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19th July 2015

कृषक एवं खेतीहर मजदूरों के लिए प्रदेश सरकार ने शुरू की जीवन सुरक्षा योजना

प्रदेश सरकार राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के साथ ही कृषकों के कल्याण और उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है। इसी कड़ी में सरकार ने किसानों और खेतीहर मजदूरों को घायल होने अथवा उनकी मृत्यु होने पर उनके परिजनों को समुचित मुआवजा प्रदान करने के लिए कृषि विभाग के माध्यम से एक महत्त्वकांक्षी योजना ‘मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना 2015-16’ लागू की है। इस योजना के अंतर्गत कृषि मशीनरी के प्रयोग के दौरान किसानों तथा खेतीहर मजदूरों के घायल होने अथवा उनकी मृत्यु होने की स्थिति में बीमा छत्र प्रदान किया जा रहा है। इसमें किसान अथवा खेतीहर मजदूर की मृत्यु होने पर मुआवजे के रूप में 1.5 लाख रुपये तथा स्थाई रूप से अपंग होने पर प्रभावित को 50 हजार रुपये तक की सहायता प्रदान की जा रही है। योजना के अंतर्गत उन किसानों तथा खेतीहर मजदूरों को मुआवजा मिलेगा, जिनकी आयु 14 वर्ष से अधिक हो और जो कृषि मशीनरी, औजार व उपकरण आदि द्वारा खेत में प्रयोग के दौरान अथवा कृषि मशीनरी को खेत से घर और घर से खेत ले जाते हुए किसी दुर्घटना की वजह से घायल हुए हों या मृत्यु हुई हो। इसके अन्तर्गत उन किसानों तथा खेतीहर मजदूरों को भी शामिल किया जाएगा, जिनकी मृत्यु अथवा विकलांगता नलकूप, बोरवेल, पम्पिंग सेट, लघु लिफ्ट इत्यादि को स्थापित या संचालित करते समय हुई हो। किसी भी ऊर्जा संचालित मशीनरी को उपयोग, स्थापित या ढुलाई करते समय बिजली के करंट से होने वाली किसानों की मृत्यु अथवा विकलांगता को भी योजना में शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत आने वाली कृषि मशीनरी में विभाग में पंजीकृत टैªक्टर, पावर टिल्लर, वीडर, ऊर्जा चलित हल, रीपर व बाईडर मशीन, पावन थ्रैशर, घास काटने की मशीन, औजार, उपकरण, नलकूप, बोरवेल, पम्पिंग सेट लघु लिफ्ट इत्यादि स्थापित या संचालित करने के लिए उपयोग किए गए उपकरण हैं। इस योजना में केवल स्थानीय किसान तथा खेतीहर मजदूर ही आते हैं और किसी भी कंपनी/ठेकेदार के एक कार्यकर्ता/कर्मचारी को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। इस योजना को कृषि विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। मृतक के कानूनी वारिस या दुर्घटनाग्रस्त को मृत्यु या दुर्घटना की तिथि से 2 महीने के भीतर संबंधित ब्लाॅक के विषय विशेषज्ञ को दावे के लिए आवेदन जमा करवाना होगा। हालांकि, वास्तविक कारणों के आधार पर 4 महीने तक कृषि निदेशक को और 6 महीने तक सचिव (कृषि) को देरी से आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। दावे की राशि सभी तरह से पूर्ण आवेदन प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर वितरित कर दी जाएगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र में अन्य कई नए कार्यक्रम एवं योजनाएं भी शुरू की हैं। इसके तहत 111 करोड़ रुपये की डाॅ. वाई.एस. परमार स्वरोजगार योजना, 154 करोड़ रुपये की राजीव गांधी लघु सिंचाई योजना, 20 करोड़ रुपये की बोरवैल/उठाऊ सिंचाई योजना, मुख्यमंत्री किसान एवं खेतीहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना के अलावा सब्जियों की नर्सरी के लिए सेंटर आॅफ एक्सिलेंस की स्थापना, आॅर्गेनिक खेती और बर्मी कम्पोस्ट इकाईयों की स्थापना, उत्तम चारा उत्पादन योजना और प्रत्येक किसान को मिट्टी परीक्षण कार्ड उपलब्ध करवाने जैसे विभिन्न कार्यक्रम वर्तमान वित्तीय वर्ष में शुरू किए गए हैं। प्रदेश सरकार की यह दूरदर्शी योजनाएं एवं कार्यक्रम कृषि क्षेत्र को कृषि व्यवसाय में ढालने की दिशा में एक सार्थक कदम सिद्ध हो रहे हैं। प्रदेश सरकार ने वर्तमान वित्तीय वर्ष में काॅफी उत्पादन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत 10 हैक्टेयर क्षेत्र में इसके रोपण का निर्णय लिया है। इसके अलावा मौसम आधारित फसल बीमा योजना को विस्तार देते हुए इसमें मटर, टमाटर और अदरक की फसलों को शामिल किया गया है। प्रदेश सरकार ने फसल विविधिकरण परियोजना के तहत तकनीकी सहयोग के दूसरे चरण के लिए जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जायका) से संपर्क किया है। कृषि विभाग द्वारा इन योजनाओं के अतिरिक्त कृषि क्षेत्र के राष्ट्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार के इन्हीं सराहनीय कदमों का नतीजा है कि आज हिमाचल प्रदेश में सब्जी उत्पादन 14.60 लाख टन तक पहुंच चुका है और इससे 2500 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित हो रहा है। मौजूदा खरीफ मौसम के दौरान चार लाख हैक्टेयर भूमि को खाद्यान्न फसलों के तहत लाया गया है और 8.85 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस वित्तीय वर्ष में कृषि उत्पादन एवं कृषकों की आय बढ़ाने के लिए 450 करोड़ रुपये की राशि विभिन्न योजनाओं के तहत खर्च की जा रही है। फसल विविधिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए प्रदेश सरकार इस वित्तीय वर्ष में 66 करोड़ रुपये इस मद पर खर्च कर रही है।

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