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30th May 2021

ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में वरदान साबित हो रहे हैं राज्य सरकार के प्रयास

प्रदेश सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने के लिए अनेक महत्वकांक्षी और कल्याणकारी योजनाएं आरम्भ की हैं। सरकार की इन योजनाओं से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों और रोजगार की अपार संभावनाएं बढ़ी हैं, जिससे राज्य के सभी वर्गों के लोग लाभान्वित हो रहे हैं और उनकी सामाजिक व आर्थिक स्थिति मंे उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

राज्य की भौगोलिक और प्रशासनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने हाल ही में 412 नई पंचायतों का गठन किया है और अब प्रदेश में 3615 ग्राम पंचायतें हैं। सरकार राज्य के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर चिकित्सा, शिक्षा, बिजली और पानी की सुविधाएं सुनिश्चित करने तथा गरीबी उन्मूलन पर विशेष बल दे रही हैं, जिसमें पंचायती राज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

सरकार प्रदेश की ग्रामीण आबादी की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधित आवश्यकताओं को पूरा करने पर भी विशेष बल दे रही है, जिसके अंतर्गत 3,226 पंचायतों को डिजिटल अंब्रेला के तहत कवर किया गया है और ग्रामीणों को इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इंटरनेट सेवा ग्रामीण क्षेत्रों के अंतिम पायदान तक बड़े पैमाने पर सूचना का प्रसार और पहुंच सुनिश्चित करने में एक वरदान साबित हुई है।

पंचायती राज विभाग को पंचायतों के कार्यों की निगरानी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ई-पंचायत के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2020 में प्रथम और वर्ष 2021 में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है। ई-पंचायत के अंतर्गत प्रदेश की 3226 ग्राम पंचायतों में प्लान प्लस, एलजीडी, जियो टैगिंग, एरिया प्रोफाइल, प्रिया साॅफ्टवेयर और नेशनल एसेट डायरेक्ट्री एप्लीकेशन के माध्यम से आॅनलाइन कार्य किया जा रहा है। सभी पंचायतों में आॅनलाइन साॅफ्टवेयर के माध्यम से ग्रामीणों को परिवार रजिस्टर की प्रतियां आॅनलाइन उपलब्ध हो रही हैं। इस सुविधा से पंचायतों के कामकाज में पारदर्शिता एवं दक्षता सुनिश्चित होने के अलावा जवाबदेही तय करने में भी सहायता मिली है।

राज्य को 14वंे व 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत कंेद्र से मिली धनराशि से पंचायतों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचा है। इस राशि से पिछले तीन वर्षोंं की अवधि में 671 पंचायत घरों के निर्माण व मरम्मत कार्यों पर 35.74 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई है और अब तक 1339 मोक्ष धामों का निर्माण किया गया है। ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों को गति प्रदान करने के उद्देश्य से 15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2020-21 में ग्राम पंचायतों के लिए 1600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जिसमें 214 करोड़ रुपये की पहली किस्त प्राप्त हो चुकी है। नवगठित पंचायतों में भी चरणबद्ध तरीके से पंचायत घरों का निर्माण किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए राज्य स्तर पर सचिव पंचायती राज, जिला कार्यकारी अधिकारी (जिला परिषद) तथा खंड स्तर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (पंचायत समिति) के संपूर्ण पर्यवेक्षण और निरीक्षण में पंचायती राज संस्थाओं के लिए एक अलग तकनीकी विंग का गठन भी किया गया है, जिसके लिए विभिन्न श्रेणियों के 1409 पद सृजित किए गए हैं।

