हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने नैसर्गिक सौंदर्य, स्वास्थ्यवर्धक मौसमी परिस्थतियां तथा प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों से नवाजा है। राज्य से बहने वाली पांच प्रमुख नदियों में लगभग 25000 मैगावाट जल विद्युत क्षमता है। यह क्षमता हिमाचल प्रदेश को देश में सरपल्स बिजली राज्य बनाती है। इस क्षमता में से करीब 10000 मैगावाट बिजली का पहले ही दोहन किया जा चुका है और 8000 मैगावाट अतिरिक्त क्षमता के दोहन के लिये कार्य विभिन्न चरणों में जारी है।
विभिन्न ऊर्जा संसाधनों से ऊर्जा दोहन के लिये बहुविध दृष्टिकोण के महत्व को समझते हुए राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिये हिमऊर्जा को सरकारी ऊर्जा विकास एजेन्सी के रूप में प्राधिकृत किया है और यह एजेन्सी हिमाचल सरकार की सौर ऊर्जा नीति के लिये उत्प्रेरक के तौर पर कार्य कर रही है।
एजेन्सी 5 मैगावाट क्षमता तक के लघु जल विद्युत कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के साथ-साथ मौजूदा ऊर्जा क्षमता के दोहन के लिये सोलर थर्मल, सोलर फोटोवॉल्टिक प्रोद्योगिकी जैसी पर्यावरण मित्र एवं विकेन्द्रिकृत अक्षय ऊर्जा तकनीकों के क्रियान्वयन के लिये गंभीर प्रयास कर रही है। सौर ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत हिमाचल में 260 से 300 तक सूर्य के प्रकाश के उपयोगी दिनों का समुचित दोहन करने के लिये सोलर फोटोवॉल्टिक तथा सोलर थर्मल यंत्रों पर बल दिया जा रहा है। सौर ऊर्जा क्षमता को मूर्तरूप देने तथा घरों में लकड़ी आधारित तापक पारंपरिक प्रणाली पर निर्भरता के स्थान पर स्वच्छतर ऊर्जा सुविधा उपलब्ध करवाने की आवश्कता को समझते हुए हिम ऊर्जा ने राज्य के विभिन्न भागों में 37,339 बॉक्स किस्म के सौर कुकर, 755 डिश तरह के प्रेशर कुकर तथा 19,26,470 लीटर प्रति दिन क्षमता के सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम अनुदान दरों पर स्थापित किए हैं।
सौर उष्मीय कार्यक्रम (सोलर थर्मल प्रोग्राम) के अंतर्गत हिम ऊर्जा ने केन्द्रित प्रोद्योगिकी के तहत राज्य के विभिन्न भागों में सौर भाप से उत्पन्न 738 वर्गमीटर खाना बनाने की प्रणाली स्थापित की है। इसमें से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर में 96 वर्गमीटर, कलगिधर न्यास बडू साहिब में 360 वर्गमीटर, एबोट हेल्थकेयर सेंटर बद्दी में 186 वर्गमीटर तथा सोलन स्थित शूलीनी विश्वविद्यालय में 96 वर्गमीटर में यह प्रणाली स्थापित की गई है।
सोलर फोटोवॉल्टिक कार्यक्रम के अंतर्गत हिम ऊर्जा ने राज्य के विभिन्न भागों में लोगों को 77,533 एसपीवी स्ट्रीट लाईटें, 23,966 एसपीवी घरेलू लाईटें तथा 39,246 एसपीवी लालटेंने प्रदान की हैं। रिकांगपिओ, काजा, रौरिक, सुमदो तथा मोरनी-दोगरी सहित प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर 1,777.50 किलोवाट क्षमता के ऊर्जा प्लांट भी स्थापित किये गए हैं जो बेहतर कार्य कर रहे हैं।
हिम ऊर्जा ने अभी तक राज्य के विभिन्न भागों में 2.37 मैगावाट क्षमता के 10 लघु जल विद्युत परियोजनाएं आरंभ की हैं जिनमें जुठेड़, कोठी, लिंगटी, सुराल, पुर्थी, घरोला, साच, बिलिंग, बड़ा भंगाल और सराहन शामिल हैं। हिमऊर्जा विशेष क्षेत्र प्रदर्शन परियोजना योजना के क्रियान्वयन का मुख्य संचालक है, जिसके अंतर्गत सोलन जिले के नौणी स्थित बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय तथा राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सं स्थान हमीरपुर में राज्य स्तर के ऊर्जा पार्क स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन के लिये हि.प्र. सचिवालय, विधान सभा व राजभवन शिमला जैसे प्रमुख स्थानों पर वाटर हीटिंग सिस्टम, एसवीपी स्ट्रीट लाईटें, व सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित किए गए हैं।
वर्ष 2014-15 के लिये गैर सोलर नवीकरण खरीद दायित्वों में सर्वोच्च स्थान हासिल कर हिमऊर्जा नेे प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। हिमऊर्जा ने वर्ष 2014-15 के लिये ग्रिड से जुड़ी छोटी पन बिजली परियोजनाओं की अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने तथा ग्रिड से जुड़ी लघु पन विद्युत क्षमता बढ़ाने में संचयी उपलब्धि हासिल करने में देशभर में दूसरा स्थान प्राप्त किया है।
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