Feature
   

3rd May 2015

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बना रहा ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर प्रदेश की 50 हजार महिलाएं हो रही हैं लाभान्वित

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनएलआरएम) का उद्देश्य सभी गरीब परिवारों तक पहुंचना और सम्मानजनक एवं बेहतर जीवन यापन करने के लिय गरीबी से उभरने तक इनका पोषण करना है। हिमाचल प्रदेश में इस कार्यक्रम का प्रभावी कार्यान्वयन किया जा रहा है। राज्य में बीपीएल एवं गरीब परिवारों से लगभग 50 हजार महिलाओं को 9146 स्वंय सहायता समूहों के माध्यम से मिशन की मुख्यधारा में सम्मिलित किया गया है। मिशन का उद्देश्य गरीब परिवारों की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये उन्हें बार-बार वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाना है। गरीबी उन्मूलन के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये गरीब परिवारों की महिलाओं में सामाजिक संचेतना, संस्थागत और क्षमता निर्माण, वित्तीय समावेशन, संतृप्ति दृष्टिकोण, कौशल उन्नयन और सतत् आजीविका का सृजन करना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये प्रदेश में एनएलआरएम प्रथम अप्रैल, 2013 से कार्यान्वित किया जा रहा है। प्रथम चरण में यह कार्यक्रम राज्य के पांच विकास खण्डों क्रमशः कण्डाघाट, मण्डी सदर, नूरपुर, हरोली और बसन्तपुर में कार्यान्वित किया जा रहा है। शेष बचे विकास खण्डों में यह कार्यक्रम अगले चार वर्षों के दौरान प्रभावी तौर पर लागू किया जाएगा। प्रदेश के लिये केन्द्र सरकार ने कार्यक्रम आरम्भ होने से आज तक कुल 1492.11 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की है जिसमें से 333 लाख रूपये राज्य सरकार ने अपने हिस्सेदारी के तौर पर वहन किए है। प्रदेश में एनआरएलएम के अन्तर्गत आरम्भ में बीपीएल परिवारों की महिलाओं को सम्मिलित किया गया और बाद में अति गरीब एवं आंशिक तौर पर गरीब परिवारों की महिलाओं को भी शामिल किया गया है। इन समूहों में 70 प्रतिशत महिलाएं बीपीएल परिवारों से हैं जबकि 30 प्रतिशत मार्जनली गरीब परिवारों से शामिल की गई हैं। ग्रामीण स्तर पर इन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए गये हैं। स्वंय सहायता समूह में कम से कम 5 महिलाएं होना अनिवार्य है। 10 से 20 स्वयं सहायता समूहों के ग्राम संगठन बनाए गए हैं जबकि इतने ही ग्राम संगठनों की कलस्टर लेवल फेडरेशन बनाई गई हैं। प्रदेश में 16199 स्वंय सहायता समूहों का चयन करके इन्हें एमआईएस पोर्टल डाटा बेस मेें अपलोड किया गया है। स्वयं सहायता समूहों को आजीविका अर्जित करने एवं किसी भी प्रकार के व्यवसाय करने के लिये इन्हें बैंकों से सम्बद्ध करके सात प्रतिशत ब्याज पर ऋण प्रदान किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह को इसके सृजन के छः माह के पश्चात विभाग द्वारा रिवाॅल्विंग फंड प्रदान किया जा रहा है। रिवाॅल्विंग फंड तथा निजी बचत को मार्जिन मनी मानकर बैंक द्वारा प्रत्येक समूह को 2 से 3 लाख रूपये तक ऋण प्रदान कर रहा है। स्वंय सहायता समूह की उपलब्धियों के आधार पर यह ऋण बार-बार प्रदान किया जाता है और एक समूह को अधिकतम 10 लाख रूपये तक ऋण प्रदान किया जा सकता है। इसके लिये बैंको की उप समिति का गठन किया गया है। प्रदेश में अभी तक 6345 स्वंय सहायता समूहों को विभिन्न बैंको से सम्बद्ध करके 59.09 करोड रूपये के ऋण उपलब्ध करवाए गए हैं। इन समूहों को 2.97 करोड़ रूपये रिवाॅल्विंग फंड के रूप में विभाग द्वारा वितरित किये गए हैं। ऋण लेने वाली महिलाओं के समूह द्वारा एक वर्ष के भीतर ऋण की अदायगी करने पर ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट प्रदान की जा रही है, इस तरह महिलाओं को केवल चार प्रतिशत ब्याज ही देना पडे़गा। इस राशि को विभाग स्वंय वहन कर रहा है । स्वयं सहायता समूह की महिलाएं अपना कारोबार अच्छा चलने पर अन्य महिला जो स्वयं अपना व्यवसाय शुरू करना चाहती हो, को ऋण प्रदान कर सकती हैं। ऐसा करने से महिलाओं को स्वरोजगार अपनाने की सुविधा मिली है। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान स्वंय सहायता समूहों के संस्थानीकरण एवं क्षमता निर्माण पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। हि.प्र. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यान्वयन विकास खण्डों में गहन तरीके से कार्य किया जाएगा। गहन ब्लाॅक के सभी सक्रिय महिला स्वंय सहायता समहों के सदस्यों की पहचान की जाएगी ताकि वे स्वंय सहायता समूहों एवं ग्राम संगठन को आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिये आंतरिक सामुदायिक संसाधन व्यक्ति (सीआरपी) की जिम्मेदारी लेने के लिये सक्षम हों। कार्यक्रम के तहत प्रथम दो वित्त वर्षों के दौरान प्रदेश में स्वंय सहायता समूहों का गठन एवं उन्हें बैंको से सम्बद्ध करवाने पर विशेष बल प्रदान किया गया। अब चूंकि मिशन की मूल प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, इसलिये चालू वित्त वर्ष के दौरान मानव संसाधन सृजन के लिये मुख्य फोकस सामाजिक लामबंदी, संस्था एवं सामुदायिक निर्माण पर होगा। सक्रिय महिलाओं को आंतरिक सामुदायिक संसाधन के तौर पर विकसित किया जायेगा ताकि वे विभाग एवं बैंको पर निर्भर न रहकर सतत् आजीविका अर्जित करके पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकें।

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10419640

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox