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  • उप-मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री से भेंट की
  • मुख्यमंत्री ने टांडा चिकित्सा महाविद्यालय में रॉबोटिक सर्जरी का शुभारम्भ किया
  • हिमाचल प्रदेश बल्क ड्रग पार्क, ऊना को पर्यावरणीय मंजूरी मिली
  • मुख्यमंत्री ने पहाड़ी राज्यों के लिए नाबार्ड द्वारा विशेष नियम निर्धारण की आवश्यकता पर बल दिया
  • एक वर्ष के भीतर मेडिकल कॉलेजों में उल्लेखनीय सुधार किए जाएंगेः मुख्यमंत्री
  • निफ्ट स्नातक अक्षिता शर्मा ने मुख्यमंत्री को कलाकृति भेंट की
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  • निफ्ट स्नातक अक्षिता शर्मा ने मुख्यमंत्री को कलाकृति भेंट की
    निफ्ट दिल्ली स्नातक अक्षिता शर्मा ने आज मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू को एक कलाकृति भेंट की। इस कलाकृति में स्पीति और लाहौल की पारम्परिक कला और संस्कृति को प्रदर्शित किया गया है। इस कलाकृति में हिमालयी आभूषणों में पारंपरिक रूप से उपयोग किए जाने वाले एगेट और जैस्पर पत्थरों का उपयोग किया गया है। कलाकृति में जड़े पत्थर सांस्कृतिक प्रतीक भी हैं। मुख्यमंत्री ने अक्षिता के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें पुरातन शिल्प को पुनर्जीवित करने, सार्थक सांस्कृतिक प्रदर्शनियों का आयोजन करने और हिमाचल की समृद्ध परंपराओं पर आधारित नई उत्पाद श्रृंखलाएं बनाने के लिए बधाई दी।
    निफ्ट दिल्ली से वर्ष 2016 में स्नातक अक्षिता शर्मा एक डिजाइनर और रचनात्मक सलाहकार हैं, जो शिल्प, संस्कृति और समकालीन डिजाइन के संगम पर काम करती हैं। पिछले पांच वर्षों में, उन्होंने हिमाचल प्रदेश भर के कारीगर समूहों और सरकारी निकायों के साथ सहयोग किया है। 
    गाड¬ागुशैनी में भांग से बने पुल्ला शिल्प को पुनर्जीवित करने से लेकर प्रधानमंत्री, भारत के राष्ट्रपति और आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु के लिए उपहार तैयार करने तक, अक्षिता आधुनिक संदर्भों में हिमाचल की विरासत को प्रदर्शित करने में अग्रणी रही हैं। उन्होंने नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में भी राज्य का प्रतिनिधित्व किया है। अपने मिशन को जारी रखते हुए, अक्षिता संस्थानों, स्टार्टअप्स और कारीगर समुदायों के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिल्प उनके गृह राज्य में रोजमर्रा की जिंदगी का एक जीवंत हिस्सा बना रहे।
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  • एक वर्ष के भीतर मेडिकल कॉलेजों में उल्लेखनीय सुधार किए जाएंगेः मुख्यमंत्री
    मुख्यमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज चिकित्सा शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य सरकार एक वर्ष के भीतर हिमाचल प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में उल्लेखनीय सुधार करेगी। उन्होंने कहा कि इससे लोगों को ईलाज के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और उन्हें प्रदेश में ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मेडिकल कॉलेजों की कार्य प्रणाली को सुव्यवस्थित कर रही है। अटल सुपर-स्पेशलिटी आयुर्विज्ञान संस्थान चमियाना और टांडा मेडिकल कॉलेज में रोबोटिक सर्जरी शुरू की जा चुकी है और चरणबद्ध तरीके से इस सुविधा का राज्य भर के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी विस्तार किया जाएगा।
    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सभी मेडिकल कॉलेजों में कर्मचारियों, उपकरणों और मशीनरी की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर बल दे रही है। राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए धन की कोई कमी नहीं आने देगी। प्रदेश सरकार डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और तकनीकी कर्मचारियों की कमी को दूर करने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों में उचित साफ-सफाई बनाए रखने के निर्देश दिए और कहा कि लापरवाही की स्थिति में जवाबदेही तय की जाएगी।
    ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि चमियाना, हमीरपुर और चंबा मेडिकल कॉलेजों में 25-25 करोड़ रुपये की लागत से स्वचालित प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। उन्होंने चंबा मेडिकल कॉलेज में क्रिटिकल केयर ब्लॉक का निर्माण इस वर्ष अक्तूबर माह तक पूरा करने के निर्देश दिए और बताया कि राज्य सरकार वहां शैक्षणिक ब्लॉक के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाएगी। मेडिकल कॉलेज चंबा में वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए छात्रावास भी बनाए जाएंगे।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नर्सिंग स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए नाहन, हमीरपुर, कुल्लू और चंबा में अगले शैक्षणिक सत्र से नर्सिंग कॉलेज शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी स्वास्थ्य संस्थान अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार डॉक्टर-रोगी और नर्स-रोगी अनुपात सुनिश्चित करेंगे, ताकि लोगों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकें। उन्होंने सभी मेडिकल कॉलेजों से ओपीडी और आईपीडी सम्बंधी डेटा भी मांगा।
    बैठक में सचिव स्वास्थ्य एम. सुधा देवी, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, विशेष सचिव अश्विनी शर्मा, निदेशक स्वास्थ्य शिक्षा राकेश शर्मा, निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं गोपाल बेरी उपस्थित थे तथा सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य वर्चुअली शामिल हुए।
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  • मुख्यमंत्री ने पहाड़ी राज्यों के लिए नाबार्ड द्वारा विशेष नियम निर्धारण की आवश्यकता पर बल दिया
    राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के उप-प्रबंध निदेशक गोवर्धन सिंह रावत ने आज मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से ओक ओवर में शिष्टाचार भेंट की। मुख्यमंत्री ने नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा प्रदेश सरकार और नाबार्ड के मुख्य कार्यालय के मध्य समन्वय को सुदृढ़ करने में निभाई गई भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि इससे महत्वपूर्ण मामलों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित हुआ है।
    मुख्यमंत्री ने नाबार्ड से ग्राउंड माउंटिड सौर परियोजनाओं को ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (आरआईडीएफ) के अंतर्गत वित्त पोषण के लिए पात्र मानने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि ऐसी परियोजनाओं से पंचायतों को ऊर्जा में आत्मनिर्भरता हासिल करने और राज्य सरकार के हरित हिमाचल के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने आरआईडीएफ सहायता के अंतर्गत इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने का भी अनुरोध किया।
    पहाड़ी राज्यों की भौगोलिक चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने वार्षिक राज्यवार आवंटन तय करते समय 11 पहाड़ी राज्यों के लिए अलग मानदंड बनाने का अनुरोध किया। उन्होंने सुझाव दिया कि वन क्षेत्र, हरित पहल और पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान जैसे मापदंडों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
    मुख्यमंत्री ने नाबार्ड से राज्य योजना विभाग को मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्र में उपभोक्ताओं तक एक मजबूत और निर्बाध आपूर्ति एवं मूल्य श्रृंखलाएं विकसित करने में सहायता प्रदान करने का आग्रह भी किया। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी। उन्होंने सुधार के दृष्टिगत नाबार्ड द्वारा स्वीकृत कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के दौरान परियोजनाओं के अनुरूप विशेष परिवर्तन करने के लिए राज्य सरकारों को अधिक अधिकार प्रदान करने पर बल दिया।
    नाबार्ड अधिकारियों ने बताया कि धारा 118 के प्रावधानों के कारण सहकारी समितियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से उनके कार्यक्षेत्र का दायरा सीमित होता है। उन्होंने नई समितियां बनाने के बजाय दूध खरीद का कार्य प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों को सौंपने और इन समितियों के कम्प्यूटरीकरण में तेजी लाने का भी सुझाव भी दिया।
    मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि नाबार्ड के सभी सुझावों पर विचार किया जाएगा और व्यावहारिक सुझावों को राज्य की विकास रणनीति में शामिल किया जाएगा। उन्होंने सतत विकास और ग्रामीण समृद्धि में योगदान देने वाले नवाचारों के प्रति राज्य सरकार की कार्यनीति से अवगत करवाया। नाबार्ड के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार के सुझावों पर विचार किया जाएगा और उन्हें भविष्य के दिशा-निर्देशों में शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।
