21 जून, 2015
हिमाचल जैसे कृषि आर्थिकी प्रधान प्रदेश में औद्योगीकरण आंशिक रूप से रोजगार प्राप्त श्रम शक्ति अथवा बेरोजगार श्रम शक्ति को रोजगार के द्वार खोलने मंे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रदेश को उद्यमियों का पसंदीदा निवेश स्थल बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में उद्योग मित्र परिवेश तैयार किया गया है। उद्यमियों की सुविधा के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकियाओं का सरलीकरण किया गया है, आवश्यक अत्याधुनिक अधोसंरचनात्मक सुविधाएं व रियायती दरों पर निर्बाध बिजली प्रदान की जा रही है तथा समयबद्ध अनुमतियां प्रदान करने की दिशा में सतत् प्रयास किये जा रहे हंै। प्रदेश में स्थापित होने वाले नई औद्योगिक इकाईयों को समयबद्ध स्वीकृतियां प्रदान करने के अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा संभावित निवेशकों को आकर्षक प्रोत्साहन पैकेज भी प्रदान किया जा रहा है। इससे जहां एक ओर राज्य में निवेश को व्यापक बढ़ावा मिला है, वहीं इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार के समुचित अवसर भी उपलब्ध हुए हैं।
सरकार द्वारा एक राज्यस्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण का गठन किया गया है, ताकि उद्यमियों को नए उद्यम स्थापित करने के लिए बिना किसी कठिनाई से समयबद्ध स्वीकृति मिल सके। नए उद्यम प्रस्तावों को समयबद्ध स्वीकृति प्रदान करने के लिए सरकार ने ‘काॅमन एप्लीकेशन फाॅर्म’ प्रणाली अपनाई है। प्राधिकरण इस आवेदन पत्र के माध्यम से अब उद्योग स्थापित करने के लिए आवेदन पत्र प्राप्त होने की तिथि से 45 दिनों के भीतर स्वीकृति प्रदान कर रहा है।
राज्य स्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण द्वारा गत लगभग अढ़ाई वर्षों की अवधि में 72 नए औद्योगिक प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है, जबकि 122 विस्तार प्रस्तावों को भी प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दी गई है। इन नए प्रस्तावों में प्रदेश में 10879.17 करोड़ रुपये का निवेश होगा, जिससे प्रदेश के 20,402 से अधिक युवाओं को रोज़गार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
यूनाईटेड बायोटेक प्राईवेट लिमिटेड, रिलांयस, महावीर स्पिंिनग मिल्स, टोरेंट फार्मा तथा हिमालयन एलक्लीज़ एवं केमिकल्ज़ लिमिटेड जैसे देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने अपने उद्यम स्थापित करने के लिए हिमाचल को चुना है। इसके अलावा रेनबेक्सी लेबोरेटरीज लिमिटेड, सुकैम पावर सिस्टम लिमिटेड, प्राॅक्टर एंड गैम्बल्ज लिमिटेड, जाॅनसन एंड जाॅनसन लिमिटेड, मेनकांइड फार्मा लिमिटेड, हैवल्स इंडिया लिमिटेड, एबाॅट हैल्थ केयर लिमिटेड, डाबर इंडिया लिमिटेड जैसे बड़े औद्योगिक घराने प्रदेश में अपनी मौजुदा इकाईयों का विस्तार कर रहे हैं।
राज्य सरकार द्वारा संभावित निवेशकों को एस्काॅटस सेवाएं प्रदान करने तथा प्रदेश में योजनाबद्ध रूप में अधोसंरचना आधारित परियोजनाएं लागू करने के लिए एक निवेश प्रोत्साहन प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इसके अलावा मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक निवेशक प्रोत्साहन परिषद का भी गठन किया गया है, जो प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए अपने सुझाव देगी। इस परिषद में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।
प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए ‘निमंत्रण से निवेश’ प्रदेश सरकार का मूल मंत्र रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा सतत प्रयास किये जा रहे हैं। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश के विभिन्न भागांे में विशेष ‘इन्वेस्टर मीट’ आयोजित की जा रही हंै। प्रथम चरण में हिमाचल प्रदेश निवेश प्रोत्साहन प्रकोष्ठ द्वारा भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) के सहयोग से गत वर्ष नवम्बर में मुम्बई, बेंगलुरू तथा अहमदाबाद में ‘इन्वेस्टर मीट’ का आयोजन किया गया। प्रदेश सरकार के इन प्रयासों के सुखद परिणाम आए हैं तथा राज्यस्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण द्वारा 4189.07 करोड़ रुपये के निवेश के 104 परियोजना प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है। इन परियोजनाओं में 12077 से अधिक लोगों को रोज़गार उपलब्ध होगा। इन परियोजनाओ को विभिन्न विभागों से वांछित स्वीकृतियां प्राप्त करने के लिए दो वर्ष का समय दिया गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा उद्यमियों को रियायती दरो पर बिजली उपलब्ध करवाने के उदेश्य से निर्धारित एक्सट्रा हाई टैंशन (ईएचटी) श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए विद्युत शुल्क को वर्तमान 15 प्रतिशत से घटाकर 13 प्रतिशत, ईएचटी श्रेणी को छोड़कर, वर्तमान में स्थापित मध्यम तथा बड़े उद्योगों के लिए विद्युत शुल्क को वर्तमान 13 प्रतिशत की दर से घटाकर 11 प्रतिशत तथा लघु उद्योगों के लिए विद्युत शुल्क की वर्तमान दर को 7 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया है। इसी प्रकार नए उद्योगों से 5 वर्षाें तक केवल एक प्रतिशत की दर से विद्युत शुल्क वसूला जा रहा है। ईएचटी श्रेणी सहित ऐसे नये उद्योगों से 5 वर्षाें तक केवल एक प्रतिशत की दर से विद्युत शुल्क वसूला जायेगा, जो अपने उद्योग में 300 से अधिक हिमाचलियों को रोज़गार प्रदान करेगा। इसके अलावा राज्य में नए उद्यम स्थापित करने के लिए सेल डीड अथवा लीज़ डीड के लिए उद्यमियों से केवल 50 प्रतिशत स्टांप शुल्क लिया जाएगा।
निवेशकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं प्रदान करने के लिए प्रदेश के ऊना, कांगड़ा तथा सोलन जिलों में तीन अत्याधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों में निवेशकों को सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी। कांगड़ा जि़ला के कंदरौड़ी में 107 करोड़ रुपये व्यय कर औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है, जबकि ऊना जि़ले के पंडोगा में 112 करोड़ रुपये की लागत से औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जा रहा है।
जारीकर्ताः-
निदेशक,
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग,
हिमाचल प्रदेश।