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-21th September 2014

हिमाचल में पर्यटन को नए क्षितिज पर ले जाने की कवायद

हिमालय के पश्चिमी छोर में स्थित हिमाचल को प्रकृति ने नैसर्गिक सौंदर्य से नवाज़ा है। हिम्माछादित पर्वत श्रंखलाएं, निम्न घुमावदार पहाडि़यां, घाटियां, नदियां, झीलें इत्यादि के कारण राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पर्यटन, जो राज्य की आय और रोज़गार सृजन का मुख्य साधन है, प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में 9.75 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। इस के दृष्टिगत, सरकार ने पर्यटन को विशेष प्राथमिकता दी है और हर साल यहां बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटक इस बात के गवाह हैं। प्रदेश में साहसिक, धार्मिक, परम्परागत, ग्रामीण और ईको पर्यटन जैसे क्षेत्रोें को पर्यटन गतिविधियों के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके अलावा, पर्यटन अधोसंरचना विकास के लिये 2600 लाख रुपये के पर्यटन सर्किट व गन्तव्य स्थलों के विकास की परियोजनाएं तैयार कर वित्तीय सहायता के लिए केन्द्र सरकार को भेजी गई हैं। प्रदेश में सही मायनों में पर्यटन को वास्तविक स्वरूप दी जाए, इसके लिए सरकार ने अनेक योजनाएं कार्यान्वित की हैं। राज्य में दीर्घकालीन पर्यटन विकास नीति-2013 बनाई गई है ताकि हिमाचल को विश्व मानचित्र पर पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित किया जा सके। इसके तहत दीर्घकालिक पर्यटन सुनिश्चित बनाना, प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण, पर्यटन क्षेत्र में निवेश के लिये अनुकूल वातावरण तैयार करने के साथ-साथ अनछुए एवं मुख्य पर्यटन स्थलों का विकास किया जा रहा है। राज्य में पर्यटन अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण के लिए एशियन विकास बैंक (एडीबी) ने 95 मिलियन डाॅलर की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई है। एडीबी ने 33 मिलियन डाॅलर की ट्राॅंच-प् परियोजना को स्वीकृत किया है। इस के तहत शिमला, कांगड़ा, ऊना और बिलासपुर में 20 परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। एडीबी की आर्थिक मदद से शिमला टाउन हाॅल व माॅल रोड़ के सौंदर्यीकरण के अलावा चिंतपुर्णी में पर्यटक सुविधाओं का विकास तथा घाटों, कैम्पिंग साईट, ट्रैक्स व पौंग डैम क्षेत्र में पक्षी विहार टावरों का विकास कार्य शामिल हैं। वर्ष 2013 में जनवरी से दिसम्बर के मध्य 1.51 करोड़ से अधिक पर्यटक हिमाचल आए, जिनमें 4.14 लाख विदेशी शामिल हैं। इस वर्ष, जून माह तक 83 लाख पर्यटकों ने प्रदेश का भ्रमण किया, जिनमें 1.94 हजार विदेशी पर्यटक शामिल हैं। वर्तमान मंे प्रदेश में 61,236 बिस्तरों की सुविधा वाले 2,377 पंजीकृत होटल/अतिथि गृह हैं। पूर्व में हिमाचल को केवल ग्रीष्मकालीन पर्यटन के लिये ही जाना जाता था। लेकिन, मौसमी पर्यटन की अवधारणा को बदलने के प्रयासों के परिणामस्वरूप अब प्रदेश में सभी मौसमों में पर्यटकों की आमद हो रही है और अब हिमाचल प्रदेश नेे ‘सभी मौसमों’ के सुहावने पर्यटन गन्तव्य के रूप में पहचान बनाई है। सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। पर्यटन से जुड़े उद्योग