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21th May 2017

धार्मिक संस्थानों के संरक्षण के लिए हिमाचल सरकार ने किया निधि का सृजन

अनुदान के माध्यम से धार्मिक संस्थानों का समुचित रख-रखाव और इनकी आमदनी में वृद्धि होगी सुनिश्चित 
‘देव भूमि’ के रूप में विख्यात हिमाचल प्रदेश में धार्मिक संस्थानों की एक समृद्ध विरासत है। इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहले करते हुए आवर्ती निधि के माध्यम से धार्मिक सस्ंथानों की पूजा-अर्चना एवं रख-रखाव के लिए अनुदान योजना आरंभ की है। 
विगत में प्रदेश के बहुत से मन्दिरों की अपनी भू-सम्पदा थी, जिससे प्राप्त आय का उपयोग धार्मिक सस्ंथानों के रख-रखाव व दैनिक पूजा-अर्चना इत्यादि के लिए किया जाता था। विभिन्न भूमि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन के कारण बहुत से धार्मिक सस्ंथानों की भू-सम्पदा मुजारों अथवा सरकार में निहित होने के फलस्वरूप उनकी आय में भारी कमी आई है। इसके कारण धार्मिक सस्ंथानों का रख-रखाव, यहां तक कि नियमित पूजा-अर्चना भी ठीक तरह से नहीं हो पा रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हिमाचल सरकार ने आवर्ती निधि का सृजन किया है।
आवर्ती निधि के सृजन का उद्देश्य धार्मिक सस्ंथानों में नित्य प्रति पूजा आदि विधिवत् संचालनए इन सस्ंथानों का समुचित रख-रखाव और रख-रखाव के लिए इनकी आय बढ़ाना है। भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक को आवर्ती निधि की राशि को वित्त विभाग द्वारा समय-समय पर जारी नियमों के अनुसार सर्वाधिक ब्याज देने वाले राष्ट्रीय अथवा राज्य सहकारी बैंक में विभिन्न अवधि की सावधि जमा खाता योजना में जमा करवाएंगे। इससे प्राप्त ब्याज राशि का सदुपयोग, योजना के कार्यान्वयन के लिए किया जाएगा। इस प्रकार, कुल प्राप्त ब्याज राशि से इस योजना में आने वाले धार्मिक सस्ंथानों को वार्षिक या एकमुश्त अनुदान प्रदान किया जाएगा। सावधि व बचत खातों के संचालन का उत्तरदायित्व विभागीय निदेशक को सौंपा गया है। 
अनुदान दो प्रकार से उपलब्ध करवाया जाएगा- वार्षिक अथवा एकमुश्त अनुदान। वार्षिक अनुदान के अंतर्गत धार्मिक सस्ंथानों में नित्य प्रति पूजा आदि को विधिवत चलाने व रख-रखाव करने के लिए हर वर्ष एक निश्चित धनराशि अनुदान के रूप में प्रदान की जाएगी। वहीं, धार्मिक सस्ंथानों की आय बढ़ाने, संसाधनों व परिसम्पत्तियों के सृजन के लिए एकमुश्त अनुदान प्रदान किया जाएगा ताकि ये सस्ंथान आत्मनिर्भर बन सकें। इसके लिए ये संस्थान विभिन्न गतिविधियां चला सकते हैं जैसे- खाली भूमि जिस पर इनको स्वामित्व प्राप्त है, पर सराय, दुकानें, पार्किंग, होटल इत्यादि का निर्माण अथवा कोई भी ऐसा कार्य जो इन संस्थानों की निरन्तर आय का साधन बन सके। सरकार ने प्रावधान किया है कि जिन धार्मिक सस्ंथानों को एकमुश्त अनुदान दिया जाएगा, उनकी वार्षिक अनुदान की पात्रता समाप्त हो जाएगी।
आवर्ती निधि से अनुदान प्राप्त करने के लिए वही धार्मिक सस्ंथान पात्र होगें, जिनकी भूमि विभिन्न भू-सुधार अधिनियमों के अन्तर्गत मुजारों अथवा सरकार में निहित हुई है। हिमाचल प्रदेश हिन्दू सार्वजनिक धार्मिक सस्ंथान एवं पर्तू विन्यास अधिनियम, 1984 की अनुसूची-1 में शामिल मन्दिर तथा हिमाचल प्रदेश प्राचीन एवं ऐेतहासिक स्मारक एवं पुरातात्त्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1976 के अंतर्गत राज्य संरक्षित स्मारक तथा प्राचीन संस्मारक एवं पुरातात्त्विक स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1958 के अंतर्गत केन्द्रीय सरंक्षित स्मारक व निजी स्वामित्व वाले धार्मिक सस्ंथान   अनुदान के पात्र नहीं होंगे। धार्मिक सस्ंथा की जिस भूमि का अधिग्रहण हुआ है और अगर उसका मुआवजा धार्मिक संस्थान को मिल चुका है, वह भूमि भी इस अनुदान योजना के अंतर्गत गणना में नहीं ली जाएगी।
वार्षिक अनुदान का लाभ उठाने के लिए पात्र धार्मिक सस्ंथान के अध्यक्ष अथवा कारदारों को निर्धारित प्रपत्रों पर अपेक्षित दस्तावजों सहित सम्बन्धित ज़िला भाषा अधिकारी को आवेदन करना होगा। विभाग किसी भी धार्मिक संस्थान को हर वर्ष अनुदान प्रदान करेगा लेकिन वह इसके लिए बाध्य नहीं है। यह आवर्ती निधि में उपलब्ध राशि और इस योजना में समय-समय पर होने वाले संशोधनों पर निर्भर होगा। अनुदान ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर दिया जाएगा।
एकमुश्त अनुदान प्रक्रिया के अंतर्गत सहायता अनुदान राशि सम्बिंधत उपायुक्त के माध्यम से खण्ड विकास अधिकारी को प्रदान की जाएगी, जो इस राशि को आवेदक को कार्य की प्रगति व आवश्यकतानुसार जारी करेंगे।
वार्षिक अनुदान का आधार, मुजारों अथवा सरकार में निहित भूमि (इसमें वह भूमि शामिल नहीं होगी, जिसका मुआवजा मिल चुका है) की मात्रा तथा आय-व्यय के अंतर के आधार पर होगा। परिसम्पत्तियों के निर्माण कार्य को समय-समय पर भाषा एवं संस्कृति विभाग के अधिकारियों को देखने की खुली छटू होगी और वे इन कार्यां मे आवश्यक परिवर्तन भी आवदेक समितियों को बताएंगे। यह भी प्रावधान किया गया है कि सहायता अनुदान प्राक्कलन की जिन कार्य मदों के लिए दिया गया है, वह उसी पर खर्च हो अन्यथा सारी राशि ब्याज सहित वापस ली जाएगी।
 

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