राज्य में 2760 स्वास्थ्य संस्थानों के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य उपचार सेवाएं
हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र राज्य सरकार की उच्च प्राथमिकताओं में से है और प्रदेश में लोगों को उनके घरद्वार के समीप गुणवत्तायुक्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में नए स्वास्थ्य केन्द्र खोले तथा स्तरोन्नत किए गए हैं। वर्तमान में प्रदेश में 2760 स्वास्थ्य संस्थान कार्यरत हैं, जिनमें तीन ऑंचलिक अस्पताल, तीन क्षेत्रीय अस्पताल, 9 शैक्षणिक अस्पताल, 58 नागरिक अस्पताल, एक ईएसआई अस्पताल, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 520 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 12 ईएसआई औषद्यालय तथा 2075 स्वास्थ्य उप-केन्द्र शामिल हैं।
राज्य में 20-सूत्रीय कार्यक्रम का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को विभिन्न स्वास्थ्य घटकों में सालाना लक्ष्य प्रदान किए गए हैं। परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में वर्तमान वित्तीय के दौरान 31 अक्तूबर, 2016 तक 12340 आईयूडी लगाने के साथ-साथ 2019 नसबंदियां करवाई गई। राज्य में 30,454 ओपी तथा 84740 लोग सीसी का उपयोग कर हैं।
मातृ स्वास्थ्य सुविधा कार्यक्रम के अन्तर्गत 70,269 एएनसी मामलों का अस्पतालों में पंजीकरण किया गया, जो कि 85.38 प्रतिशत है। प्रदेश में संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इस दौरान 45,847 संस्थागत तथा 7,366 गृह प्रसव दर्ज किए गए, जिनमें संस्थानिक प्रसवों का प्रतिशत लगभग 86.16 रहा। इस सूची में जिला हमीरपुर 98.30 प्रतिशत संस्थानिक प्रसवों के साथ प्रथम स्थान पर रहा है, जबकि चम्बा 54.43 प्रतिशत के साथ सबसे नीचे रहा।
टीकाकरण कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल का एक अन्य अहम् घटक है। वर्ष 2016-17 के लिए 1,28,560 गर्भवती महिलाओं तथा 1,08,183 नवजात शिशुओं के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें 62223 टीटी, 57976 बीसीजी, 58474 ओपीबी, 82 डीपीटी तथा 63628 मिज़ल्स के टीके लगाए गए। 54252 शिशुओं को ‘विटामिन-ए’ की पहली खुराक, 62853 शिशुओं को पांचवीं खुराक तथा 62005 शिशुओं को नौवीं खुराक दी गई। 60396 शिशुओं को डीपीटी बूस्टर, 60,422 शिशुओं को पोलियो बूस्टर तथा 60,424 शिशुओं को मिजल्ज की दूसरी खुराक दी गई और इस प्रकार लगभग 58 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल किया गया।
अंधता नियन्त्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत 275000 के लक्ष्य के तहत 117716 मोतियाबिंद के आप्रेशन किए गए। कुष्ठ रोग कार्यक्रम के अन्तर्गत 92 मामले पाए गए, जिनमें से 90 मामलों का सफल उपचार किया गया, इसके अलावा 150 पुराने मामलों का उपचार चल रहा है। वर्ष 2016-17 के दौरान 28600 यूनिट खून रक्तदान के माध्यम से एकत्रित किया गया। मरीजों की सुविधा के लिए राज्य के विभिन्न ज़िलों में 265 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक पंजीकृत किए गए हैं, जिनमें 86 सरकारी तथा 179 निजी क्षेत्र में हैं और ये सभी क्लीनिक स्वास्थ्य विभाग की कड़ी निगरानी में कार्य कर रहे हैं, ताकि किसी भी निजी क्लीनिक में अवैध लिंग जांच न हो सके।
बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश की 14454 पाठशालाओं में 74515 विद्यार्थियों की विभिन्न बीमारियों के लिए जांच की गई। युवाओं की सुविधा के लिए राज्य में 127 युवा परामर्श केन्द्र खोले गए हैं।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत, एचआईवी के लिए 95820 खून के नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 298 नमूने पॉजीटिव पाए गए और 240 एड्स के मामले इस भयावह बीमारी में शामिल हुए।
प्रदेश में बाल लिंग अनुपात को बनाए रखना राज्य सरकार की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसके सुधार के लिए विभिन्न कार्यक्रम आरम्भ किए गए है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश का बाल लिंग अनुपात 909 है, जो कि संतोषजनक नहीं है। 845 के बाल लिंग अनुपात के साथ हमीरपुर का गलोर इस सूची में सबसे नीचे है, जिसके बाद 850 के बाल लिंग अनुपात के साथ मण्डी का लड़भड़ोल, 875 के बाल लिंग अनुपात के साथ कांगड़ा का टियारा, 877 के बाल लिंग अनुपात के साथ कांगड़ा का गंगथ तथा 879 के बाल लिंग अनुपात के साथ मण्डी का बलद्वाड़ा भी कम लिंग अनुपात की श्रेणी में शामिल हैं।