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31th August 2014

हिमाचल प्रदेश में हरित वृद्धि की ओर बढ़ते कदम

शिमला, 31 अगस्त, 2014 चारों ओर फैली हरियाली और स्वास्थ्य के लिए अनुकूल वातावरण के कारण, हिमाचल प्रदेश को देश भर में महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है। राज्य के हरित आवरण को बनाए रखने के लिए प्रदेश में अनेक पग उठाए गए हैं, जिन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने सराहा है। इसका श्रेय निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह की दूरदृष्टि को जाता है, जिनके प्रयासों से राज्य के पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए अनेक उपाये सुनिश्चित बनाए गए हैं ताकि हिमाचल प्रदेश की पहचान ‘स्वच्छ एवं हरे-भरे’ राज्य के रूप में कायम रहे। प्रदेश सरकार ने राज्य के अपार सौंदर्य को बनाए रखने के लिए अनेक नवीन पग उठाए हैं। इस विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश में राज्य पर्यावरण सुरक्षा एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को स्थापित किया गया है, जो न केवल उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपाए सुनिश्चित बनाता है बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के संवर्द्धन के लिए भी आवश्यक कदम उठा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2013-14 के दौरान प्रभावी रूप से राज्य के संवेदनशील पर्यावरण प्रबंध के लिए पर्यावरण मास्टर प्लान दस्तावेज को अंतिम रूप दिया गया। इस योजना के अन्तर्गत वर्ष 2014-15 में खण्डीय दिशा निर्देशों को अपनाया तथा लागू किया जाएगा। वर्ष 2013-14 के दौरान, राज्य का सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण नीति का पुनः विवेचन तथा पुनर्गठन किया गया। जलवायु परिवर्तन पर राज्य की नीति एवं कार्ययोजना को अनुकूल बनाने और शमन करने संबंधी रणनीति के अंश व भाग के रूप में अंतिम रूप दिया गया है। यह राष्ट्रीय विशेषज्ञ समिति द्वारा अनुमोदित है। इस परियोजना के अंतर्गत विभिन्न नीतियों को कार्यान्वित किया जा रहा है। राज्य को ‘हरित एवं सतत विकास’ के लिए भारत सरकार के सहयोग से विश्व बैंक से 100 मिलियन डालर का विकास नीति ऋण प्राप्त हुआ है। स्थायी आर्थिक एवं हरित विकास के माॅडल की ओर रूपांतरणीय तबदीली के लिए सरकार प्रयासरत है। प्रदेश में राज्य पर्यावरण बदलाव केंद्र को और सुदृढ़ बनाया गया है ताकि धीरे-धीरे घटती ओज़ोन लेयर से पर्यावरण बदलाव पर होने वाले प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यक योगदान दिया जा सके। प्रदेश की जनता के जीवन यापन से संबंधित व्यवसायों जैसे कृषि एवं बागवानी पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों से संबंधित शोध राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र द्वारा किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, देश का ऐसा एकमात्र पहला बोर्ड है, जो हर प्रकार के प्रदूषण को कम करने के लिए स्थापित किया गया है। यह बोर्ड प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण के साथ-साथ योजना एवं समन्वय के लिए नोडल एजेंसी के तौर पर कार्य कर रहा है। आर्थिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा के मध्य उचित समरूपता को बनाए रखने के लिए बोर्ड हमेशा प्रयासरत है। पर्यावरण कानून के स्थापित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, बोर्ड द्वारा स्थायी विकाास के सिद्धांतों का अनुसरण किया गया है। पर्यावरण से संबंधित मांगों, चुनौतियों एवं नये अधिनियमों को पूरा करने के लिए बोर्ड द्वारा अपनी गतिविधियों को विस्तार देने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वैब आधारित सम्मति व्यवस्था को अपनाने वाला उत्त्र भारत में पहला बोर्ड है। इसकी उद्योग संगठनों और भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा भी सराहना की गई है। बोर्ड भारत का पहला बोर्ड है, जिसने सीमेंट, औषधीय, कपड़ा व खाद्य संसाधन उद्योगों के प्रदूषण के मानकों को सार्वजनिक ज्ञानक्षेत्र में अपलोड किया है। साथ ही, आॅनलाईन वास्तविक समय में वायु उत्सर्जन की निगरानी सभी सीमेंट सयंत्रों में शुरू की गई है। परिवेश वायु में आरएसपीएम की मात्रा को सप्ताह में तीन बार चैबीस घण्टे प्रदेश के 10 कस्बों व शहरों में 20 जगहों में मापा जा रहा है। बोर्ड द्वारा हर महीने सतलुज, ब्यास, रावी, यमुना, पार्वती, सिरसा, मारकण्डा, सुखना नदियों व सहायक नदियों के कुल 219 चयनित स्थानों में पानी के नमूने एकत्रित किए जाते हैं तथा उनका विश्लेषण किया जाता है। राज्य सरकार के लिए पन बिजली मुख्य विकासात्मक क्षेत्र है। हिमाचल प्रदेश, देश का पहला राज्य है, जिसने नदियों में पूरा साल भर कम से कम 15 प्रतिशत प्रवाह को बनाए रखने की नीति शुरू की है। 15 जल विद्युत परियोजनाएं अब तक वास्तविक समय निगरानी तंत्र स्थापित कर चुकी है। प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं में कम से कम 15 प्रतिशत पानी प्रवाह की उपलब्धता के लिए पूरी तरह से वैब सक्षम आनलाईन निगरानी को अनिवार्य किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ संपूर्ण स्वच्छता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्कूल स्तर पर तथा पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए अनेक जागरूकता अभियान आरम्भ किए गए हैं ताकि लोग पर्यावरण संरक्षण से होने वाले लाभ को समझ सके। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के वांछित परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

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