राज्य में चालू वित्त वर्ष के दौरान कुल 12000 आवासों के निर्माण का लक्ष्य
आवास मानव जीवन के लिए बुनियादी आवश्यकताओं में से है। एक सामान्य नागरिक के पास अपने आवास का होना, उसे आर्थिक सुरक्षा और समाज में प्रतिष्ठा प्रदान करता है। ऐसे में समाज के गरीब व पिछडे़ वर्गों के परिवारों को अपना मकान मुहैया करवाने के लिए सरकार ने इंदिरा व अटल आवास योजनाएं शुरु की हैं। प्रदेश के प्रत्येक गरीब परिवार को यह आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल हो, इसके लिए सरकार द्वारा इस वर्ष सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को उन्हें अपना आशियाना प्रदान करने के लिए ‘मुख्यमंत्री आवास योजना’ आरम्भ की गई है। इंदिरा व अटल आवास योजनाओं के तहत सरकार द्वारा पूर्व में 48,500 रुपये की सहायता धनराशि प्रदान की जाती थी जिसे बढ़ाकर अब 75,000 रुपये कर दिया गया है और इतनी ही राशि ‘मुख्यमंत्री आवास योजना’ के तहत भी प्रदान की जा रही है। चालू वित्त वर्ष में विभिन्न आवास योजनाओं के तहत 97 करोड़ रुपये की लागत से 12,000 आवासों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।
‘मुख्यमंत्री आवास योजना’ के तहत समान्य श्रेणी के बी.पी.एल परिवारों को मकान बनाने के लिए 75,000 रुपये की सहायता धनराशि प्रदान की जा रही है। चालू वित्त वर्ष के दौरान इस योजना के तहत 25 करोड़ की लागत से 1923 आवासों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है ताकि सामान्य वर्ग के हर गरीब परिवारों को भी अपना आशियाना मिल सके।
इंदिरा आवास योजना के तहत गत चार वर्षो में 108.37 करोड़ रुपये व्यय कर 13808 आवासों का निर्माण तथा राजीव आवास योजना के तहत 33 करोड़ रुपये व्यय कर 3363 मकानों का निर्माण कर जरूरतमन्द परिवारों को आवास सुविधा सुनिश्चित बनाई गई। योजना के अंतर्गत इस वर्ष 19.70 करोड़ रुपये व्यय कर 1515 आवासों का निर्माण किया जा रहा है।
राजीव आवास योजना के तहत शिमला शहर के कृष्णानगर में 300 आवासों के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार से 33.99 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। योजना के तहत प्रथम किश्त के रूप में 10.67 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है।
प्रधानमंत्री आवास योजना (सभी का आवास) के प्रथम चरण में प्रदेश की 13 शहरी स्थानीय निकायों क्रमशः शिमला, सोलन, नाहन, बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, मण्डी, कुल्लू, धर्मशाला, चम्बा, परवाणु, बद्दी व नालागढ़ को शामिल किया गया है। प्रदेश के शेष 41 नगरों को प्रधानमंत्री आवास योजना के द्वितीय चरण में शामिल किया गया है।
हमीरपुर, शिमला, नाहन तथा धर्मशाला में शहरी बेघर लोगों के लिए रैन बसेरों का निर्माण कार्य आरम्भ किया जा चुका है। प्रदेश के दस जिला मुख्यालयों में 10 शहरी जीवन यापन केन्द्र स्थापित किए गए हैं।
विभिन्न आवास योजनाओं के अंतर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के परिवारों को योजनाओं के अंतर्गत पूर्व में प्रदान किए गए मकान की मुरम्मत के लिए आवासीय उपदान 15,000 रुपये दिया जाता था, जिसे अब बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दिया गया है। राजीव आवास मुरम्मत योजना के तहत सामान्य श्रेणी के बी.पी.एल. परिवारों को मकान की मुरम्मत के लिए भी धनराशि प्रदान की जा रही है। इस वर्ष योजना के तहत 3 करोड़ रुपये कर 1200 घरों की मुरम्मत करने का लक्ष्य रखा गया है।
गरीबों को अपना आशियाना प्रदान करने के सरकार के प्रयासों के अंतर्गत ही सरकार द्वारा पात्र आवासहीन व्यक्तियों को शहरी क्षेत्रों में 2 बिस्वा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 3 बिस्वा भूमि निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है।
सामान्य नागरिकों को आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करने के दृष्टिगत ही ग्रामीण निर्धनों को वित्तीय सहायता तथा सामाजिक एकजुटता प्रदान करने के लिए प्रदेश में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत वर्ष 2013 से अब तक 13,260 स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उन्हें 108.13 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए गए हैं, जिससे विभिन्न रोज़गारपरक व्यावसाय आरम्भ करने से ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को जहां स्वरोज़गार के अवसर हासिल हुए हैं वहीं उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है।
इसी प्रकर से प्रदेश की मातृ शक्ति को सम्बल प्रदान करने के लिए मातृ शक्ति बीमा योजना आरम्भ की गई है। योजना के तहत प्रदेश के कुल 658 बी.पी.एल. परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए 6.57 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गई है।
सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत ग्रामीण क्षेत्रों को बाह्य शौचमुक्त करने में प्रदेश ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। अपने संजोए आदर्श ‘स्वच्छ हिमाचल सुन्दर हिमाचल’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्ष 2015-16 में 477 ग्राम पंचायतों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबन्धन लागू किया है। सरकार का यह प्रयास अभी भी जारी है तथा इसी दौरान सरकार द्वारा हिमाचल को मार्च, 2017 तक पूर्ण बाह्य शौचमुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था।
सरकार के सतत् प्रयासों से हिमाचल प्रदेश को हाल ही में देश का दूसरा बाह्य शौचमुक्त राज्य घोषित किया जा चुका है। सरकार के प्रयासों के चलते गत चार वर्षों में प्रदेश में 3,03,103 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण किया गया है। महर्षि वाल्मीकि सम्पूर्ण स्वच्छता पुरस्कार योजना के तहत बाह्य शौचमुक्त 97 विजेता पंचायतों को 1.47 करोड़ रुपये की राशि आबंटित की गई है।