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24th July 2016

राज्य सरकार सैनिकों एवं भूतपूर्व सैनिकों के कल्याण के लिये कृतसंकल्प

  
 
प्रदेश के चार जवान परमवीर चक्र से सम्मानित
हिमाचल प्रदेश को वीरभूमि के नाम से जाना जाता है। प्रदेश के युवा भारी संख्या में सेना के विभिन्न अंगों में सेवा देते हुए देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं। प्रदेश के सैनिक अपनी मातृ भूमि की रक्षा के लिए हमेशा बलिदान देने के लिए तत्पर रहते हैं। एक छोटा सा पहाड़ी प्रदेश होने के बावजूद प्रदेश के चार बहादुर सैनिकों को सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा जा चुका है। इसके अतिरिक्त, दो सैनिकों को अशोक चक्र व 10 वीर सैनिकों को महावीर चक्र प्रदान किए गए हंै। प्रथम परवीर चक्र सेना प्रमुख, मेजर सोमनाथ को प्रदान किया गया था। वह भी हिमाचल प्रदेश से संबंध रखते थे। 
हिमाचल के बहादुर सैनिकों कोे अभी तक कुल 847 गैलेंटरी अवार्ड प्रदान किए जा चुके हैं। इसके अलावा, 18 सैनिकों को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया है। वीर सैनिकों की बहादुरी का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि कारगिल युद्ध में आॅपरेशन विजय के उपरांत दिए गए कुल चार परमवीर चक्रों में से प्रदेश के दो बहादुर सैनिकों को परमवीर चक्र प्रदान किये गये, जिसमें से एक को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया। 
 देश की सीमाओं की रक्षा के लिए दिए गए इस योगदान के सम्मान स्वरूप राज्य सरकार सेवारत सैनिकों व पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के कल्याण के लिए वचनबद्ध है, और राज्य सरकार द्वारा उनको सुविधा प्रदान करने के लिए अनेक  योजनाएं व कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं। 
सेवारत सैनिकों व पूर्व सैनिकों को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से सरकार ने अलग से सैनिक कल्याण विभाग का गठन किया है, जो सैनिकों व पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए आरम्भ की गई विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के कार्यन्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अतिरिक्त, पूर्व सैनिकों की सुविधा के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड का गठन भी किया गया है।
राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए विशेष रोजगार कक्ष स्थापित किया है, जो पूर्व सैनिकों को सेवानिवृति के उपरान्त रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवाओं में 15 प्रतिशत का आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। गत वर्ष जनवरी, 2015 से 31 दिसम्बर, 2015 तक 175 पूर्व सैनिकों व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों व युद्ध अपंगों को सरकारी क्षेत्र में रोजगार प्रदान किया गया। 
वर्तमान में प्रदेश में पूर्व सैनिकों की संख्या 1,10,366 है, जबकि युद्ध विधवाएं व पूर्व सैनिकों की सामान्य विधवाओं की संख्या 33,980 है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016-17 के बजट में परमवीर चक्र विजेताओं तथा अशोक चक्र विजेताओं को दी जाने वाली एक मुश्त राशि 25 लाख रुपये को बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी  है, जबकि वार्षिक राशि को 1.25 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये तथा महावीर चक्र विजेताओं की एक मुश्त 15 लाख रुपये की राशि को बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है और वार्षिक राशि को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया है। प्रदेश सरकार द्वारा सेना मेडल मेन्शन-इन-डिस्पैच के विजेताओं की वार्षिकी राशि को भी 3000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये किया गया है। राज्य सरकार ने धर्मशाला स्थित युद्ध स्मारक संग्राहलय के निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया  है।
इसी प्रकार युद्ध जागीर राशि को 2 हजार रुपये से बढ़ाकर 5 हजार रुपये वार्षिक किया है, जिसपर वर्ष 2015-16 के दौरान 53 लाख से अधिक की राशि खर्च की गई। 
गत तीन वर्षों के दौरान प्रदेश सरकार ने विभिन्न शौर्य पुरस्कार विजेताओं को लगभग 5 करोड़ रुपये की सम्मान राशि प्रदान की है। सरकार द्वारा उन भूतपर्वू सैनिकों, जिन्हें किसी प्रकार की पेंशन नहीं मिलती है और जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है, को मिलने वाली बुढ़ापा आर्थिक सहायता के लिए वार्षिक आय सीमा की पात्रता को 15 हजार से बढ़ाकर 35 हजार किया है। इसके अतिरिक्त, द्वितीय विश्वयुद्ध के ऐसे भूतपूर्व सैनिक, जिनकी आयु 60 वर्ष से अधिक है और  किसी प्रकार की पेंशन नहीं मिल रही है, को मिलने वाली आर्थिक सहायता को भी दो हजार रुपये से बढ़ाकर तीन हजार रुपये प्रतिमाह किया गया है।
प्रदेश सरकार युद्ध/आॅप्रेशनों में शहीद/अपंग हुए सैनिकों व उनके आश्रितों को भी अनुग्रह राशि प्रदान कर रही है। सरकार द्वारा युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के आश्रितों को 5 लाख रुपये तथा इस दौरान 50 प्रतिशत से अधिक अपंगों को 1.50 लाख रुपये तथा 50 प्रतिशत से कम हुए अपंग होने वाले सैनिकों को 75 हजार रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। गत तीन वर्षों के दौरान विभिन्न आॅप्रेशनों में शहीद हुए 128 सैनिकों के आश्रितों को 1 करोड़ 72 लाख से अधिक की अनुग्रह अनुदान राशि प्रदान की गई है। 
राज्य सरकार सेवारत, पूर्व सैनिकों की लड़कियों तथा सैनिक विधवाओं को सिलाई व कढ़ाई का प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। गत तीन वर्षों के दौरान 159 लड़कियों/विधवाओं को सैनिक कल्याण विभाग द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। 
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के वीरता पुरस्कार प्राप्त लाभार्थियों को हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा प्रदान की जा रही है। वर्तमान में 716 वीरता पुरस्कार विजेता इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 655 युद्ध विधवाओं को भी हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में आवागमन की निःशुल्क सुविधा प्रदान की जा रही है। 
 राज्य के वीर जवानों की बहादुरी की गाथाएं सुनकर और उनसे प्रेरित होकर यहां के युवाओं में सेना में प्रवेश की होड़ सी लगी है। आज राज्य के प्रत्येक जिले से और यहां तक कि लगभग प्रत्येक गांव से नौजवान सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैंे। राज्य के सैनिकों को सर्वोच्च सेना सम्मान एवं बड़ी संख्या में मैडल प्राप्त होना प्रदेश के लिये गर्व की बात है।   
 
 
 

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