भारतीय औषधि पद्धति (आईएसएम) राज्य में गुणात्मक स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रही है। बिना किसी दुष्प्रभाव के यह पद्धति भारत में सदियों से प्रचलित है, जिसका उपयोग प्राचीन काल में ऋषि-मुनि भी करते रहे, जिसका अनुसरण विदेशों में भी किया जा रहा है। राज्य सरकार प्रदेश में आयुष चिकित्सा पद्धति को अधिक प्रचलित करने के लिए प्रदेश में कार्यरत आयुर्वेदिक संस्थानों को सदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वर्तमान में राज्य में लोगों को 1112 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य संस्थानों, 32 आयुष अस्पतालों, 14 होम्योपैथी स्वास्थ्य केन्द्रों, तीन यूनानी स्वास्थ्य केन्द्रों तथा चार आमची क्लिनिकों के माध्यम से चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
आयुर्वेद विभाग को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से सरकार ने लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए 83 आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति की है। एक प्रयोगशाला सहायक तथा 10 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति भी की गई है। कांगडा जिले के अप्पर मझेलटी के आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्र को 10 बिस्तरों के आयुर्वेदिक अस्पताल में स्तरोन्नत किया है तथा इसके लिये आठ पदों का सृजन भी किया है।
राज्य सरकार आयुर्वेदिक संस्थानों में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिये भी कृतसंकल्प है। राजीव गान्धी स्नात्कोत्तर आयुर्वेदिक कालेज में अतिरिक्त दो प्रवक्ताओं की नियुक्ति की गई है। राज्य में एक होम्योपैथी कालेज, बी फार्मासियूटिकल कालेज जोगेन्द्रनगर, कांगडा के पपरोला तथा सिरमौर के माजरा में तीन राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसियां कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, जोगेन्द्रनगर में एक दवाई परीक्षण प्रयोगशाला तथा मण्डी के जोगेन्द्रनगर, हमीरपुर के नेरी, शिमला के धमरेडा तथा बिलासपुर जिले के झलेड़ा में चार हर्बल गार्डन स्थापित किये गए हैं।
लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए विभाग की सभी क्रियात्मक पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जा रहा है। कांगड़ा जिला के अपर मझेटली आयुर्वेद स्वास्थ्य केन्द्र को 10 बिस्तरों वाले आयर्वेदिक अस्पताल में स्तरोन्नत किया गया है। इसके अलावा इस संस्थान के लिए विभिन्न वर्गों के 8 पदों को सृजित किया गया है।
प्रदेश सरकार इस चिकित्सा पद्धति को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रशिक्षण व विस्तार गतिविधियों को आगे बढ़ा रही है। प्रदेश सरकार मण्डी जिले के जोगेन्द्रनगर स्थित आईएसएम में प्रशिक्षण व्यवस्था के साथ साथ विस्तार गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रही है। संस्थान ने 34 प्रशिक्षण शिविर एवं अन्य विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से 462 विद्यार्थियों और 547 किसानों को लाभान्वित किया है।
वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य सरकार ने 43,65,587 रोगियों का सामान्य चिकित्सा उपचार, 23,893 रोगियों का पंचकर्मा तथा 19,224 रोगियों का क्षारसूत्रा करवाया है। काया-चिकित्सा, आर्थो, शल्य तथा शालक्य तन्त्र विशेषज्ञों द्वारा राज्य के दूर-दराज के क्षेत्रों पूह, सांगला और रिकांगपिओ में बहु-उद्देशीय शिविरों का आयोजन किया गया। गत वर्ष कुल्लू दशहरा के दौरान मडिसिन, सर्जरी, आंखए नाक व कान, प्रसूति तन्त्र, स्त्री रोग, योग, नैचरोपैथी व क्षारसूत्रा विशेषज्ञ शिविरों का आयोजन भी किया गया। इसके अतिरिक्त, हर्बल मेडिसिनल पौधों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
शिमला जिले के रोहडू उपमण्डल के समोली, चिढ़गांव, चपोति में क्षारसूत्रा (पाईलज), तिब्तियन पद्वति सोवा-रिग्पा, सिद्धा, यूनानी, होम्योपैथी तथा आयुर्वेद विशेषज्ञ उपचार बहुउद्देशीय शिविरों का आयोजन किया गया। इसके अलावा, आउटरीच स्वास्थ्य गतिविधियों के अन्तर्गत कांगड़ा जिले के गुलेर, बडाल, थोर, गलौर तथा आयुर्वेद अस्पताल देहर में मडिसिन, आर्थो, स्त्री रोग, पंचकर्मा, आंख, कान व नाक इत्यादि के विशेषज्ञ उपचार शिविर भी इस अवधि के दौरान आयोजित किए गए।
प्रदेश सरकार द्वारा भारतीय चिकित्सा पद्धति के प्रति सक्रिय पहल, से प्रदेश में लोगों के उनके घरद्वार पर बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध होंगी।