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7th June 2015

‘किशोरी शक्ति योजना’ महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम

7 जून 2015 महिलाओं की समाज के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास के क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकार महिलाओं को समुचित अवसर उपलब्ध कर रही है। महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने व उनका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित बनाने के लिये महिला शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। सरकार ने महिलाओं के समग्र विकास और सामाजिक बदलाव के लिए अनुकूल स्थायी वातावरण बनाने की दिशा में विभिन्न कार्यक्रमों की पहल की है। 11 से 18 वर्ष आयुवर्ग की किशोरियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिये राज्य सरकार ने उल्लेखनीय पहल की है ताकि ये किशोरियां स्वावलम्बन एवं आत्म सम्मान के साथ गरिमापूर्ण जीवन यापन कर सके। राज्य सरकार ने किशोरियों के लिये एक महत्वकांक्षी कार्यक्रम ‘किशोरी शक्ति योजना’ की पहल की है। यह योजना प्रदेश के आठ जिलों- शिमला, सिरमौर, किन्नौर, मण्डी, बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर एवं लाहौल व स्पिति में 46 समेकित बाल विकास परियाजनाओं के माध्यम से प्रभावी ढंग से संचालित की जा रही है। इस योजना के कार्यान्वयन के लिये भारत सरकार द्वारा प्रति परियोजना 1.10 लाख रूपये की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है। किशोरी शक्ति योजना के अन्तर्गत प्रदेश में 11 से 14 वर्ष आयुवर्ग की 104994 किशोरियों को लाभान्वित किया जा रहा है। इनमें 30961 अनुसूचित जाति, 3701 अनुसूचित जनजाति और 70332 अन्य किशोरियां शामिल हैं। इसी तरह 14 से 18 वर्ष आयु की 112783 किशोरियों में अनुसूचित जाति की 33148, अनुसूचित जनजाति की 3935 और अन्यों में 75700 योजना का लाभ प्राप्त कर रही हैं। गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की 41163 किशोरियों को लाभान्वित किया जा रहा है। इनमें अनुसूचित जाति की 14619, अनुसूचित जनजाति की 1145 जबकि 25399 अन्य किशोरियां शामिल हैें। किशोरी शक्ति योजना के तहत 11 से 18 वर्ष आयुवर्ग की किशोरियों को गैर औपचारिक शिक्षा के माध्यम से आवश्यक साक्षरता व कौशल प्रदान किया जा रहा है जिससे पोषण एवं स्वास्थ्य स्थिमि में सुधार के साथ इन्हें अपने निर्णय लेने की क्षमता हो सके। इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य जागरूकता, स्वच्छता, पोषाहर व परिवार नियोजन, गृह प्रबन्धन व शिशु देखभाल के उद्देश्य से घर आधारित व्यावसायिक कौशल उन्नयन व प्रशिक्षण सुनिश्चित बनाया जा रहा है। किशोरियों को 18 वर्ष की आयु के उपरान्त शादी के सम्बन्ध में भी जागरूक किया जा रहा है। योजना के अन्तर्गत स्कूली शिक्षा ग्रहण न कर रही 16 से 18 वर्ष आयु की किशोरियों को आयरन फाॅलिक एसिड पूरकता, स्वास्थ्य जांच, रेफरल सेवाएं, पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा, परिवार नियोजन, परिवार कल्याण परामर्श, किशोरी प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य, शिशु देखभाल अभ्यास, जीवन कौशल शिक्षा तथा सार्वजनिक सेवाओं बारे व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। पात्र महिलाएं किशोरी शक्ति का लाभ सम्बन्धित आंगनबाड़ी केन्द्र, जिला कार्यक्रम अधिकारी अथवा बाल विकास परियोजना अधिकारी के माध्यम से प्राप्त कर सकती हैं।

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