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11th October 2015

राज्य सरकार गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत

11 अक्तूबर, 2015
राज्य सरकार गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत
प्रदेश में विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात देश में अव्वल
राज्य सरकार विद्यार्थियों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, और गत दो वर्षों के दौरान शिक्षा में अनेक नये आयाम हासिल किए हैं।
प्रदेश में विद्यार्थी व अध्यापक अनुपात देश भर में श्रेष्ठ है, जो प्राथमिक शिक्षा में 14ः1, माध्यमिक में 13ः1, उच्च शिक्षा में 27ः1 तथा उच्च सेकेंडरी में 15ः1 है। अध्यापकों को नियमित रूप से प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि उन्हें गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिये दक्ष बनाया जा सके। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार ही अध्यापकों की नियुक्तियां की जा रही हैं।
राज्य सरकार द्वारा प्रारंभिक स्तर पर बच्चों के अध्ययन, लेखन व गणना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सभी सरकारी पाठशालाओं को विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और इस विषय पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत अध्यापकों को प्रदान किए जा रहे प्रशिक्षण के दौरान विशेष महत्व दिया जा रहा है। 
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पहली से आठवीं कक्षा के शिक्षा स्तर के लिए सभी विषयों के अध्यायों को चिन्हित व जनवरी 2014 में अधिसूचित किया गया है। ये मानक सभी स्कूलों में उपलब्ध है। प्रत्येक विद्यार्थी को उनकी योग्या के अनुसार जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए अध्यापकों को उत्तरदायी बनाया गया है और ऐसे विद्यार्थी जो पढाई में कमजोर हैं, उन्हें अध्यापक सुधारात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाएंगे। शिक्षा क्षमता के अधार पर सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्रांरभिक स्तर पर पढ़ रहे विद्यार्थीयों के लिए सेंसिज असेसमेंट आरम्भ कि गई है । इसी प्रकार 9वीं तथा दसवी कक्षाएं दिसंबर 2014 में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षक अभियान के तहत अधिसूचित की गई हैं। ये मानक अधिसूचित किए गए हैं और पाठशालाओें में वितरित किए जा रहें हैं । 
अध्यापकोें की अनुपस्थिति की नियमित तौर पर निगरानी की जा रही है। इस उद्देय से वरिष्ठ अधिकारियों, उप-निदेशकों तथा  बीईईओ द्वारा नियमित निरीक्षण /ओचक दौरे किए जा रहे हैं। प्रयोग के आधार पर कुछ स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीनें लगाई गई हैं, और अन्य स्कूलों में भी लगाने के प्रयास किये जा रहे हैं। अध्यापकों की उपस्थिति पर नजर रखने के लिए प्रत्येक पाठशाला में स्कूल प्रबन्धन समितियां गठित की गई हैं। 
सरकार ने बिलासपुर जिले में प्रारंभिक स्तर पर युक्तिकरण के अनुसार अध्यापकों की तैनाती को मंजूरी प्रदान की गई है । यह प्रक्रिया अन्य जिलों मे भी लागू की जा रही है ताकि अध्यापकों  की तैनाती स्कूलों में विद्यार्थीयों की संख्या के आधार पर की जा सके। प्रदेश सरकार ने उच्च शिक्षा स्तर पर कला, वाणिज्य तथा विज्ञान कक्षाओं को आरंभ करने के लिए नियम अधिसूचित किए हैं। इन नियमों की अधिसूचना के उपरांत सकेंडरी स्तर पर भी युक्तिकरण आरंभ किया जा सकेगा। एक बार युक्तिकरण लागू हो जाने से स्कूल में एक अध्यापक व अधिक अध्यापकों जैसी समस्या समाप्त हो जाएगी । 
 
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राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 जिसे वर्ष 1992 में संशोधित किया गया, को लागू किया है।  नीति के अतिरिक्त, प्रदेश में निःशुल्क शिक्षा का अधिकार एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 को भी लागू किया गया है। राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फे्रमवर्क 2005 प्रदेश में लागू किया गया है और स्कूल पाठयक्रम उसके अनुसार लागू किया गया है। प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण प्रगति की है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। वर्ष 1951 में प्रदेश के साक्षरता दर केवल 7.98 प्रतिशत थी जबकी 2011 की जनगणा के अनुसार प्रदेश में साक्षरता दर 82.80 प्रतिशत हैं। पुरूष एवं महिला साक्षरता दर क्रमशः 89.53 तथा 75.93 प्रतिशत है। 
वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के उद्देश्य से प्रदेश में 10,738 प्राथमिक, 2292 माध्यमिक, 846 उच्च, 1552 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं कार्य कर रही हैं। राज्य की सभी पाठशालाओं में भवनों, शौचालयों, पेयजल जैसी सभी पर्याप्त मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है। इसके अतिरिक्त बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त संख्या में अध्यापकों की नियुक्तियां की गई है। 
प्रदेश में प्रारम्भिक स्तर पर विद्यार्थियों की लगभग 100 प्रतिशत एनरोलमैंट है और ड्राॅपआऊट दर नगण्य है। स्कूलों में सुविधापूर्वक पहुंचने के लिए विद्यार्थियों को हि.प्र. पथ परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। सेकैंडरी शिक्षा को रोज़गारोन्मुखी बनाने के उद्देश्य से राज्य की 200 पाठशालाओं में आॅटोमोबाइल, रिटेल, स्वास्थ्य चिकित्सा, सुरक्षा, औद्योगिक प्रशिक्षएण, पर्यटन एवं कृषि जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रम आरम्भ किए गए हैं। सभी वरिष्ठ माध्यमिक एवं उच्च विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा प्रदान की जा रही है।
वर्ष 2012-13 में प्रारम्भिक शिक्षा के लिए 1992.49 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान था, जबकि वर्ष 2015-16 में 2936.56 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान है, जो वर्ष 2012-13 की तुलना में 47 प्रतिशत अधिक है। उच्च शिक्षा में वर्ष 2014-15 के 1606.40 करोड़ रुपये बजट आवंटन के मुकाबले इस वर्ष 21.10 प्रतिशत वृद्धि के साथ 1945.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है
अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा अधिनियम, 2009 के अतंर्गत 8वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा उपलब्ध करवाई जा रही है। पहली से 10वीं कक्षा तक के सभी विद्यार्थियों को निःशुल्क वर्दी के अलावा 8वीं कक्षा तक की सभी लड़कियों तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और बीपीएल परिवारों के बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाई जा रही हैं। 
 
 

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