ग्रामीणों को घर-द्वार पर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान लगभग 6.06 करोड़ कार्य दिवस अर्जित किए गए, जिसमें महलिाओं की भागीदारी 63 प्रतिशत रही। इस दौरान 1.32 लाख परिवारों ने 100 दिन से अधिक रोजगार प्राप्त किया जिस पर 1780.43 करोड़ रुपये व्यय किए गए। ग्रामीण विकास योजना के तहत पिछले तीन वर्षों मे 7135 मकान निर्मित किए गए तथा मुख्यमंत्री आवास मरम्मत योजना के तहत दो हजार लाभार्थियों को 5.68 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई। इसके अतिरिक्त राज्य के 12 जिलों के 80 विकास खण्डों में आजीविका मिशन चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री रोशनी योजना के तहत गरीब परिवारों को 17,550 मुफ्त विद्युत कुनेक्शन भी प्रदान किए गए हैं।

सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के मानदेय में भी उल्लेखनीय वृद्धि की है। जिला परिषद अध्यक्ष का मानदेय आठ हजार से 12000 रुपये और पंचायती समिति के अध्यक्ष के मानदेय को पांच हजार रुपये से बढ़ाकर सात हजार रुपय किया गया है। ग्राम पंचायत प्रधानों के मानदेय को तीन हजार से बढ़ाकर 4500 रुपये प्रति माह और ग्राम पंचायत सदस्यों का बैठक भत्ता बढ़ाकर 250 रुपये प्रति बैठक किया गया है। इसके अलावा ग्राम पंचायतों में कार्यरत सिलाई शिक्षकों के मासिक पारिश्रमिक को बढ़ाकर 6800 रुपये किया गया है। पंचायत चैकीदारों को अब 5300 रुपये प्रति माह वेतन प्रदान किया जा रहा है।

राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में भी कारगर प्रयास किए है। महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है ताकि महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ-साथ ग्रामीण स्तर पर किए जा रहे विकास कार्यों में उनकी भागीदारी बढ़ाई जा सके। राज्य में हाल ही में संपन्न पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में 124 जिला परिषद सदस्य, 873 पंचायत समिति सदस्य, 12422 पंचायत सदस्य और 1828 महिला प्रमुख सहित विभिन्न पदों पर 15,249 महिलाएँ चुनी गई हैं।

राज्य सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने में भी पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की है। पंचायती राज संस्थाओं को स्थानीय निवासियों को कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने और अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा कोरोना योद्धाओं का सहयोग करने के लिए भी प्रेरित किया। राज्य में कोविड-19 महामारी की शुरुआत से ही पंचायती राज संस्थाओं ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारन्नटीन केंद्र स्थापित करने में सहायता प्रदान करने के अतिरिक्त स्वच्छता जागरुकता और कोविड-19 बचाव संबंधी उपायों के बारे में प्रचार सामग्री वितरित की। सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं और स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी से बड़े पैमाने पर मास्क उत्पादन के लिए अभियान चलाया गया और प्रवासी श्रमिकों को रोजगार के साधन उपलब्ध करवाए गए।

ग्रामीण क्षेत्रों मे विकास कार्यों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है जिसके लिए पांच जिलों कांगड़ा, हमीरपुर, सोलन, मंडी और बिलासपुर में जिला संसाधन केंद्र स्थापित किए गए हैं, जबकि किन्नौर, सिरमौर और शिमला संसाधन केंद्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। पंचायत स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधित सेवाएं एक छत के नीचे प्रदान करने के लिए राज्य में 598 सामान्य सेवा केंद्र भी स्थापित किए गए हैं और वर्ष 2021-22 में 2982 अतिरिक्त केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पिछले तीन वर्षों में पंचायती राज संस्थाओं के 26500 प्रतिनिधियों और ग्राम पंचायत सचिवों को प्रशिक्षण दिया गया है। पंचायतों का पर्यावरण, जल संरक्षण तथा सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में सहयोग लिया जा रहा है।

प्रदेश सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न विकासात्मक योजनाओं और कार्यक्रमों से न केवल ग्रामीण क्षेत्रों का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित हुआ है, बल्कि इन क्षेत्रों के लोग विकास की मुख्यधारा से भी जुड़े हैं।

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