स्थापित करने वाले निवेशकों को सरकार अन्य उद्योगों की तर्ज पर प्रोत्साहन दे रही है। राज्य मेें पर्यटन इकाइयां स्थापित करने के लिये निजी उद्यमियों को पूंजीनिवेश पर 50 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। यह प्रोत्साहन योजना 31 मार्च, 2017 तक जारी रहेगी। जनजातीय क्षेत्रों में नये होटल स्थापित करने के लिये प्रथम अप्रैल, 2012 से अगले 10 वर्षों तक विलासिता कर अदा करने में छूट दी गई है। यह छूट प्रथम अप्रैल, 2013 से पिछड़े क्षेत्रों में होटल इकाइयां स्थापित करने पर भी दी गई है। .2. पर्यटकों को हिमाचल की समृद्ध धरोहर और संस्कृति से रू-ब-रू करवाने के लिये प्राकृतिक वातावरण, ग्रामीण पर्यटन और होम-स्टे जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया गया है। इस के तहत ग्रामीण परिवेश में एक से तीन कमरों तक का पंजीकरण किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकृत होम-स्टे इकाइयां वैट व विलासिता कर से मुक्त की गई हैं। पानी और बिजली जैसी सुविधाएं भी घरेलू दरों पर उपलब्ध हैं। वर्तमान में, राज्य मंे 550 पंजीकृत होम-स्टे इकाइयां हैं। होम-स्टे योजना ग्रामीण आबादी को रोजगार के अवसर सृजित करने में कारगर साबित हुई है। प्रदेश के पर्यटन रिजार्ट, रज्जुमार्गों, गोल्फ कोर्स एवं मनोरंजन पार्क जैसे क्षेत्रों में पर्यटन परियोजनाएं की काफी संभावनाएं हंै। सरकार नं पर्यटन इकाइयां स्थापित करने के लिये सार्वजनिक निजी भागीदारी से राज्य में भूमि बैंक बनाया है। सिरमौर के सुकेती, सोलन के बद्दी, बिलासपुर और मण्डी के झटींगरी, मनाली के समीप 15 मील बड़ागांव और कुल्लू के शोजा में पर्यटन इकाइयों के लिये स्थल उपलब्ध हैंै। सरकार ने ऊना-नादौन को पर्यटन गन्तव्य के रूप में विकसित करने के लिये 500 लाख रुपये की एक परियोजना वित्तीय सहायता के लिए केन्द्र सरकार को भेजी है। इसके अलावा, 800 लाख रुपये की बौद्ध स्थलों का एकीकृत विकास, 800 लाख रुपये की शिमला उप-नगरों के एकीकृत विकास तथा 500 लाख रुपये से राज्य के पर्यटक पारगमन क्षेत्रों के विकास के लिये परियोजनाएं प्रेषित की गई हैं। पर्यटकों को यातायात की वैकल्पिक सुविधा के लिए कांगड़ा जिले के चामुण्डा जी आदी हिमानी चामुण्डा, धर्मशाला-मेक्लोडगंज/तरूण्ड और न्यूगल-पालमपुर, हमीरपुर जिला में टोबा, बिलासपुर जिला में श्री नैणा देवी जी तथा शिमला जिला में टुटी-कण्डी-लिफट-माॅलरोड स्थलों को रज्जुमार्गों के निर्माण करने के लिये चिन्हित किया गया है। इसके अलावा, शिमला और किन्नौर जिलों के सराहन-बाशल में रज्जुमार्ग का निर्माण करने की संभावनाओं का पता तलाशा जाएगा। प्रदेश में स्थाई राजनैतिक व्यवस्था, सुगम्य प्रशासन, शुद्व पर्यावरण, सौहाद्धपूर्ण औद्योगिक सम्बन्ध, सरल व्यवसाय और सस्ती बिजली जैसी सुविधाओं और माहौल के चलते यहां पर पर्यटन उद्यम स्थापित करना आसान है। इसके अलावा, शीत और स्वच्छ पर्यावरण राज्य में पर्यटन उद्योग के विकास के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करता है। हिमाचल अपने आप में एक ब्रांड है और जाना-पहचाना पर्यटन स्थल भी। जारीकर्ता निदेशक सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग हिमाचल प्रदेश

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