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14th February 2016

समर्थ योजना लड़कियों के लिये बनी आत्मरक्षा का हथियार

 
राज्य के सर्वांगीण विकास और उन्नति के लिए जरूरी है वहां का शांतिपूर्ण माहौल। और इसकी जिम्मेदारी है पुलिस प्रशासन पर। शासन के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर राज्य सरकार विशेष ध्यान दे रही है। हिमाचल प्रदेश पुलिस व्यावसायिकता एवं सपर्मण की उच्च भावना का बेहतरीन प्रदर्शन करती रही है। यही कारण है कि यह पहाड़ी प्रदेश संगठित अपराधों, हिंसा और कानून व व्यवस्था जैसी बड़ी समस्या से लगभग मुक्त है। पुलिस बलों के उत्तरदायी दृष्टिकोण से ही राज्य के लोगों में सुरक्षा की भावना उत्पन्न हुई है।
 
   हिमाचल प्रदेश पुलिस की कानून की पालना करवाने की वचनबद्धता के कारण राज्य शांतिप्रिय एवं रहने के लिये सर्वाधिक सुरक्षित स्थान है। राज्य सरकार महिलाओं के विरूद्ध किसी प्रकार के अपराध के प्रति बहुत संवेदनशील है और राज्य में महिलाओं के साथ अपराध की घटनाएं लगभग नगण्य हैं तथा राज्य पुलिस महिलाओं के प्रति अपराध के सभी मामलों की जांच में मुस्तैदी एवं गुणात्मकता सुनिश्चित बना रही है जिसके चलते अपराधियों की समय पर धरपकड़ कर इन्हें कानून के हवाले किया जा रहा है।
 
   राज्य सरकार ने महिला सुरक्षा से जुड़े मामलों का निराकरण करने की दिशा में अनेक नए कदम उठाए हैं जिसके फलस्वरूप, राज्य में पिछले तीन वर्षों के दौरान महिलाओं के प्रति अपराधों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। महिलाओं के प्रति अपराधों पर अंकुश के लिये हिमाचल सरकार ने निरन्तर प्रयासरत हैं। महिला शिकायतकर्ताओं को आरामदायक एवं भयरहित वातावरण प्रदान करने के लिये प्रत्येक जिले में महिला सैल एवं मानव तस्करी विरोधी इकाईयों की स्थापना की गई है। राज्य सरकार ने प्रत्येक पुलिस स्टेशन में 7 से 10 महिला पुलिस कर्मियों को तैनात किया है जिससे महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि सुनिश्चित हुई है और साथ ही महिलाएं पुलिस के पास जाकर अपराधिक घटनाओं की बिना किसी झिझक के रिपोर्ट करने में सक्षम हुई हैं।
 
   प्रदेश सरकार ने महिलाओं के विरूद्ध अपराध की त्वरित प्रतिक्रिया तथा महिलाओं की संकट के दौरान किसी भी काॅल में सतर्कता व प्रतिक्रिया समय बढ़ाने के लिये पुलिस मुख्यालयों में  ‘महिला त्वरित बल’ की स्थापना की गई है। राज्य सरकार ने महिला हैल्पलाईन, पुलिस एसएमएस सेवा, महिलाओं के विरूद्ध अपराध के माड्यूल की निगरानी के लिये महिला कर्मियों की प्रशिक्षित टीम को तैनात किया है। वर्ष 2015 के दौरान एसएमएस के माध्यम से कुल 2772 शिकायतें प्राप्त हुई जिनमें से अधिकांश का निपटारा कर लिया गया है। महिला शिकायतकर्ताओं से प्राप्त आपातकालीन काॅलों की प्रगति एवं कार्रवाई की निगरानी के लिये राज्य मुख्यालय में पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया गया है।
 
   राज्य सरकार ने ‘समर्थ योजना’ के अन्तर्गत अपराधों के विरूद्ध लड़कियों को सशक्त बनाने की पहल की है। प्रदेश के स्कूलों एवं कालेजों की लड़कियों में आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिये समर्थ योजना आरम्भ की है जिसके तहत प्रदेश पुलिस द्वारा लड़कियों को निहत्थे लड़ने का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। वर्ष, 2015 के दौरान हि.प्र. पुलिस ने 89653 लड़कियों को यह प्रशिक्षण प्रदान किया है।
 
   प्रदेश सरकार ने अपराधियों की आसान पहुंच के लिये पुलिस थानों में पर्याप्त महिला पुलिस स्टाॅफ को तैनात किया है। राज्य सरकार ने शिमला, धर्मशाला तथा मण्डल में तीन महिला पुलिस थानों की स्थापना की हैं और अब वर्ष 2016 के दौरान बद्दी व कुल्लू में दो और महिला पुलिस थानें खोले जाएंगे। प्रदेश सरकार की योजना प्रदेश के सभी जिलों में चरणवद्ध तरीके से महिला थाने खोलने की है ताकि महिलाओं को एक भयरहित माहौल मिल सके।
 
   महिलाओं के प्रति अपराधों में गिरावट पुलिस द्वारा अपराधियों की त्वरित धरपकड़ तथा कानून के बेहतर प्रवर्तन का नतीजा है और निश्चित तौर पर इसका श्रेय प्रदेश पुलिस को दिया जाना चाहिए। पिछले 10 वर्षों के दौरान प्रदेश में बलात्कार अपराधों की वार्षिक औसत 180 है जबकि राष्ट्रीय औसत 24305 रही। वर्ष 2015 के दौरान दहेज उत्पीड़न के दो मामले पंजीकृत हुए जिनमें से एक मामला दहेज उत्पीड़न के कारण मौत का था। पिछले 10 वर्षों के दौरान दहेज उत्पीड़न मामलों में मौत की राष्ट्रीय औसत लगभग 8083 दर्ज की गई है।
 
   हिमाचल प्रदेश में शासन व्यवस्था देशभर में अव्वल है तथा राज्य सरकार प्रदेश में शांतिपूर्ण वातावरण को बनाए रखने के लिये प्रतिबद्ध है।  
 
 
 

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