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7th February 2016

हिमाचल ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में स्थापित किए नए आयाम

प्रदेश के लोगों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार दूर-दराज के क्षेत्रों तक चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ के पदों को भरने के साथ-साथ ढांचागत सुविधाओं को सुदृढ़ करने के निरन्तर प्रयास कर रही है। 
प्रदेश के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने तथा अद्यतन तकनीकों के साथ-साथ औषधीय उपचार एवं शल्य चिकित्सा के उच्च मानदंडों की पालना को सुनिश्चित बनाने की वचनबद्धता को कायम रखने के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य क्षेत्र को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाने में कभी समझौता नहीं किया।
पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य सरकार ने उपयुक्त अधोसरंचना एवं स्टाफ सहित ग्रामीण एवं कठिन क्षेत्रों में स्वास्थ्य संस्थान खोलने एवं स्तरोन्नत करने पर विशेष बल दिया है। ग्रामीण स्तर तक गुणात्मक स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की वचनबद्धता को पूरा करने के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान अकेले स्वास्थ्य क्षेत्र में 1050 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। 
सरकार के सतत् प्रयासों से हिमाचल प्रदेश उत्कृष्ट स्वास्थ्य मानकों में देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। अत्याधुनिक एवं बेहतर ढांचागत सुविधाएं, अनुसंधान सुविधाएं तथा पर्याप्त स्टाफ की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक पग उठाए गए हैं।
राज्य सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों के 60 पद तथा अन्य चिकित्सकों के 500 पदों सहित नर्सों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ के अनेकों पदों को भरने के साथ-साथ 100 से अधिक स्वास्थ्य संस्थान खोले अथवा स्तरोन्नत किए हैं। 
अखिल भारतीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स्) के सहयोग से राज्य में पहली बार टेली-स्ट्राॅक प्रबन्धन कार्यक्रम आरम्भ किया गया है। आईजीएमसी के साथ-साथ नूरपुर, रामपुर और कुल्लू में अत्याधुनिक ट्राॅमा केन्द्रों की स्थापना की जा रही है। प्रदेश सरकार, इंदिरा गांधी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल शिमला और डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल काॅलेज टांडा प्रत्येक के लिए एमबीबीएस की 100 सीटें बहाल करने में सफल हुई है। सरकार के निरन्तर प्रयासों से आईजीएमसी शिमला के नर्सिंग स्कूल को स्तरोन्नत करके नर्सिंग काॅलेज किया गया है।
प्रदेश के दूरवर्ती क्षेत्रों के लोगों को विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 10 जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा मोबाइल डाॅयाग्नोस्टिक इकाइयों की स्थापना की जा रही है तथा इन इकाइयों में अल्ट्रासाउंड की सुविधा और आवश्यक जीवन रक्षक दवाइयां उपलब्ध होंगी।
शिमला के कमला नेहरू मातृ एवं शिशु चिकित्सा अस्पताल में 16.50 करोड़ रुपये की लागत से 100 बिस्तरों के अतिरिक्त खण्ड का निर्माण किया जा रहा है। इसी प्रकार का 100 बिस्तरों वाला मातृ एवं शिशु अस्पताल मण्डी के आॅंचलिक अस्पताल में स्थापित किया जा रहा है।
भारत सरकार से 567 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता से चम्बा, हमीरपुर तथा नाहन में तीन और मेडिकल काॅलेजों की स्थापना की जा रही है। राज्य के लिए एक एम्स स्वीकृत किया गया है, जो बिलासपुर जिले में स्थापित किया जा रहा है। एम्स की स्थापना से राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और सुदृढ़ होगी। 
प्रदेश के दो प्रमुख स्वास्थ्य संस्थानों आईजीएमसी शिमला और डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल काॅलेज टांडा को सुपर स्पेशियलिटी केन्द्रों में विकसित किया जा रहा है।
टांडा काॅलेज में 45 करोड़ रुपये की लागत से एक सुपर स्पेशियलिटी खण्ड का निर्माण किया गया है तथा विभिन्न श्रेणियों के 242 पदों को भरा गया है। शिमला के कमला नेहरू अस्पताल को स्तरोन्नत करके मातृ शिशु अस्पताल किया गया है, जहां 100 अतिरिक्त बिस्तर उपलब्ध करवाए जाएंगे। 
आईजीएमसी शिमला में 100 बिस्तरों के एक अतिरिक्त परिसर का शीघ्र निर्माण किया जाएगा और इसमें दंत चिकित्सा एवं नर्सिंग काॅलेज भी होगा। प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सेवा योजना चरण तीन के अन्तर्गत 150 करोड़ रुपये व्यय करके आईजीएमसी के स्तरोन्यन की योजना स्वीकृत की गई है। 
आईजीएमसी शिमला, प्रदेश सरकार का उत्तर भारत में एक मात्र संस्थान है, जो ओपन हार्ट सर्जरी सुविधा के साथ सुपर स्पेशियलिटी एमसीएच कार्यक्रम भी क्रियान्वित कर रहा है। आईजीएमसी के हृदय शल्य केन्द्र को और सुदृढ़ किया गया है और इसमें ओपन हार्ट सर्जरी सहित सीएबीजी, वाल्व बदलना तथा जन्मागत हृदय रोगों की शल्य चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। ओपन हार्ट सर्जरी करवाने वाले अधिकांश रोगियों को मुख्यमंत्री राहत कोष से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना तथा स्कूल चिकित्सा कार्यक्रम आरम्भ होने से अधिक से अधिक रोगी इस सुविधा को प्राप्त कर रहे हैं। 
हाल ही में आईजीएमसी के यूरोलाॅजी विभाग में किडनी में पत्थर के शल्यमुक्त उपचार के लिए लिथोट्रिप्सी सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। राज्य सरकार ने आईजीएमसी परिसर में निःशुल्क जीवन रक्षक औषद्यालय खोला है, जहां गरीब एवं बीपीएल रोगियों को 300 प्रकार की जीवन रक्षक दवाइयां निःशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं। अन्य रोगी भी बहुत कम दामों पर इन दवाइयों को प्राप्त कर सकते हैं।
 
 
 
 

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