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13th November 2016

आपदा प्रबन्धन में हिमाचल के ठोस कदम

आपदा संवेदनशीलता एवं जोखिम आंकलन एटलस तैयार करने वाला
हिमाचल देश का पहला राज्य
हिमाचल प्रदेश विभिन्न प्रकार की आपदाओं के लिये अति-संवेदनशील है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) द्वारा चिन्हित कुल 33 आपदाओं में से राज्य 25 प्रकार की आपदाओं की चपेट में है। इनमें बहुतायत में घटित होने वाली आपदाओं में भूकंप,  भू-स्खलन, ल्हासे गिरना, ग्लेशियर तथा बाढ़ प्रमुख हैं। इन आपदाओं के प्रति राज्य की संवेदनशीलता के दृष्टिगत राज्य सरकार ने आपदा प्रबन्धन के सभी चरणों में सक्रिय कार्रवाई को मजबूती प्रदान करने तथा सुविधा प्रदान करने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। 
राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण का गठन किया है। राजस्व मंत्री इसके सदस्य जबकि मुख्य सचिव प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। इसी प्रकार राज्य के समस्त 12 ज़िलों में भी जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरणों का गठन किया गया है। 
आपदा प्रबन्धन को लेकर देश में प्रतिमान विस्थापन यानि बड़ा बदलाव आया है। आपदा के उपरांत राहत प्रदान करने के पुराने दृष्टिकोण के स्थान पर राज्य सरकार ने आपदा पूर्व तैयारियों, शमन तथा जोखिम कम करने के दृंष्टकोण को अपनाया है। आपदा की तैयारियों, प्रतिक्रिया, पुनः प्राप्ति, स्वास्थ्य लाभ तथा पुनः बहाली के सतत् प्रयास पर बल दिया गया है। 
राज्य सरकार ने खतरों, अति संवेदनशीलता तथा जोखिम आंकलन को लेकर एक व्यापक एटलस (एचवीआरए) तैयार किया है और हिमाचल एटलस तैयार करने वाला देश का मात्र हिमालयी राज्य है।  एचवीआरए राज्य के 12 ज़िलों तथा 78 विकास खण्डों को कवर करता है तथा इसे आपदा जोखिम स्तरों के परिमाण तथा आपदा जोखिम कम करने में मागदर्शन करने वाले संबंधित आकस्मिक कारकों का आंकलन करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। 
आपदा के समय सहायता सेवाओं को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की एक बटालियन कांगड़ा जिले के नूरपुर में स्थापित की है। आपदा से निपटने के लिये स्थापित इस बटालियन के लिये हि.प्र. एग्रो इण्डस्ट्रीज कार्पोरेशन से भूमि क्रय कर आवासों का निर्माण किया गया है। 
राज्य सरकार ने प्रदेश में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की स्थापना करने का भी निर्णय लिया है जिसके लिये पुलिस विभाग की तृतीय भारतीय रिजर्व वाहिनी पण्डोह तथा पीटीसी डरोह में एसडीआरएफ कंपनियों को प्रशिक्षण तथा उपकरण प्रदान करने के लिये पर्याप्त धनराशि जारी की गई है। 
आपदा प्रबन्धन को लेकर राज्य पदाधिकारियों, सामान्य समुदाय तथा विशेष तौर पर युवाओं को राज्य तथा जिला स्तर पर समय-समय पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। ये प्रशिक्षण शिमला स्थित हि.प्र. लोक प्रशासन संस्थान (हिप्पा), राजस्व प्रशिक्षण संस्थान जोगिन्द्रनगर, मनाली स्थित अटल बिहारी वाजपेयी माउंटेनियरिंग एलाईड स्पोर्टस तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन संस्थान नई दिल्ली में प्रदान किए जा रहे हैं। 
हिमाचल प्रदेश ने राज्य आपदा प्राधिकरण की सहायता के लिये इसके कार्यों का प्रदर्शन, राज्य प्राधिकरण द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्रवाई का समन्वय तथा राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों की अनुपालना के लिये राज्य कार्यकारी समिति का पुनर्गठन किया है। 
भारत सरकार ने 14वें वित्तायोग अनुदान के तहत राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि में वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक पांच वर्षों के लिये 1304 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है जिसमें क्षमता निर्माण की 5 प्रतिशत की राशि भी शामिल है। शिक्षकों तथा विद्यार्थियों में आपदा जागरूकता संस्कृति विकसित करने के उद्देश्य से राज्य के कांगड़ा और कुल्लू जिलों में राष्ट्रीय स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम पर एक पायलट परियोजना क्रियान्वित की गई है। इसके लिये 1.68 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। राज्य स्तर पर राष्ट्रीय स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम की अन्य परियोजना एससीईआरटी सोलन तथा जीसीटीई धर्मशाला के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों के लिये कार्यान्वित की जा रही है। 
आपदा जोखिम कम करने के लिये सेण्डाई ढांचे के क्रियान्वयन को लेकर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के तत्वावधान में राज्य स्तर पर प्रथम सत्र 22 सितम्बर, 2016 को आयोजित किया गया।
 
 

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