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31th January 2016

प्रदेश सरकार बागवानी उत्पादन बढ़ाने के लिये प्रयासरत

   फसल बीमा योजना में प्रदेश के 1.28 लाख किसान शामिल

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक उन्नति में बागवानी की महत्वपूर्ण भूमिका है। सौभाग्यवश, राज्य की विविध भौगोलिक स्थितियां यहां बागवानी के लिये व्यापक संभावनाएं उपलब्ध करवाती हैं। बागवानी के सतत् विकास के लिये उत्पादन बृद्धि पर विशेष बल दिया जा रहा है। पिछले तीन वर्षों के दौरान बागवानी के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है। राज्य सरकार, प्रदेश में बागवानी क्षेत्र को विकसित करने के लिये अनेक सुविधाएं एवं प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है। किसानों एवं बागवानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।

राज्य में समेकित बागवानी विकास के लिये पिछले तीन वर्षों के दौरान केन्द्रीय प्रायोजित योजना के अन्तर्गत 115.48 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है। हरित गृहों के निर्माण के लिये अनुदान 85 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है जिसमें से 35 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। ओलावृष्टि रोधक जालियों पर 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है और 30 प्रतिशत राज्य सरकार वहन कर रही है। चालु वित्त वर्ष के दौरान दो लाख वर्गमीटर क्षेत्र को संरक्षित खेती के अन्तर्गत लाने के साथ 12 लाख वर्गमीटर अतिरिक्त क्षेत्र को एन्टी हेल नेट प्रदान किए गए हैं।

बागवानी विकास के लिये वर्ष 2013-14 से 2015-16 के दौरान राज्य योजना बजट में 94 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह बजट 84.97 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 164.94 करोड़ रुपये किया गया है।

हिमाचल प्रदेश फल नर्सरी पंजीकरण अधिनियम, 1973 के प्रावधानों को और कड़ा करने के उद्देश्य से इसमें संशोधन किया गया है। उक्तावधि के दौरान निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में 154 नई नर्सरियांे का पंजीकरण तथा 254 का नवीनीकरण, जबकि 48 नर्सरियों का प्रत्यापन किया गया है। वर्तमान में राज्य में निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्रों में 667 पंजीकृत तथा सात ऊतक संवर्धन प्रयोगशालाओं का रखरखाव किया जा रहा है।

राज्य में पिछले तीन वर्षों के दौरान विविध बागवानी के अन्तर्गत 9219 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र शामिल किया गया है। इसी अवधि में 22634 मीट्रिक टन मशरुम, 4725 मी.टन शहद तथा 240 लाख रुपये का पुष्पोत्पादन किया गया है।

बागवानी में विविधता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने पुणे-महाराष्ट्र का एक नामी अन्तर्राष्ट्रीय मिष्ठान उद्योग फैरो प्राईवेट लिमिटेट के साथ पिंगल फलों (पहाड़ी बादाम) की उन्नत किस्मों पर तकनीकी-आर्थिकी व्यवहारिकता अध्ययन के लिये समझौता ज्ञापन पर करार किया है। हाल ही में इस कम्पनी के साथ हुए करार के अनुरुप इटली से पिंगल फलों की पाॅंच विशिष्ट किस्मों का आयात करने का प्रस्ताव है।

राज्य में गौण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये प्रदेश सरकार ने मशरुम की खेती को कृषि गतिविधि के रूप में अपनाया है तथा शिमला जिले के दत्तनगर में वार्षिक 500 मी.टन कम्पोस्ट उत्पादन क्षमता की एक नई मशरुम मिश्रण इकाई स्थापित की है। मधुमक्खियों के माध्यम से परागण को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकार 30 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान प्रदान कर रही है। सरकार ने पुष्पोत्पादकों को राहत पहंुचाने के लिये हिमाचल पथ परिवहन निगम की बसों में फूल बक्सों के भाड़े को 50 प्रतिशत कम किया है।

राज्य में उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिये फ्रांस तथा यूनान से अखरोट (चैन्दलर किस्म) के क्रमशः चार हजार 10 हजार पौधों का आयात किया गया है। इसके अतिरिक्त, चालू सर्द ऋतु के दौरान बागवानी विश्वविद्यालय नौणी के माध्यम से यूरोपियन देशों से 2.64 करोड़ मूल्य के सेब की विभिन्न किस्मों जैसे स्कारलैट स्पर-तीन, रैड विलोक्स, जैरोमाईन, बकेई, गाला और मोदी डैल के 42 हजार पौधे तथा कैरमेन एवं अबातिफिटल किस्मों की नाशपाती के 18 हजार पौधों का आयात किया जा रहा है। एप्पल कायाकल्प परियोजना के दिशा-निर्देशों का सरलीकरण किया गया है तथा इस परियोजना के अन्तर्गत 1000 एकड़ क्षेत्र को लाया जा रहा है।

राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिये 30 प्रतिशत राज्य की हिस्सेदारी सहित लघु एवं सीमांत किसानों को अनुदान बढ़ाकर 80 प्रतिशत किया गया है। फलों में कीटों एवं बीमारियों की समस्या से निपटने के लिये पिछले तीन वर्षो के दौरान किसानों को 14.45 करोड़ मूल्य की 348 मीट्रिक टन कीटनाशक दवाईयांे की आपूर्ति की गई है जिसमें 5.46 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है।

प्रदेश के समस्त संभावित क्षेत्रों में मौसम आधारित फसल बीमा योजना को सभी मुख्य फल फसलों के लिये बढ़ाया गया है। सेब के लिये बीमा छत्र को 17 विकास खण्डों से 36 विकास खण्डों तथा आम के लिये बीमा छत्र 10 से 41 विकास खण्डों तक बढ़ाया गया है। इसके अतिरिक्त, आडू, प्लम और किन्नू को भी इस योजना के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है तथा क्रमशः 5, 13 15 विकास खण्डों में क्रियान्वित की जा रही है। ओलावृष्टि तूफान के लिये अतिरिक्त छत्र को चार से 17 खण्डों तक बढ़ाया गया है।

प्रदेश में पिछले तीन वर्षों के दौरान फसल बीमा योजना को 127791 किसानों ने अपनाया है और राज्य सरकार ने 25 प्रतिशत प्रीमियम का दायित्व वहन करके 15.54 करेाड़ रुपये खर्च किए हैं जिसके विरूद्ध 44092 किसानों को 33.97 करोड़ रुपये के दावे प्रदान कर लाभान्वित किया गया है।

 

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