हाईड्रो इंजीनियरिंग कालेज से लाभान्वित होगा जल विद्युत क्षेत्र
हिमाचल प्रदेश एक छोटा पर्वतीय राज्य है। प्रकृति ने इस पहाड़ी राज्य के लोगों को अनेक प्राकृतिक उपहारों से नवाजा है। प्रकृति के ये खजाने जहां पर्यटन क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में विद्यमान हैं वहीं यहां वर्ष भर बहने वाली अनेक नदियों में विद्युत उत्पादन की अपार क्षमता मौजूद है। हिमाचल प्रदेश ऊर्जा सरप्लस राज्य है जहां मांग पर ऊर्जा उपलब्ध होने के साथ-साथ आम उपभोक्ताओं को नियमित आपूर्ति के अतिरिक्त उद्योगों, वाणिज्य व व्यवसायों की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं ।
हिमाचल प्रदेश में 24 हजार मैगावाट जल विद्युत के दोहन की क्षमता है जिसे राज्य में बहने वाली नदियों से तैयार किया जा सकता है। इसमें से राज्य ने विभिन्न पूरी हो चुकी तथा निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए 21500 मैगावाट का आबंटन किया है। इस क्षेत्र में मौजूद क्षमता का अधिक से अधिक दोहन करने के लिए इसमें सार्वजनिक तथा निजी उद्यमियों को शामिल किया गया है। विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से अभी तक 10351 मैगावाट की क्षमता का पहले ही सफलतापूर्वक दोहन व संचालन किया जा रहा है । सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड तथा नेशनल थर्मल विद्युत निगम जैसे बड़े राष्ट्रीय ऊर्जा उत्पादक उपक्रम राज्य में जल विद्युत उत्पादन में सक्रिय भूमिका निभाकर कर राज्य की आर्थिकी को सुदृ़ढ़ करने में अहम योगदान दे रहे हैं।
1281.50 करोड़ लागत की 100 मैगावाट की ऊहल चरण-3 परियोजना का निर्माण पूरा होने वाला है। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड को 16 मैगावाट की देवीकोठी, 16.50 मैगावाट की साईकोठी, 18 मैगावाट की हेल जल विद्युत परियोजना, 18 मैगावाट की रायसन, 60 मैगावाट की बटसेरी तथा 9 मैगावाट की नई नोगली परियोजनाएं आबंटित की हैं।
विश्व के वर्तमान पर्यावरण परिदृष्य के मद्देनजर उद्योग एवं वाणिज्य के परिसंचालन के लिए स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा पर बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार भी पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है तथा परियोजना वाले क्षेत्रों में विकास को विशेष तरजीह प्रदान की जा रही है।
इन परियोजनाओं में विभिन्न स्तरों पर विभिन्न श्रेणियों के कुशल कामगारों की बड़ी संख्या में आवश्यकता होगी। वर्तमान में भी प्रदेश में कुशल इंजीनियरों की कमी होने के कारण बाहरी राज्यों के इंजीनियरों की सेवाएं लेनी पड़ रही है।
बिलासपुर जिला के बंदला में हाईड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के खुलने से जल विद्युत के क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले इंजीनियर तैयार होंगे जिससे उद्योगों, विशेषकर जल विद्युत परियोजनाओं में इंजीनियरों की मांग को पूरा किया जा सकेगा।
राज्य सरकार ने इस हाईड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के सार्वजनिक उद्यमियों एनटीपीसी तथा एनएचपीसी का सहयोग प्राप्त करने की पहल की है। इस कालेज में मैकेनिकल, सिविल, इलैक्ट्रिकल तथा कम्प्युटर साइंस आदि चार संकाय होंगे जिसके आरम्भ होने से प्रदेश के युवाओं को उनके घर-द्वार पर हाईड्रो इंजीनियरिंग की शिक्षा सुलभ होने के साथ-साथ रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
हाईड्रो इंजीनियरिंग कालेज के लिए पर्याप्त भूमि प्रदान करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा विभाग को 62 बीघा जमीन हस्तांतरित की है। सरकार ने इस संस्थान के परिसर के निर्माण के लिए 82 करोड़ रूपये की प्रशासनिक मंजूरी भी प्रदान की है।