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--24th August 2014

मंडी मध्यस्थता योजना से बागवानों को मिल रहे लाभकारी दाम

प्रदेश सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही मंडी मध्यस्थता योजना राज्य के फल उत्पादकों के लिए बहुत सहायक सिद्ध हुई है जिसके अंतर्गत उन्हें अपने उत्पादों के लाभकारी दाम मिल रहे हैं। राज्य में सेब, आम और नींबू प्रजाति के फलों के लिए यह योजना कार्यान्वित की जा रही है। एचपीएमसी को इस योजना के कार्यान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है जो बाज़ार में नहीं बिक पाने वाले फलों का प्रापण कर उनकी प्रोसेसिंग करता है। एचपीएमसी के सतत् प्रयासांे के परिणामस्वरूप, मंडियों में फलों के दाम नियंत्रित करने में सहायता मिली है। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतगर्त सेब, आम और नींबू प्रजाति के फलों की खरीद के साथ-साथ एचपीएमसी अन्य फलों जैसे- आड़ू, लिची, बादाम, स्ट्राबैरी, प्लम, नाशपाती व किवी आदि का प्रापण भी करता है। इसके अलावा, निगम फल उत्पादकों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम दिलवाने के लिए उन्हें परामर्श एवं अन्य सहायता भी प्रदान करता है और राज्य में फल विधायन उद्योग को बढ़ावा देने की दिशा में भी यह प्रयासरत है। प्रदेश में फल उत्पादन को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने और फल उत्पादकों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम सुनिश्चित बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना के अंतगर्त सेब और आम के प्रापण मूल्यों में बढ़ोतरी की है। सीडलिंग आम प्रजाति का समर्थन मूल्य 5.50 रुपये प्रति किलो और कलमी आम का मूल्य 6.50 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 50 पैसे अधिक है। राज्य सरकार ने इस वर्ष के लिए सेब का समर्थन मूल्य भी 6 रुपये से बढ़ाकर 6.50 रुपये प्रति किलो किया है। वर्ष 2013-14 के दौरान मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत आम, सेब और नींबू प्रजाति के फलों का प्रापण मूल्य 50 पैसे बढ़ाया गया था और लगभग 22 करोड़ मूल्य के 34,000 मीट्रिक टन ‘सी’ ग्रेड सेब का प्रापण किया गया। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत इस वर्ष 15 अगस्त से सेब प्रापण का कार्य आरंभ किया गया है जो 31 अक्तूबर तक जारी रहेगा। इसके अंतर्गत 6.50 रुपये प्रति किलो की दर से 89,496 मीट्रिक टन सेब का प्रापण करने का लक्ष्य रखा गया है तथा सेब की पेटियों की चढ़ाई-उतराई के लिए 2.20 रुपये प्रति किलो की दर निर्धारित की गई है। प्रदेश सरकार ने इस योजना के तहत ‘सी’ ग्रेड के सेब की खरीद के लिए राज्य में 125 संग्रहण केंद्र खोले हैं जिनमें से 117 शिमला जि़ला, सात मंडी जि़ला और एक केंद्र चंबा जि़ला में खोला गया है। एचपीएमसी और हिमफैड इन संग्रहण केंद्रों का संचालन कर रहे हैं। अभी तक योजना के अंतर्गत 16 मीट्रिक टन सेब का प्रापण किया जा चुका है। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत फल उत्पादों की मांग और एचपीएमसी एवं हिमफैड की आवश्यकता के अनुसार 147 प्रापण केंद्र खोले जाएंगे। इनमें से 81 केंद्र एचपीएमसी और 66 केंद्र हिमफैड खोलेगा। फलों का प्रापण 18 किलो अथवा 30 किलो के बैग या क्रैट में किया जाएगा। योजना के अंतर्गत 51 मिली मीटर अथवा इससे अधिक व्यास वाले सेब को खरीदा जाएगा। ओलों के कारण मामूली रूप से क्षतिग्रस्त और विकृत सेब को योजना के अंतर्गत खरीदा जाएगा। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत लिए जाने वाले सेब को 3 रुपये प्रति किलो की राष्ट्रीय दर से निजी फल प्रोसेसिंग इकाइयों को बेचने की भी अनुमति प्रदान की गई है। प्रदेश की आर्थिकी में बागवानी क्षेत्र के महत्व को देखेते हुए सरकार बागवानी गतिविधियों को बढ़ावा देने और बागवानों को बेहतर विपणन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए सरकार विशेष रूप से कदम उठा रही है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

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