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  • मुख्यमंत्री ने टांडा चिकित्सा महाविद्यालय में रॉबोटिक सर्जरी का शुभारम्भ किया
    महाविद्यालय में बीएससी नर्सिंग की सीटें बढ़ाकर 60 करने की घोषणा 
     
    मुख्यमंत्री ठाकुर सखविंद्र सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को चंडीगढ़ से जिला कांगड़ा में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय, टांडा में 30 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित रॉबोटिक सर्जरी सुविधा का वर्चुअल माध्यम से शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री का व्यक्तिगत रूप से इसका उद्घाटन करने का कार्यक्रम था, लेकिन खराब मौसम के कारण उनका हैलीकॉप्टर वहां उतर नहीं सका। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेशवासियों को घर-द्वार के निकट आधुनिक तकनीकयुक्त विशेषज्ञ स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि हाल ही में शिमला के अटल इंस्टीच्यूट ऑफ मेडिकल सुपर स्पेशियलिटी, चमयाणा में भी रॉबोटिक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
    श्री सुक्खू ने कहा कि प्रदेश की बागडोर संभालने के उपरान्त राज्य सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। स्वास्थ्य संस्थानों में निरंतर आधुनिक तकनीकें उपलब्ध करवाई जा रही हैं और भविष्य में भी इस क्षेत्र के विकास में धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि टांडा चिकित्सा महाविद्यालय में पैट स्कैन मशीन स्थापित की जाएगी ताकि मरीजों को जांच के लिए राज्य के बाहर न जाना पड़े। राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों में आपातकालीन विभाग को भी सुदृढ़ किया जाएगा। 
    उन्होंने टांडा चिकित्सा महाविद्यालय में बीएससी नर्सिंग की सीटों को बढ़ाकर 60 करने की घोषणा की। 
    मुख्यमंत्री ने कहा कि हमीरपुर, चंबा, नेरचौक और नाहन चिकित्सा महाविद्यालयों में भी रॉबोटिक सर्जरी की सुविधा चरणबद्ध तरीके से शुरू की जाएगी ताकि प्रदेश के अधिक से अधिक लोगों को इस सुविधा का लाभ मिल सके। प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों में 150 से 200 पैरामेडिकल स्टाफ भी तैनात किया जाएगा ताकि मरीजों को स्टाफ की कमी का सामना न करना पड़े। इसके अलावा, राज्य में 50 ऑप्रेशन थियेटर रेडियोग्राफर के पद भी सृजित किए जाएंगे और अपने क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले चिकित्सकों को प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे। 
    स्वास्थ्य मंत्री डॉ. (कर्नल) धनीराम शांडिल, कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, आयुष मंत्री यादविंद्र गोमा, राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष भवानी सिंह पठानिया, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष आर.एस. बाली, विधायक संजय रत्तन, किशोरी लाल व आशीष बुटेल, एचआरटीसी के उपाध्यक्ष अजय वर्मा, पूर्व विधायक अजय महाजन और सुरेंद्र काकू, उपायुक्त हेमराज बैरवा, पुलिस अधीक्षक अशोक रत्तन, टांडा चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. मिलाप शर्मा, उद्घाटन समारोह के दौरान टांडा चिकित्सा महाविद्यालय में उपस्थित थे जबकि उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया मुख्यमंत्री के साथ चंडीगढ़ से वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन समारोह से जुड़े।
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  • मुख्यमंत्री राहत कोष में असम सरकार ने पांच करोड़ रुपये का अंशदान किया
     
    हिमाचल प्रदेश में इस मानसून के दौरान हुई भारी बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए असम सरकार की ओर से विद्युत, कौशल, रोजगार और उद्यमिता मंत्री प्रशांत फुकन ने आज नई दिल्ली में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए 5 करोड़ रुपये का चेक भेंट किया।
    इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड की ओर से सीनियर मैनेजर लिगल एंड कॉरपोरेट अफेयर्स श्री राहुल बग्गा ने मुख्यमंत्री को 50 लाख रुपये का चेक भेंट किया।
    हिमाचल प्रदेश राज्य परिवहन के निदेशक बलदेव ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए एक लाख रुपये का चेक मुख्यमंत्री को भेंट किया। 
