हिमाचल प्रदेश की धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं में उड्ढ{)ार भारत में स्थित अन्तरराष्टड्ढ{)ीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पौंग डेम वैटलैंड जोकि रामसर स्थल के नाम से लोकप्रिय है। यह एक बहुत रमणीक स्थल है। पक्षियों के निहारने वालों के लिए इस उत्कृष्ट नगरी को इस रूप में भी देखा जाता है कि पौंग डेम वैटलैंड के चारों और बहुत कम वन क्षेत्र है अपितु जैव-विविधता के रूप में यह बहुत समृद्ध क्षेत्र है, क्योंकि इस क्षेत्र में कुछ ऐसी प्रजाति के पेड़ पौधे हैं तथा खाने योग्य फल हैं जिन्हें प्रवासी पक्षी बहुतद चाव से खाते हैं। वैटलैंड के प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए, इस क्षेत्र को राष्टड्ढ{)ीय वैटलैंड के रूप में विकसित किया गया है तथा इस क्षेत्र को अन्तरराष्टड्ढ{)ीय स्ड्ढ{)ार की वैटलैंड सूची में शामिल किया गया है। इस क्षेत्र में खैर, जामुन, शीसम, आम, शहतूत, कचनार और आंवला इत्यादि मुख्य पेड़-पौधे हैं जो पक्षियों के आकर्षण का केन्द्र है। इन पेड़ों की प्रजातियों के अतिरिक्त इस क्षेत्र में कई प्रकार की घास तथा झाडि़यां भी विद्यामान हैं। मुख्य वन्य प्राणियों में नील गाय, साम्भर, हिरण, जंगली सुअर और चीता इत्यादि शामिल हैं। पौंग डैम में इस समय 220 प्रजातियों के पक्षी हैं जो 54 जातियों से संबधित हैं । यह क्षेत्र बहुत से पक्षियों का शीतकालीन आवास भी है, जिनमें काली कलगी वाली समुद्री चिडि़या, ब्राहमणी बड्ढ{)ाखें, हंस, जल कौआ, जलमुर्गी, बुलबुल जैसी चिडि़या, विभिन्न प्रजातियों के बगुले,सारस इत्यादि। लाल गर्दन वाली पनडुब्बियां ;ळतमइमेद्ध भारत में प्रथम बार पौंग डैम वैटलैंड में देखी गई है। दिसम्बर, 2003 के दौरान मुम्बई प्राकृतिक इतिहास समिति द्वारा एक सर्वेंक्षण किया गया जिसके द्वारा प्रवासी पक्षियों की संाख्याकिकी तैयार की गई। इस वर्ष लगभग 1,35,958 प्रवासी पक्षी इस क्षेत्र मेें आए। पौंग डैम क्षेत्र पक्षी निहारने वालों के लिए एक मुख्य केन्द्र बना हुआ है, क्योंकि यह ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां पहली बार तथा गैर मौसमी समय में 70 सारस देखे गए। पौंग डैम की एक अन्य विशेषता यह भी है कि यहां विभिन्न प्रकार की मछलियों की प्रजातियां जैसे महासीर, कतला, मीररकारप, रोहों तथा सिंघाड़ा शामिल हैं। इस क्षेत्र में पांच प्रजातियों की 27 किस्मों की मछलियां भी पंजीकृत की गई है। इस जलाशय के आरम्भ होने से इस क्षेत्र में व्यापारिक स्तर पर मछली पकड़ने का कार्य भी किया जाता है जिससे लगभग 1500 मछुवारों को सीधा रोजगार उपलब्ध हुआ है। इस जलाशय के महत्व के दृष्टिगत राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए विशेष प्रभावकारी पग उठाए हैं। वन मंत्री की अड्ढ{)यक्षता में पौंग टास्क फोर्स गठन किया गया हैं जो इस क्षेत्र के एकीकृत विकास को सुनिश्चित कर रहा है। इस टास्क फोर्स में भाखड़ा ब्यास प्रबंधक बोर्ड, वन, वन्य प्राणी, पर्यटन, जिला प्रशासन, पशुपालन तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य शामिल हैं। पौंग डैम को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने हेतु एक और योजना भी तैयार की गई है जिसके अन्तर्गत निजी उद्यमियों को विकासात्मक गतिविधियों जैसे भू-संरक्षण कार्य, रणसर टापू का विकास इत्यादि कार्यों से जोड़ा जायेगा। स्थानीय लोगों को शिकार खेलने के विरूद्ध गस्त के लिए प्रभावकारी ढ़ किया जा रहा है ताकि वातावरण सुरक्षित रहे तथा प्रवासी पक्षियों की भी शिकारियों से रक्षा की जा सकें। इस कार्य में स्थानीय लोगों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जा रही है जिससे इस क्षेत्र का उचित रख-रखाव भी किया जा सके।