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--5th October 2014

कमज़ोर वर्गों के लिये वरदान बनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना

राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना प्रदेश के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो को बीमारी के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने में सहायक सिद्ध हुई है। इस योजना के अंतर्गत, स्मार्टकार्ड धारकों से उपचार के दौरान अस्पतालों में कोई पैसा नहीं लिया जाता, इसलिए इसे नकद रहित सेवा कहा जाता है। योजना के अन्तर्गत स्मार्ट कार्ड धारक को देश के किसी भी राज्य में सम्बन्धित राज्य द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों में नकद रहित सेवा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान की गई है। इस योजना के अन्तर्गत परिवार के मुखिया के नाम पर स्मार्ट कार्ड ज़ारी किये गए हैं। जिसके तहत मुखिया सहित परिवार के कुल पांच सदस्यों के लिये वार्षिक 30 हजार रुपये का स्वास्थ्य कवर उपलब्ध करवाया गया है। निःशुल्क ईलाज की यह सुविधा एक हजार से भी अधिक बीमारियों के लिये प्रदान की जा रही है, जिसके लिये पात्रता सरकार द्वारा सूचीबद्ध अस्पतालों में उपचार के लिये दाखिला लेने पर है। हालांकि नये जारी किये जा रहे स्मार्ट कार्डों पर योजना का लाभ अस्पताल में दाखिल न होने की स्थिति में भी उपचार के दौरान मिलेगा, जिसमें प्रति माह 150 रुपये की दवाइयां और मेडीकल टेस्ट शामिल हैं। यह लाभ साल में 1500 रुपये तक लिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत गम्भीर बीमारियों के लिये 1.75 लाख रुपये का वार्षिक स्वास्थ्य कवर प्रदान किया जा रहा है। गम्भीर बीमारी की अवस्था में इलाज के लिये तीन अस्पतालों-आई.जी.एम.सी. शिमला, डा. राजेन्द्र प्रसाद राजकीय मैडिकल कालेज टाण्डा और पी.जी.आई. चण्डीगड़ को सूचीबद्ध किया गया है। गम्भीर बीमारियों में हृदय और कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, जेनिटो यूरिनेरी सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, विकिरण कैंसर, आघात, प्रत्यारोपण सर्जरी, स्पाईनल सर्जरी, सर्जिकल गैस्ट्रोएन्टरोलाॅजी, हीमोफीलिया और कैंसर के उपचार शामिल हैं। इन बीमारियों के तहत उपचार के खर्च की प्रतिपूर्ति राज्य नोडल ऐजेन्सी द्वारा सीधे सूचीबद्ध अस्पतालों को की जाती है। लाभार्थियों की सुविधा के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत 177 अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें 155 सार्वजनिक और 22 निजी अस्पताल हैं। लाभार्थियों को उपचार के लिये सार्वजनिक या निजी किसी भी अस्पताल में उपचार की स्वतन्त्रता है। प्रदेश में इस योजना के आरम्भ से अब तक राज्य तथा राज्य से बाहर के सूचीबद्ध अस्पतालों में 1.43 लाख से अधिक स्मार्ट कार्ड धारकों के उपचार के लिये 64.37 करोड़ रुपये की नकद रहित सेवा प्रदान की गई है। इनमें से गम्भीर बीमारी से ग्रस्त 2816 मरीज़ों के उपचार पर 12.97 करोड़ रुपये का व्यय भी शामिल है। राज्य नोडल ऐजेन्सी ने प्रदेश के सभी स्मार्ट कार्ड धारकों को पीजीआई, चण्डीगढ़ में नकद रहित सेवा उपलब्ध करवाने के लिये अलग से पीजीआई में अपना कार्यालय खोला है। गम्भीर बीमारियों पर होने वाले व्यय का सीधे तौर पर विभाग द्वारा प्रबन्धन किया जा रहा है और पीजीआई में 46 स्मार्ट कार्ड धारकों को उपचार सुविधा उपलब्ध करवाने पर 19.51 लाख रुपये व्यय किये गए हैं। आरम्भ में यह योजना गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिये ही उपलब्ध थी, जिसमें पहली जनवरी, 2013 से अन्य श्रेणियों जैसे मनरेगा कामगार, जिन्होंने एक वित्त वर्ष में लगातार 15 दिनों से अधिक काम किया हो, भवन एवं सन्निर्माण कामगार, रेहड़ी-फड़ी वाले, 70 प्रतिशत से अधिक अक्षम व घरेलू कामगार को भी शामिल किया गया। अब, इनके अलावा सफाई कर्मी, कूड़ा उठाने वाले, आॅटी रिक्शा व टैक्सी चालक, बुनकर व दस्तकारों के अलावा प्रदेश के अनुबन्ध कर्मचारियों को योजना में शामिल किया जा रहा है और यह प्रक्रिया प्रगति पर है। इनमें प्रदेश के अक्षम व्यक्तियों और अनुबन्ध कर्मियों का सौ फीसदी प्रीमियम राज्य सरकार वहन कर रही है। विभाग द्वारा वर्ष 2012-13 में जारी किये गए स्मार्ट कार्डों की अवधि 30 नवम्बर, 2014 तक बढ़ा दी गई है, जबकि नये कार्ड बनाने की प्रक्रिया पहले ही आरम्भ हो चुकी है और अभी तक तीन लाख से अधिक नये स्मार्ट कार्ड जारी किये जा चुके हैं। हिमाचल प्रदेश ने योजना के अन्तर्गत सबसे अधिक पंजीकरण और उपयोग में लगतार शानदार प्रदर्शन किया है। योजना के आरम्भ से प्रदेश में प्रत्येक वर्ष पंजीकरण की रूपान्तरण दर 70 प्रतिशत से अधिक रही है। इसी के चलते केरल के तिरूअन्नतपुरम में अप्रैल, 2013 में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। ज़ारीकर्ताः निदेशक, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, हिमाचल प्रदेश।

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