह पहल सुनिश्चित कर रही है कि आर्थिक स्थिति किसी भी बच्चों के भविष्य के रास्ते में बाधा ना बने। उन्होंने शिक्षा विभाग की विभिन्न पहलों का विस्तार से वर्णन किया। 
    परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा राजेश शर्मा ने समग्र शिक्षा की उपलब्धियांे का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रदेश ने विभिन्न सर्वेक्षणों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। शिक्षकों को आईआईटी और आईआईएम में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। शिक्षण कौशल को और निखारने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है।
    भविष्य उन्मुख शिक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए यूनेस्को के साथ हिमाचल प्रदेश फ्यूचर्स प्रोग्राम के अंतर्गत एक महत्त्वपूर्ण समेझौता किया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा तंत्र में नवाचार, सतत विकास लक्ष्य और वैश्विक सहभागिता को बढ़ावा देना है। 
    इस अवसर पर विधायक सुरेश कुमार, सुदर्शन बबलू, निदेशक शिक्षा आशीष कोहली, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. अमरजीत सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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