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27th November 2016

पारदर्शी कर संग्रहण प्रणाली से कारोबारियों को मिली बड़ी राहत

राजस्व संग्रहण में आबकारी एवं कराधान विभाग के महत्व के दृष्टिगत राज्य  सरकार ने व्यापारी वर्ग को विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ पारदर्शी राजस्व संग्रहण जैसे कई प्रभावी कदम उठाए हैं।
प्रदेश के कुल राजस्व संग्रहण में विभाग का 65 प्रतिशत योगदान है। राज्य सरकार के सतत् प्रयासों से प्रदेश के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। आबकारी एवं कराधान विभाग ने गत तीन वर्षों में 15287.77 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है तथा इस वर्ष 6,558.57 करोड़ रुपये राजस्व वसूली का लक्ष्य रखा है।
प्रदेश के सभी पंजीकृत व्यापारियों एवं कारोबारियों को बीमा कवर प्रदान करने के उद्देश्य से इस वर्ष बिना किसी कारोबार की सीमा के सभी पंजीकृत डीलरों को समूह दुर्घटना बीमा योजना के दायरे में लाया जा रहा है जिसका प्रिमियम राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। समूह दुर्घटना बीमा योजना के तहत मिलने वाली 2 लाख रुपये की राशि को भी बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया गया है। गत वर्ष केवल 25 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को ही यह सुविधा प्रदान की जा रही थी। इससे कारोबारियों का भविष्य सुरक्षित हुआ है।
कारोबारियों की सुविधा के लिए इस वर्ष 1.50 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करने वाले डीलरों को डीम्ड एसेसमैंट के दायरे में लाया जा रहा है जबकि पहले यह सुविधा एक करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को ही प्राप्त थी। इस सुविधा के चलते व्यापारियों को विभाग के कार्यालयों में बार-बार चक्कर काटने से राहत मिली है और उन्हें अपने व्यावसायिक परिसरों अथवा घरों पर ही हर समय, यहां तक की अवकाश के दिनों में भी इस सेवा का लाभ प्राप्त हो रहा है। 
छोटे व्यापारियों की सुविधा के लिए ही इस वर्ष 30 लाख रुपये तक का सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को एक मुश्त कर योजना के दायरे में लाया जा रहा है। इसके तहत केवल एक प्रतिशत की दर से कर देने की व्यवस्था की गई है जबकि पहले यह सुविधा केवल 25 लाख रुपये का सालाना कारोबार करने वाले व्यापारियों को ही मिल रही थी।
इसी तरह, डीलरों को अलग-अलग अधिनियमों के अंतर्गत पृथक् लॉग-इन आई.डी द्वारा विभिन्न रिटर्न अपलोड करने की कठिनाई से निजात दिलाने के लिए विभाग द्वारा कॉमन लॉग-इन आई.डी उपलब्ध करवाई गई है, जिसके माध्यम से डीलरों को अलग-अलग अधिनियमों के तहत अपनी सभी रिटर्न अपलोड करने की सुविधा घर बैठे ही हासिल हुई है। इसके अतिरिक्त, कारोबारियों को सुविधा देने के लिए सरकार ने हिमाचल प्रदेश मूल्यवर्धित अधिनियम (वैट) के तहत वसूल की जाने वाली पंजीकरण फीस को भी माफ कर दिया है।
ऊर्जा की बचत जहां राष्ट्र व प्रदेश हित में है वहीं इसकी बचत व्यक्तिगत हित में भी है क्योकि ऊर्जा की बचत से जेब पर कम बोझ पड़ता है। इसी उद्देश्य से प्रदेश में सौर ऊर्जा के प्रचलन को बढ़ावा देने व बहुमूल्य ऊर्जा की बचत के लिए इस वर्ष सौर कुकर व सौर लालटेन पर वसूले जा रहे 5 प्रतिशत वैट में पूर्ण छूट प्रदान की जा रही है। इसी प्रकार प्रदेश में 
 
 
ऊर्जा वचत के बढ़ावे के लिए सभी प्रकार की एलईडी लाईटों पर वैट की वर्तमान दर 13.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत की गई है। कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ट्रकों एवं बसों की बॉडी फैब्रीकेशन पर वैट की दर को 13.75 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। प्रदेश सरकार ने वैट रिफंड को समयबद्ध करने के लिए पहले ही नियमों में संशोधन कर दिया है। अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि डीलरों को निर्धारित समय सीमा के भीतर ही वैट कर का रिफंड मिल सके। बोतल बंद पानी पर लगाये गए कर को घटाया गया है ताकि यह उद्योग अन्य राज्यों में स्थापित ऐसे उद्योगों से स्पर्धा कर सके।
बाजार में मंदी की वजह से लोहे तथा स्टील उत्पादक दबाव में हैं। उन्हें इस दबाव से राहत प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा इस वर्ष लोहे व स्टील पर एजीटी कर को 75 रुपये प्रति मीट्रिक टन से घटाकर 50 रुपये प्रति मीट्रिक टन किया गया है। 
छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत पहुंचाने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा संशोधित वैट विधेयक पास करवाया गया है, जिसके तहत सालान 8 लाख रुपये से कम कारोबार करने वाले ढाबा, हलवाई, चाय व चाट कारोबारियों को मूल्य सवंर्द्धित कर (वैट) की अदायगी में छूट प्रदान की गई है। पूर्व में यह छूट 5 लाख रुपये से कम कारोबार करने वाले कारोबारियों को प्राप्त थी। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लाखों कारोबारियों को फायदा हुआ है। विधेयक के अनुसार ही हिमाचल में दूसरे राज्यों से प्रवेश कर रहे ट्रकों, जिनके पास ढोए जा रहे सामान की पूर्ण ऑनलाईन घोषणा हो, उन्हें अब बैरियर पर रूकने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। पहले केवल प्रदेश से बाहर जाने वाले ट्रकों को बैरियर पर रोकने से छूट प्राप्त थी। प्रदेश सरकार के इस निर्णय से बैरियर पर माल ढुलाई की प्रक्रिया परेशानी मुक्त हुई है, वहीं इससे बैरियरों पर अनावश्यक भीड़-भाड़ से भी निजात मिली है। 
प्रदेश में पर्यटन व वायु संचार को बढ़ावा देने के दृष्टिगत अधिसूचित एयरलांइस द्वारा खरीदे जा रहे विमानन ईंधन पर कर 27 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत किया गया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में प्राइवेट एयरलांइस भी अधिक संख्या में वायु सेवा प्रदान कर सकेगा जिससे अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे तथा प्रदेश की आर्थिक स्थिति में इजाफा होगा। इसी प्रकार से प्रदेश में पर्यटन के प्रोत्साहन स्वरूप हिमाचल प्रदेश विलास कर अधिनियम, 1979 के अंतर्गत पिछड़ी पंचायतों में प्रथम अप्रैल, 2013 से प्रचलन में आए होटलों तथा होम-स्टे को दस वर्ष की अवधि के लिए विलास कर में छूट प्रदान की गई है। 
उद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए नए उद्योगों से औद्योगिक इनपुर पर प्रवेश शुल्क को वर्तमान की 2 प्रतिशत की दर को घटाकर एक प्रतिशत किया गया है। 300 से अधिक हिमाचलियों को रोज़गार देने वाले उद्योगों से पहले 5 वर्षों तक केवल 2 प्रतिशत विद्युत शुल्क लिया जा रहा था, जिसे घटाकर एक प्रतिशत किया गया है।      
 

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