Feature
   

--14th September 2014

स्पिति के शीत मरुस्थल जैविक-मण्डल आरक्षित क्षेत्र में खर्च होंगे 5.12 करोड़ रुपये

प्रदेश सरकार राज्य के शीत मरुस्थल की जैव-विविधता के संरक्षण तथा लोगों की सक्रिय भागीदारी से पारीस्थितीकीय संतुलन को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है। सरकार ने इस दिशा में अनेक प्रभावशाली पग उठाए हैं। इस क्षेत्र के विकास के लिए 5.12 करोड़ रुपये की व्यापक प्रबन्धन कार्य योजना को मूर्त रूप दिया गया है ताकि इस क्षेत्र की बहुमूल्य संपदा का संरक्षण सुनिश्चित हो और इनके दोहन से विकासात्मक गतिविधियों को भी सुनिश्चित बनाया जा सके। हिमाचल प्रदेश का स्पीति क्षेत्र शीत मरुस्थल का एकमात्र जैविक-मण्डल आरक्षित क्षेत्र है। प्रदेश सरकार द्वारा इस क्षेत्र में पर्यावरण एवं जैव-विविधता के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा रहा है। क्षेत्र में कार्यान्वित की जा रही विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों में स्थानीय लोगों की सहभागिता को सुनिश्चित किया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र में पाई जाने वाली बहुमूल्य वन सम्पदा जैसे जड़ी-बूटियां और ऊर्जा के गैर पारम्पारिक स्त्रोतों का दोहन कर लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन को और बेहतर बनाया जा सके। देश के कुल 18 शीत मरुस्थल जैविक-मण्डल आरक्षित क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश में केवल एक मात्र स्पीति शीत मरुस्थल जैविक-मण्डल को वर्ष 2009 में आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है। असीमित नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे स्पीति का यह शीत मरुस्थल 7770 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है, जो ट्रांस हिमालय पारिस्थितिकी तंत्र का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। इसमें पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान व इसके आस-पास के क्षेत्र, चन्द्रताल व सरचू और किब्बर वन्य अभ्यारण्य के क्षेत्र आते हैं। प्रदेश वन विभाग के वन्य प्राणी प्रभाग द्वारा हाल ही में इस क्षेत्र के विकास के लिए 5.12 करोड़ रुपये की व्यापक प्रबन्धन कार्य योजना को भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की स्वीकृति के लिए भेजा गया था, जिसे केन्द्र ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस योजना का क्रियान्वयन वन विभाग द्वारा अगले पांच वर्षों में किया जाएगा। योजना के प्रथम वर्ष 2014-15 के लिए वन विभाग को 81.48 लाख रुपये की राशि प्राप्त हो चुकी है। स्पीति क्षेत्र के धार्मिक एवं महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल ताबो बौद्ध-मठ प्राचीनतम मठों में से एक है। इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया जा चुका है। इस योजना के क्रियान्वयन से इस क्षेत्र को यूनेस्को के ‘मनुष्य एवं जैविक-मण्डल’ कार्यक्रम के अंतर्गत लाने के प्रयास किए जाएंगे। स्पीति शीत मरुस्थल क्षेत्र के लिए स्वीकृत योजना के कार्यान्वयन के तहत स्थानीय समितियों, पंचायत प्रतिनिधियों और महिला मण्डलों को सम्मिलित करते हुए लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरुक करने, उनकी व कर्मचारियों का क्षमता-विकास करने, विभागीय मूलभूत सुविधा सुधारने, वन्य-जीव का सुधार करने, जैव-विविधता सरंक्षण, पशु-पालन संरक्षण, सूक्ष्म-कृषि, ऊर्जा के गैर पारम्पारिक स्त्रोत, जल प्रबन्धन, व जड़ी-बूटी विकास के माध्यम से स्थानीय सामाजिक-आर्थिक सुधार के कार्यक्रम चलाए जाएंगे। स्पीति क्षेत्र में पौधों व झाडि़यों की लगभग 500 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें 118 प्रजातियां ऐसी हैं जोकि जड़ी-बूटी के रुप में प्रयोग की जाती हैं, जिनमें अतीश, पतीश, चिरायता, कडू इत्यादि मुख्य हैं। योजना के तहत इन जड़ी-बूटियों से औषधी तैयार करने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। बर्फानी तेन्दुआ, भेडि़या, काला व भूरा भालू, घुरल, लाल लोमड़ी, गिद्ध, बर्फानी मुर्गा, गोल्डन ईगल इत्यादि यहां की मुख्य पशु-पक्षी प्रजातियां हैं। यह योजना इस क्षेत्र में पहले से क्रियान्वित की जा रही 5.15 करोड़ रूपये की बर्फानी तेन्दुआ संरक्षण कार्यक्रम की पूरक है। योजना के तहत तेन्दुआ-बाहुल्य क्षेत्रों में वन्य-जीव वास सुधार, सूक्ष्म-सिंचाई, आहत भेड़-बकरी के मुआवजे के कार्यों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया है वहीं शीत मरुस्थल कार्य योजना के अंतर्गत इस क्षेत्र के लोगों के रोज़गार व विकास के उन पक्षों पर जोर दिया जाएगा, जिनसे वन्य-जीवों पर प्रतिकूल असर न हो। योजना के क्रियान्वयन के साथ-साथ मूल्यांकन व शोध का कार्य करने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, गलेशियरों में बदलाव व जैव-विविधता संरक्षण के बारे में भी अध्ययन किया जाएगा। स्थानीय समुदायों को मुख्य फैसलों में सहयोगी बनाकर वन विभाग योजना के उद्देश्यों की सार्थक प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहेगा। योजना के तहत कर्मचारियों और स्थानीय लोगों को लाभान्वित करने का प्रयास किया जाएगा जिससे कि वे कार्यक्रम को लागू करने में सहभागी बनें।

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10451425

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox