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1st November 2015

गेंहू व जौ की फसलों को मिलता रहेगा बीमा योजना का लाभ

 
प्रदेश के किसानों को लाभान्वित करने के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2015-16 के दौरान राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के कार्यान्वयन को जारी रखने का निर्णय लिया है। यह योजना प्रदेश के उन सभी किसानों पर लागू होगी जिन्होंने गेंहू व जौ की फसलें उगाई हैं। भारत सरकार से प्रशासनिक स्वीकृति के पश्चात यह योजना प्रदेश के चयनित इकाइयों में मौजूदा तरीके से कार्यान्वित की जाएगी।
भारत कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड इस योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगी, जो 44 इकाइयों को इसके दायरे में लाएगी। इनमें गेंहू की फसल के लिए बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, किन्नौर, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन तथा ऊना जिलों की तहसीलें एवं उप-तहसीलें तथा जौ की फसल के लिए चम्बा, कांगड़ा, किन्नोर, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर तथा सोलन जिलों की 20 इकाइयां शामिल हैं।
इस योजना के तहत प्राकृतिक आग, आसमानी बिजली, आंधी, ओलावृष्टि, तूफान, सूखा एवं अन्य फसल बीमारियों इत्यादि से होने वाले नुकसान को योजना के दायरे में लाया गया है, जबकि युद्ध, न्यूक्लियर क्षति इत्यादि को योजना के दायरे से बाहर रखा गया है। 
यह योजना उन ऋण धारक किसानों, जिन्होंने वित्तीय संस्थानों जैसे वाणिज्य बैंकों, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से कृषि ऋण लिए हैं, पर अनिवार्य तौर पर निर्धारित अवधि से लागू की गई है। जबकि, गैर-ऋणी किसान स्वेच्छा से इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। गेंहू व जौ की फसल के लिए कुल उत्पादन का औसतन 80 प्रतिशत स्तर निर्धारित किया गया है। ऐसे मामलों में ऋण धारक किसान को कम से कम ऋण राशि के बराबर बीमा करना होगा।
यदि फसल ऋण की राशि वास्तविक उपज से अधिक है और औसतन उपज का 150 प्रतिशत है तो सामान्य प्रीमियम की दर लागू होगी, जितना ऋण लिया गया है। क्योंकि पूरी ऋण राशि का बीमा करना अनिवार्य किया गया है।  
इस योजना के तहत पात्र छोटे व सीमांत किसान बीमा योग्य फसलों पर कुल प्रीमियम पर 50 प्रतिशत सरकारी अनुदान के लिए पात्र होंगे। राज्य सरकार ने बीमा योग्य फसलों पर दिए जाने वाले प्रीमियम उपदान को 10 से 50 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है, जिसमें राज्य का हिस्सा 45 प्रतिशत और केंद्र का 5 प्रतिशत है। छोटे व सीमांत किसानों को कुल प्रीमियम की केवल 50 प्रतिशत की अदायगी करनी होगी। 
 
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पीएसी अथवा बैंक शाखाओं में ऋण धारक किसानों के फसल बीमा प्रस्ताव को स्वीकार करने की तिथि निर्धारित की गई है। गैर ऋण धारक किसानों के लिए यह तिथि 31 जनवरी 2016 जबकि ऋण धारक किसानों के लिए 31 मार्च 2016 निर्धारित की गई है। 
गैर ऋण धारक किसानों के मामले में कृषि बीमा प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए अंतिम तिथि से एक माह के भीतर घोषणा पत्र को प्रस्तुत करना होगा। गैर-ऋण धारक किसानों के लिए अंतिम तिथि 28 फरवरी, 2016 जबकि ऋण धारक किसानों के लिए यह तिथि 31 मई 2016 निर्धारित की गई है। प्रदेश सरकार द्वारा कार्यान्वयन एजेंसी को दोनों फसलों के लिए उपज का डाटा प्रस्तुत करने के लिए 30 सितम्बर, 2016 की तिथि निर्धारित की गई है। 
दावों का निपटारा केवल राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत उपज डाटा के आधार पर किया जाएगा, जो सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण द्वारा संचालित फसल कटान प्रयोगों की संख्या के आधार पर होगा। इसके अलावा कोई अन्य तरीका जैसे अन्नवारी/पैसावारी और सूखे की घोषणा इत्यादि पर नहीं होगा।
राज्य स्तरीय बैंकर्ज समिति, अग्रणी बैंक प्रबंधकों, सहकारी बैंकों तथा भारतीय कृषि बीमा कंपनी को तत्काल इस योजना को प्रदेश में लागू करने के लिए आवश्यक पग उठाने के निर्देश दिए गए हैं। 
कार्यान्वयन एजेंसी अर्थात भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड को राज्य सरकार के हिस्से के जारी होने के उपरांत शीघ्र दावों की अदायगी सुनिश्चित बनानी होगी। किसी विवाद के कारण दावे की अदायगी में देरी होती है तो इसके लिए कार्यान्वयन एजेंसी उत्तरदायी होगी। बैंकों को भी यह सुनिश्चित बनाना होगा कि कार्यान्वयन एजेंसी से प्राप्त दावे राशि की प्राप्ति की तिथि से 15 दिनों के भीतर लाभार्थी को दावे की राशि जारी व वितरित करनी होगी। जिला स्तरीय बैंकर्ज समिति के समन्वयक योजना की प्रगति का अनुश्रवण समय-समय पर आयोजित बैठकों में करेंगे।
 
 
 

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