स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन बसता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में स्वास्थ्य अधोसंरचना विकसित करने के साथ-साथ गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आधुनिक सुविधाएं सुनिश्चित करने, बेहतर अधोसंरचना, अनुसंधान सुविधाएं और स्वास्थ्य संसाधनों में पर्याप्त चिकित्सकों एवं अन्य पेरामैडिकल स्टॉफ की तैनाती के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। स्वास्थ्य संस्थानों को स्तरोन्नत करने साथ-साथ नये स्वास्थ्य संस्थान खोले जा रहें हैं। राज्य सरकार के सशक्त प्रयासों की बदौलत हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य मानकों में देश भर में अग्रणी बन कर उभरा है।
राज्य में विशाल हर्बल संपदा विद्यमान है, और प्रदेश सरकार पारंपरिक भारतीय चिकित्सा परिसंपतियों के समुचित दोहन के प्रति वचनवद्ध है। इन बहुमूल्य परिसंपतियों के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक पद उठाए गए हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धति ने नये आयाम स्थापित करने के लिए आर्युवेदिक अधोसंरचना विकसित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की जा रही है। प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा पद्धति तथा होम्योपेथी की स्वास्थ्य उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
वर्तमान में प्रदेश में 33 आयुर्वेदिक अस्पताल, 1204 आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र 14 होम्योपैथिक स्वास्थ्य केंद्र, 3 युनानी स्वास्थ्य केंद्र, 4 अमाची स्वास्थ्य केंद्र कार्यरत हैं।
वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य सरकार ने 43,65,587 रोगियों का सामान्य चिकित्सा उपचार, 23,893 रोगियों का पंचकर्मा तथा 19,224 रोगियों का क्षारसूत्रा करवाया है, जबकि वर्ष 2016-17 के दौरान अभी तक 43.54 लाख रोगियों का चिकित्सा उपचार किया गया है। काया-चिकित्सा, आर्थो, शल्य तथा शालक्य तन्त्र विशेषज्ञों द्वारा राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों पूह, सांगला और रिकांगपिओ में बहु-उद्देशीय शिविरों का नियमित तौर पर आयोजन किया जा रहा है। गत वर्ष कुल्लू दशहरा के दौरान मडिसिन, सर्जरी, आंख, नाक व कान, प्रसूति तन्त्र, स्त्री रोग, योग, नैचरोपैथी व क्षारसूत्रा विशेषज्ञ शिविरों का आयोजन भी किया गया। इसके अतिरिक्त, हर्बल मेडिसिनल पौधों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
आयुर्वेद विभाग ने राज्यों में हर्बल सम्पदा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में हर्बल गार्डन स्थापित किए हैं, जिनमें हर्बल गार्डन जोगेंन्द्रनगर, नेरी, हमीरपुर, शिमला जिला के धुमरेरा ‘रोहडू’ व बिलासपुर जिला के जंगल तलेडा शामिल हैं। संबंधित कृषि जलवायु क्षेत्रों में पौधों की वास्तविक प्रजातियों की पहचान के दष्टिगत राज्य सरकार औषधीय पौधों को उगाने के लिए कृषि तकनीक को विकसित कर रहीं है, ताकि प्रदेश के लोगों की आय को बढाया जा सके। प्रदेश में लोगों में विभिन्न औषधीय पौधों के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
आयुर्वेद प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार ने राजकीय राजीव गांधी सनात्कोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला में अगले शैक्षणिक सत्र से आयर्वेद चिकित्सा एवं शल्य चिकित्सा, स्नातक की सीटों को 50 से बढाकर 60 किया गया है। इसके अतिरिक्त, काया चिकित्सा, शालक्य तंत्र, शल्य तंत्र, प्रसूति तंत्र, संहिता तथा सिद्धांत, द्रव्य गुण, रोग निदान स्वास्थ्य वृता, पंचकर्म बालरोगड, रास शास्त्र में भी स्नातकोतर सीटें उपलब्ध हैं। प्रदेश सरकार ने जोगेंद्रनगर में बी.फार्मेसी पाठ्यक्रम आरंभ किया है जिसमें 30 विद्यार्थीयों के अध्ययन की क्षमता है।
विभाग राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे जननी शिशु योजना, परिवार कल्याण, अनिमिया मुक्त, एड्स उनमूलन तथा पल्सपोलियो जैसे अभियानों में शामिल होकर प्रदेश के अधिकांश लोगों की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा कर रहा है। जनजातीय व दूरदराज क्षेत्रों में बहुउद्वेशीय शिविरों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। प्रदेश के जनजातीय तथा दूर दराज क्षेत्रों में रह रहे लोगों की सुविधा के लिए आमची स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किया गया है, जिसमें मौसमी तथा जीर्ण बीमारियों का भारतीय चिकित्सा पद्धती संस्थानों से संबंधित स्वदेशी प्रणाली से स्वास्थ्य उपचार किया जा रहा है।
प्रदेश के विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में 17 स्थानों पर पंचकर्मा विशेषज्ञ सेवाएं तथा 9 क्षारसुत्र इकाईयां स्थापित की गई हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ जैसे पंचकर्म क्षारसुत्र उपचारात्मक योग इत्यादी सेवाएं भी कुछ आयुर्वेदिक असपतालों में प्रदान की जा रही है। आयुर्वेदिक अस्पतालों में प्रशिक्षित पैरा-मेडिकल कर्मचारी तैनात किए गए हैं। प्रदेश सरकार ने चार आमची स्वास्थ्य केंद्र, तीन युनानी स्वास्थ्य केंद्र और एक औषधी परीक्षण प्रयोगशाला मंण्डी जिला के जोगेन्द्रनगर में स्थापित की है। इसके अतिरिक्त, तीन विभागीय आयुर्वेदिक फार्मेसी आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण कर प्रदेश में निःशुल्क वितरित कर रही हैं। ये फामसियां सिरमौर जिला के माजरा, मंण्डी जिला के जोगेंद्रनगर तथा कांगडा जिला के पपरोला में स्थापित की गई हैं।