    मुख्यमंत्री ने अंशदान के लिए सभी दानकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संकट के इस समय में मुख्यमंत्री राहत कोष में विभिन्न राज्यों की सरकारें, संगठन और दानी सज्जन उदारतापूर्ण दान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योगदान से आपदा प्रभावित परिवारों को राहत प्रदान करने और उनके पुनर्वास में मदद मिलेगी।
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  • मुख्यमंत्री ने केंद्र से विशेष राहत पैकेज की मांग की
    समीक्षा बैठक के दौरान प्रधानमंत्री के समक्ष हिमाचल से जुड़े विभिन्न मामलों को उठाया
     
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को हिमाचल प्रदेश में इस मानसून के दौरान भारी बारिश और बाढ़ के कारण उत्पन्न स्थिति का आकलन करने के लिए आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। इसके उपरांत उन्होंने कांगड़ा हवाई अड्डे में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की।
    बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री को इस मानसून सीजन में भारी बारिश के कारण हुए नुकसान से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार प्रभावित परिवारों को प्रदेश के सीमित संसाधनों से हर संभव सहायता प्रदान कर रही है। लेकिन प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से तत्काल अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है। 
    श्री सुक्खू ने वन संरक्षण अधिनियम के तहत छूट प्रदान करने का आग्रह किया ताकि विस्थापित परिवारों को वन भूमि पर बसाया जा सके क्योंकि हिमाचल प्रदेश में 68 प्रतिशत भूमि वन भूमि के तहत है। मुख्यमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारी बारिश के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य के संसाधन अपर्याप्त हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से विशेष राहत पैकेज की मांग की। इसके अतिरिक्त उन्होंने कंेद्र से दो प्रतिशत अतिरिक्त उधार सीमा की अनुमति देने का आग्रह किया ताकि प्रभावितों को प्रभावी तरीके से राहत प्रदान की जा सके। 
    आपदा के कारण क्षतिग्रस्त सरकार की परियोजनाओं के लिए अपर्याप्त सहायता को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने वर्तमान मापदंडों में संशोधन पर बल देते हुए कहा कि क्षतिग्रस्त परियोजनाओं के सुधार कार्यों में नई परियोजनाओं के निर्माण कार्यों की तुलना में अधिक व्यय होता है। अभी तक राज्य सरकार को बहुत कम और विलंब से सहायता मिल रही है। बाढ़ की स्थिति में महीनों तक बंद रहने वाली राज्य की जल विद्युत परियोजनाओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान फ्रेक वर्क में इस प्रकार की क्षति का आकलन नहीं किया जाता है। उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया कि हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस दृष्टिकोण पर पुनर्विचार किया जाए।
     मुख्यमंत्री ने राज्य की विकासात्मक परियोजनाओं के लिए केंन्द्रीय सहायता की मांग की। इसके अतिरिक्त उन्होंने जलविद्युत उत्पादन से मुफ्त रॉयलिटी की मांग, 40 वर्षों के उपरांत केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व वाली बिजली परियोजनाओं को राज्य को हस्तातंरित करने की हिमाचल की मांग को भी दोहराया। उन्होंने कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण परियोजनाओं के अन्तर्गत ऑल वेदर सुरंगों के निर्माण और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में संपर्क सुविधा सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक पर्वतीय मार्गोें के विकास के लिए भी केंद्र से सहयोग का आग्रह किया। कुल्लू से मनाली जाने वाले यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत महत्त्वपूर्ण भूभूजोत सुरंग परियोजना संबंधी मामला भी प्रधानमंत्री के समक्ष रखा।
    मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण करने और प्रदेश के लिए बहुमूल्य समय देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया।
    बैठक में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठाानिया, कृषि मंत्री चंद्र कुमार, आयुष मंत्री यादविन्द्र गोमा, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर, सांसद डॉ. राजीव भारद्वाज और कंगना रणौत, उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत और मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। 
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