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1st February 2015

हिमाचल के लोगों की बुनियादी स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति कर रहा है आयुर्वेद

भारतीय औषधीय पद्धति और होम्योपेथी की प्राचीनकाल से ही स्वास्थ्य चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। हिमाचल प्रदेश में बहुमूल्य औषधीय सम्पदा है और औषधीय परिसम्पत्तियों के दोहन के लिए प्रदेश सरकार कृतसंकल्प है, और इनके प्रोत्साहन एवं संरक्षण के लिए आवश्यक पग उठा रही है। शीत ऋतु के आम रोगों से लेकर स्मरणशक्ति में सुधार एवं अन्य घरेलू उपचारों के लिये प्रयुक्त किए जाने वाले औषधीय पौधों के महत्व तथा इनके प्रति देश के लोगों की जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भारतीय चिकित्सा प्रणाली को नया आयाम प्रदान करके राज्य में बुनियादी आयुर्वेद ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिये अतिरिक्त प्राथमिकता दी है। प्रदेश के विभिन्न भागों में कार्यरत आयुर्वेदिक अस्पतालों, आयुर्वेदिक/होम्योपैथी/यूनानी/आमची स्वास्थ्य केन्द्रों के माध्यम से राज्य के लोगों को मूल स्वास्थ्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्य के विभिन्न भागों में विद्यमान औषधीय पौधों की खेती, इसके प्रसार और औषधीय बागीचों में दुर्लभ एवं लुप्त हो रहे औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए राज्य की दवा कम्पनियां, सरकारी तथा निजी क्षेत्र की आयुर्वेदिक दवा कम्पनियों के माध्यम से गुणवत्तायुक्त औषधियों का निर्माण कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद विभाग अनुसंधान गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं आयुर्वेद से जुड़ी अन्य गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। प्रदेश में वर्तमान में 23 आयुर्वेदिक अस्तपाल और दो क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अस्पतालों के माध्यम से लोगों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है। इसके अलावा, अनुसंधान एवं शिक्षा की जरूरतों, विद्यार्थियों को बीएएमएस कोर्स करने की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। कांगड़ा जि़ला में राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक कालेज, पपरोला देश के शीर्ष स्नातकोत्तर कालेजों तथा देश के 10 अग्रणी आयुर्वेदिक संस्थानों में एक है। इस कालेज ने भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् (आईसीसीआर) योजना के अन्तर्गत तीन विदेशी विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया है। अमेरिका के बस्तर विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है जिसके तहत इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थी कालेज में प्रशिक्षण के लिए आ रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप काॅलेज ने अन्तरराष्ट्रीय दर्जा हासिल किया है। भारत सरकार के आयुष विभाग ने पांच करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के साथ वृद्धजनों के स्वास्थ्य उपचार के लिए एक प्रतिष्ठित क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित करने की स्वीकृति प्रदान की है। इस केन्द्र के परिसर के विस्तार के लिए राज्य सरकार ने कालेज के साथ लगती 36 कनाल भूमि का अधिग्रहण किया है। इस अस्पताल के साथ 215 बिस्तरों वाले राजीव गांधी राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल एवं कालेज को संबद्ध किया गया है। अस्पताल में सालाना लगभग एक लाख बाह्य रोगी तथा 6000 आन्तरिक रोगी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। कालेज अस्पताल में आपातकालीन विशेषज्ञ सेवाएं, प्रसव कक्ष, सी-आर्म सहित आॅप्रेशन थियेटर, पंचकर्मा, क्षारसूत्र, टीकाकरण के अतिरिक्त काया-चिकित्सा, नेत्र रोग, दंत रोग, मुख-नाक-कर्ण रोग और योग जैसी उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं। राज्य सरकार ने आयुर्वेद प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए केन्द्र सरकार की स्वीकृति के पश्चात् शैक्षणिक सत्र 2015-16 में बीएएमएस की सीटों को 50 से बढ़ाकर 60 करने का निर्णय लिया है। वरिष्ठ प्राध्यापकों के पदों को पुनः बहाल किया गया है और वर्ग-दो का वजीफ़ा और स्नात्कोत्तर प्रशिक्षुओं के लिए अखिल भारतीय कोटे को भी पुनः बहाल किया गया है। कालेज एवं अस्पताल के अंशकालीन कर्मियों को नियमित करने के अतिरिक्त सभी पात्र शिक्षक संकाय को पदोन्नति के लाभ दिए गए हैं। आयुर्वेद विभाग ने प्रदेश की जड़ी-बूटी सम्पदा के प्रोत्साहन एवं संरक्षण के लिये एक कार्यक्रम की शुरूआत की है, जिसके अन्तर्गत अलग-अलग कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों में हर्बल गार्डन स्थापित किए जा रहे हैं। वर्तमान में राज्य के कृषि जलवायु क्षेत्रों में अनेकों हर्बल गार्डन स्थापित किए गए हैं, जिनमें मण्डी जिले के जोगिन्द्रनगर, हमीरपुर के नेरी, शिमला जिले के रोहड़ू के धमरेड़ा तथा बिलासपुर जिले के जंगल थरेड़ा शामिल हैं। कृषि जलवायु क्षेत्रों में औषधीय पौधों की असली प्रजातियों का पता लगाने, प्रदेश के लोगों की आय में बढ़ौतरी करने के उद्देश्य से औषधीय पौधों की कृषि तकनीक को विकसित करके औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, औषधीय पौधों के महत्व और इनके विभिन्न पहलुओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ उपचार-पंचकर्मा आयुर्वेद की अनूठी चिकित्सा प्रक्रियाओं में से है, जो शरीर में विकृत दोषों को जड़ से समाप्त करके स्वास्थ्य को सामान्य बनाता है। पंचकर्मा चिकित्सा सुविधा राजीव गान्धी राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला, जिला आयुर्वेदकि अस्पताल बिलासपुर और कांगड़ा के जिला अस्पताल धर्मशाला में उपलब्ध करवाई गई है। जारीकर्ताः निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग

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