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31th May 2015

प्रदेश सरकार का गुणात्मक शिक्षा के साथ विद्यार्थियों के कौशल उन्नयन पर बल

31 मई, 2015 शिक्षा सर्वांगीण विकास का आधार है और प्रदेश सरकार शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है। राज्य के दूरवर्ती, पिछड़े एवं जनजातीय क्षेत्रों में विद्यार्थियों को घर-द्वार के समीप गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिये सरकार जहां शिक्षा के लिये वार्षिक बजट में हर वर्ष बढ़ौतरी कर रही है, वहीं अनेकों नये शिक्षण संस्थान खोले जा रहे हैं। प्रदेश में चालू वित्त वर्ष के दौरान शिक्षा क्षेत्र के लिये 5077 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। राज्य में सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत बुनियादी शिक्षा उपलब्ध करवाने के साथ-साथ स्कूल स्तर से ही बच्चों के कौशल विकास के दृष्टिगत विभिन्न रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम भी प्रदेशभर के स्कूलों में शुरू किए गये हैं। प्रदेश में कार्यान्वित किये जा रहे राष्ट्रीय व्यवसायिक शिक्षा योग्यता ढंाचा योजना, छात्राआंे के लिये आत्म-सुरक्षा योजना, आईसीटी योजना और स्वयं सिद्धम् जैसे कार्यक्रम विद्यार्थियों एवं शिक्षकों दोनों के ही समग्र एवं सतत् शैक्षणिक विकास में अपनी सार्थक भूमिका निभा रहे हैं। सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत शिक्षा गुणवत्ता में और सुधार लाने, छात्र-छात्राओं के कौशल उन्नयन के लिये नये व्यावसायिक पाठ्यक्रम आरंभ किए गए हैं और शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार युवाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत स्कूली स्तर पर ही इस विषय को प्राथमिकता प्रदान करते हुए विभिन्न सरकारी स्कूलों में विशेष पाठ्यक्रम शुरू किये जा रहे हैं। राज्य के विभिन्न स्कूलों में ‘राष्ट्रीय व्यवसायिक शिक्षा योग्यता ढंाचा योजना’ के अन्तर्गत विभिन्न रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों को आरम्भ किया गया है। योजना के तहत प्रदेश के 200 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा प्रारम्भ की गई है। इसके अन्तर्गत सात ट्रेड शामिल किए गये हैं, जिनमें आॅटोमोबाईल, स्वास्थ्य सेवा, आई.टी/आई.टी.ई.एस., रिटेल, सिक्योरिटी, पर्यटन और कृषि विषय शामिल हैं। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य के 300 अतिरिक्त स्कूलों में यह पाठ्यक्रम आरम्भ करने का लक्ष्य रखा गया है। शिक्षा की दृष्टि से पिछड़े खण्डों में छात्राओं के लिये ‘कौशल शिक्षा’ की व्यवस्था की गई है। इसके तहत उन्हें कम्प्यूटर, आत्मरक्षा एवं स्थानीय कला विषयों में शिक्षण-प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। योजना के तहत प्रदेश के पिछड़े खण्डों में अब तक 10 ‘कस्तूरबा गान्धी बालिका विद्यालय’ स्थापित किये जा चुके हैं। छात्राओं को ‘आत्म-सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के तहत हिमाचल प्रदेश पुलिस और गैर सरकारी संगठनों के साथ एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया है। इसके अन्तर्गत 96075 बालिकाओं को आत्मरक्षा के लिये प्रशिक्षित किया गया हैं। शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के दृष्टिगत राजकीय विद्यालयों में दाखिला लेने वाले सभी छात्रों को ‘आधार एवं अवसान आकलन सर्वेक्षण’ के तहत लाया गया है, ताकि एक शैक्षणिक सत्र में उनके अध्ययन स्तर की निगरानी की जा सके और उसमेें वांछित सुधार लाया जा सके। ‘सतत् व्यापक मूल्यांकन विधि’ से भी शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार आया है। राज्य के सभी स्कूलों में इसे लागू किया जा चुका है। इसी के चलते ‘राष्ट्रीय शैक्षणिक योजना एवं व्यवस्था विश्वविद्यालय’ द्वारा तैयार ‘शैक्षणिक विकास सूचकांक’ में प्रदेश को प्राईमरी व अप्पर प्राईमरी शिक्षा के संयोजन में चैथा स्थान हासिल हुआ है। सर्वशिक्षा अभियान के तहत प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर परामर्श एवं प्रेरणा शिविरों के आयोजन से स्कूलों से वंचित 4942 बच्चों को दोबारा स्कूलों में दाखिला दिलाकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा गया। इन शिविरों पर अभी तक 1.2 करोड़ रुपये खर्च किये गए हैं। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि प्रदेश में प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर ड्राॅप आउट दर मात्र 0.6 प्रतिशत तक सिमट गई है और अवधारण की दर 99.53 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। सरकार छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों से जोड़कर शिक्षा स्तर में सुधार और उन्नयन के प्रयास कर रही हैं। इसी कड़ी में प्रदेश के सूचना एवं संचार प्रोद्योगिकी (आईसीटी) की सुविधा वाले 628 स्कूलों में ‘स्वयं सिद्धम कार्यक्रम’ शुरू किया गया है। इसके तहत एक वैब पोर्टल तैयार किया गया है जिसके माध्यम से अध्यापक नौवीं से जमा दो कक्षा तक के किसी भी विषय से सम्बन्धित उन्हें पेश आ रही समस्याओं को अपलोड कर सकते हैं। उनके द्वारा उठाई गई समस्याओं का समाधान विशेषज्ञ अध्यापकों द्वारा किया जाता है। इससे अध्यापकों के समय की बचत होने के साथ ही उन्हें अपने विद्यालय प्रांगण में ही प्रशिक्षण की सुविधा उपलबध हो रही हैं प्रदेश के 1525 अन्य स्कूलों में भी इस योजना को आरंभ करने की प्रक्रिया जारी है। स्कूल के मुख्यध्यापकों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य उनमें नेतृत्व क्षमता का विकास, समय प्रबंधन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 का सही कार्यन्वयन, स्कूल प्रबंधन, प्रशासनिक प्रबंधन, लेखा मामलों, स्कूल प्रबंधन समितियों के क्रिया-कलापों और स्कूल के लिए विकास योजनाएं तैयार करना, पीएमआईएस और सूचना का अधिकार इत्यादि के बारे में उन्हें समग्र और अद्यतन जानकारी मुहैया करवाना है। अभी तक 250 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं के प्रधानाचार्यों को इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ा जा चुका है। प्रदेश सरकार के इन प्रयासोें का ही परिणाम है कि प्रदेश आज शिक्षा के क्षेत्र में देशभर में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित है और साथ ही रोजगारपरक शिक्षा एवं कौशल उन्नयन के क्षेत्र में भी अन्य राज्यों के लिये आदर्श के तौर उभर रहा है। जारीकर्ता, निदेशक सूचना एवं जनसम्पर्क, हिमाचल प्रदेश, शिमला।

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