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24th July 2014

प्रदेश के लोगांे के लिए राहत लेकर आई नई टी.डी नीति

प्रदेश के लोगांे को राहत देने के लिए राज्य सरकार ने इमारती लकड़ी आवंटन (टी.डी) नीति में संशोधन कर इसे जन आंकाक्षाओं के अनुरूप सरल और व्यावहारिक बनाया है। टी.डी नीति के जो नियम पहले निर्धारित थे, वे जटिल और समय बर्बाद करने वाले थे जिसकी वजह से आम जनता को असुविधा हो रही थी और नाममात्र अधिकारधारकों को ही इमारती लकड़ी का वितरण किया जा रहा था। इसके मद्देनज़र राज्य सरकार ने आम जनता के हित में नए नियम बनाने का निर्णय लिया। लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं के अनुरूप 26 दिसम्बर, 2013 को संशोधित हिमाचल प्रदेश वन (अधिकार धारकों को इमारती लकड़ी का वितरण) नियम, 2013 को अधिसूचित किया गया। नए नियमों में इमारती लकड़ी, उन अधिकार धारकों को मंजूर करने का प्रावधान किया गया है जिनके संबंधित वन बन्दोबस्त रिर्पोटों में अभिलिखित वास्तविक घरेलू उपयोग जैसे आवासीय मकान, गौशाला इत्यादि के निर्माण/रखरखाव अथवा मुरम्मत के लिए इमारती लकड़ी वितरण के अधिकार हैं। यदि अधिकार धारक ने अपनी निजी भूमि से वृक्षों का विक्रय किया है तो उसे दस वर्ष के लिए टी.डी का वितरण मंजूर नहीं किया जाएगा। यदि अधिकार धारक के पास एक से अधिक जगहऐसी भूमि उपलब्ध हो जिससे वह एक से अधिक स्थान पर इमारती लकड़ी प्राप्त करने की योग्यता रखे, ऐसी स्थिति में उसे दोनों स्थानों पर इमारती लकड़ी मंजूर की जाएगी, लेकिन दूसरे स्थान पर वृक्षांे का मूल्य दोगुना होगा। अधिकार धारक को भूमि का ब्यौरा देना होगा और दूसरे स्थान पर इमारती लकड़ी के वितरण के लिए आवेदन करते समय प्रथम स्थान पर भूमि के बदले पहले ही प्राप्त की गई इमारती लकड़ी की भी जानकारी देनी होगी। जबकि पुराने नियमों में केवल एक स्थान पर ही टी.डी. लकड़ी देने का प्रावधान था। ऐसे भू-स्वामियों, जिन्होंने अभिघृति और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118 के अधीन सरकार से अनुमति प्राप्त करने के पश्चात् भूमि खरीदी है, को उस आधार पर कोई इमारती लकड़ी का वितरण नहीं किया जाएगा। यह प्रावधान भूमि स्वामी द्वारा भूमि क्रय की तिथि को विचार में नहीं रखने पर किया गया है। अगर भूमि खरीद उपरोक्त नियमों के पूर्व की गई है, फिर भी टी.डी. का आबंटन नहीं किया जाएगा। इमारती लकड़ी का वितरण पंचायत रिकार्ड के अनुसार केवल परिवार के मुखिया को ही स्वीकृत होगा। इमारती लकड़ी केवल वास्तविक घरेलू प्रयोजनों के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले घर और गौशाला के निर्माण अथवा रख-रखाव के लिए मंजूर किया जाएगा। अधिकार धारकों का जिन वनों में इमारती लकड़ी वितरण अधिकार है अगर वहां वर्धकीय रूप में वन उपलब्ध न हों तो उन्हें इमारती लकड़ी मंजूर करने का प्रावधान नहीं किया गया है। हालांकि ऐसे मामले में अन्य वनों से वृक्षों के बाजार मूल्य की पचास प्रतिशत दर की वृद्धि पर दिए जा सकते हैं बशर्ते संबंधित वनों के अधिकार धारकों को कोई आपत्ति न हो। नई नीति के अनुसार, अधिकार धारकों द्वारा वन बन्दोबस्त रिपोर्ट में दर्शाए गए निर्माण, मुरम्मत या परिवर्तन के लिए इमारती लकड़ी के लिए अधिकारों का प्रयोग यथावत् जारी रहेगा। यह भी प्रावधान किया गया है कि अधिकार धारकों को टी.डी. अधिकार, वन संरक्षण में उनके सहयोग और सहभागिता के अनुरूप होगा। यदि कोई अधिकार धारक अपराधियों को पकड़ने, आग बुझाने के कार्य में अपने कत्र्तव्यों के निर्वहन में असफल रहता है या कोई वन अपराध करता है, तो उसका इमारती लकड़ी वितरण का अधिकार सोलह वर्ष के लिए निलम्बित कर दिया जाएगा। इसके अलावा अगर उसे इमारती लकड़ी वितरण मंजूरी का दुरुपयोग करता हुआ पाया जाता है तो भी उसके टी.डी अधिकार को सोलह वर्ष तक के लिए निलम्बित कर दिया जाएगा। नई टी.डी. नीति में मंजूर इमारती लकड़ी की मात्रा निर्धारित की गई है। पुराने नियमों के अनुसार टी.डी. परिवर्तित रूप में डिपो से दी जाती थी लेकिन अब अपरिवर्तित रूप में खड़े वृक्षों से स्वीकृत की जा रही है। नए आवास के निर्माण के लिए 7 घनमीटर लकड़ी स्थाई मात्रा में (खड़े वृक्ष) प्रदान की जा रही है जबकि पहले यह मात्रा 3 घनमीटर परिवर्तित आकार में निर्धारित थी। रख-रखाव (मुरम्मत) के लिए 3 घनमीटर, स्थाई मात्रा में (खड़े वृक्ष) टी.डी दी जा रही है जो पहले एक घनमीटर परिवर्तित आकार में निर्धारित थी। इमारती लकड़ी का वितरण गिरे हुए/सूखे खड़े वृक्षों से किया जा रहा है। यदि ऐसे वृक्ष उपलब्ध नहीं हों, तो केवल वर्घकीय रूप में (सिल्वीकल्चरली) उपलब्ध हरे वृक्षों से आवंटन किया जाएगा। अधिकार धारकों को नए भवन निर्माण के लिए 30 वर्षांे के बजाय पन्द्रह वर्षों में एक बार और रख-रखाव अथवा मुरम्मत के लिए 15 वर्षांे के बजाय अब पांच वर्षों में एक बार इमारती लकड़ी दी जाएगी। प्राकृतिक आपदाओं और अग्नि पीडि़तों के लिए उप-मण्डल अधिकारी (नागरिक) की सिफारिश और संबंधित सहायक अरण्यपाल/वन मण्डल अधिकारी द्वारा व्यक्तिगत सत्यापन के पश्चात् अधिकतम 7 घनमीटर से अधिक इमारती लकड़ी का वितरण नहीं किया जाएगा। प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त अधिकार धारकों को वृक्ष निःशुल्क दिए जाएंगे। नई नीति में देवदार के लिए 500 रुपये प्रति घनमीटर स्थाई मात्रा और अन्य प्रजातियों के लिए 250 रुपये प्रति घनमीटर स्थाई मात्रा की कीमत निर्धारित की गई है। मंजूर इमारती लकड़ी का उपयोग अधिकतम एक वर्ष के भीतर करना होगा लेकिन अगर वह ऐसा करने में असफल रहता है तो संबंधित वन मण्डलाधिकारी मामले की वास्तविकता के आधार पर समयावधि बढ़ा सकता है।

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