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-28th June 2015

किसानों को विपणन आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध हुआ राज्य कृषि विपणन बोर्ड

रामसरण एक छोटा कृषक है, जो अपने उत्पाद को नजदीक की मंडी तक आसानी से पहुंचाने में सक्षम है। उसे अपने उत्पाद के उचित दाम भी प्राप्त हो रहे, जिससे वह आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर है। इसका श्रेय वह प्रदेश सरकार की बेहतर विपणन नीति को देता है। रामसरण जैसे अनेक किसान व बागवान आज अपने उत्पादों को आसानी से प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित नजदीक की मंडियों में बेच रहे हैं और उनके अच्छे दाम प्राप्त कर रहे हैं। हिमाचल प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर करती है। प्रदेश सरकार राज्य कृषि विपणन बोर्ड के माध्यम से कृषकों की विभिन्न आवश्कताओं को पूरा करते हुए मंडियों में उनकी उपज के बेहतरीन मूल्य दिलाने में प्रयासरत है। इसके लिए बोर्ड कृषकों को राज्य और राज्य से बाहर विपणन के बेहतर अवसर उपलब्ध करवा रहा है। वर्तमान में, बोर्ड द्वारा 10 कृषि उपज विपणन समितियों और 56 विनियमित मंडियों के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न स्थानों में किसानों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में बैमौसमी सब्जियों और फलों की बढ़ती मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने सब्जी एवं फल मंडियों के आधुनिकीकरण की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं, ताकि किसानों को सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाई जा सकें। किसानों की आवश्यकताओं के मद्देनजर राज्य के विभिन्न स्थानों पर 56 मंडियों का निर्माण किया गया है और चार अन्य का निर्माण कार्य जारी है। उपरोक्त मंडियों में से आठ विपणन प्रांगणों का निर्माण बीते अढ़ाई साल के कार्यकाल के दौरान पूरा किया गया है। वर्ष 2012-13 से लेकर 31 मार्च, 2015 तक उपरोक्त मंडियों के निर्माण पर 30.42 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। देश के पहाड़ी राज्यों में हिमाचल प्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जिसने हिमाचल प्रदेश कृषि एवं बागवानी उपज विपणन (विकास एवं नियामक) अधिनियम, 2005 को लागू किया है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां पर उपज क्षेत्र छोटी-छोटी इकाइयों में बिखरे हुए हैं। कृषि उपज को मौसम की मार इत्यादि से बचाने के लिए राज्य में संग्रह केन्द्रों का निर्माण किया गया है। वर्तमान सरकार के अढ़ाई साल के कार्यकाल के दौरान 1,17,62,084 रुपये की लागत से ऐसे 27 फल एवं सब्जी संग्रह केन्द्र स्थापित किए गए हैं। बोर्ड द्वारा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में संग्रह केन्द्र स्थापित करने के लिए स्थान चिन्हित करने के निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में, शिमला जिले में चार संग्रह केन्द्र, कांगड़ा में तीन, सोलन और सिरमौर में दो-दो, ऊना में चार, चम्बा में एक, मण्डी और हमीरपुर जिला में तीन-तीन केन्द्र, बिलासपुर में चार और कुल्लू जिला में एक केन्द्र स्थापित किया गया है। इसके अलावा, कृषि उपज विपणन समिति शिमला और किन्नौर द्वारा सब्जी और फल उत्पादक क्षेत्रों देलठ, जनेधाट और थरोला में, जहां परिवहन की सुविधा आसानी से उपलब्ध नहीं है, तीन संग्रह केन्द्रों का निर्माण किया गया है। इन संग्रह केन्द्रों के बनने से क्षेत्रों के किसानों को अब अपनी उपज को सड़कों के किनारे रखने और परिवहन की सुविधा के लिए लम्बे इंतजार से छुटकार मिला है। प्रदेश के अति दुर्गम क्षेत्रों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा रज्जू मार्गों का निर्माण किया जा रहा है। वर्तमान सरकार ने अपने अढ़ाई साल के कार्यकाल में ऐसे आठ रज्जू मार्गों का निर्माण किया है, जिन पर 40.50 लाख रुपये व्यय किए गए हैं। कृषि उपज विपणन समिति, शिमला और किन्नौर द्वारा दूर-दराज के किसानों की उपज सड़कों तक और फिर संग्रह केन्द्रों तक पहुंचाने के उद्देश्य से छः रज्जू मार्गों का निर्माण किया गया है। शिमला और किन्नौर जिले के किसानों की त्वरित आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ और नए रज्जू मार्गों के निर्माण के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड और कृषि उपज विपणन समितियों द्वारा किसानों के लिए जागरूकता शिविरों का भी आयोजन समय-समय पर किया जाता है। इन शिविरों के माध्यम से किसानों को खेती उपरांत तकनीकों, ग्रेडिंग और मानकीकरण, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता, बेहतर कृषक पद्धतियों, विपणन सूचना प्रणाली आदि के बारे में जानकारी मु हैया करवाई जा रही है। बीते अढ़ाई सालों में इन शिविरों के माध्यम से 1400 किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इन किसान प्रशिक्षण शिविरों में विभिन्न विभागों से विपणन विश्ेाषज्ञ किसानों को विपणन से सम्बन्धित ताजा जानकारियों से अवगत करवाया जा रहा है और साथ ही खेती पूर्व और खेती उपरांत तकनीकों से भी उन्हें अवगत करवाया जा रहा है। कृषि विश्वविद्यालय और इससे जुड़ी अन्य संस्थाएं देशभर में लगातार किसानों को उन्नत और वैज्ञानिक कृषि तकनीकों से अद्यतन करवा रही है और खास तौर पर इन संस्थानों केे आस-पास के किसानों को खेती उपरांत प्रबन्धन के बारे में विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन प्रयासों से न केवल किसानों की उपज में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि उनकी आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। किसानों को विपणन सम्बन्धी सूचनाओं से अद्यतन रखने के लिए मंडी समितियों द्वारा केन्द्र सरकार के विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय के सहयोग से केन्द्र प्रायोजित विपणन अनुसंधान एवं सूचना तंत्र (एमआरआईएन) योजना के तहत 39 कम्प्यूटर केन्द्र स्थापित किए गए हैं। इसके तहत किसान वेबसाइट ूूूण्महउंतादमजण्दपबण्पद पर लाॅग इन करके देश भर की मंडियों के भाव पता करने के साथ ही कृषि उपजों की मांग और उपलब्धता की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। राज्य में कृषि क्षेत्र प्रदेश सरकार की प्रगतिशील योजनाओं और किसानों द्वारा उत्पादन में वैज्ञानिक तकनीकों के उपयोग से अभूतपूर्व विकास की ओर अग्रसर है। इसी का परिणाम है कि हिमाचल प्रदेश फल और सब्जियों के उत्पादन में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के साथ ही विपणन आधिक्य की स्थिति हासिल कर पाया है।

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