पशु धन विकास ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग हैं। राज्य की कृषि प्रदान आर्थिकी में पशुधन का विशेष स्थान है। इसी के दृष्टिगत राज्य सरकार किसानों के मवेशियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के साथ दुधारू पशुधन के स्तरोन्यन तथा पशु स्वास्थ्य सेवा में सुधार लाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। पशुधन में बढ़ोतरी तथा दुध, ऊन तथा अण्डा आदि के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए किसानों को आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी व प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार राज्य में देसी नस्ल की गायों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। विभागीय पशु प्रजनन नीति के अनुसार पशु प्रजनन नीति में, रेड सिन्धी, साहिवाल, गिर तथा थारपारकर नस्लों के तृणो को शामिल किया गया है। हिमाचल प्रदेश पशुधन विकास बोर्ड के तहत साहिवाल नस्ल के 47123 तृण, रैक सिन्धी नस्ल के 79969 तृण तथा गिर नस्ल के उच्च गुणवत्ता वाले 1091 तृणो को बाहरी राज्य से क्रय किया गया है और विभागीय पशु चिकित्सा संस्थानों के माध्यम से प्रदेश के पशु पालकों को कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा प्रदान की जा रही है और अब तक विभाग द्वारा 118473 तृणो को बाहरी राज्य से खरीदा गया है।
आगामी दिसम्बर माह में कांगड़ा जिले के पालमपुर स्थित ई-फार्म केन्द्र में रैड सिन्धी, साहिवाल तथा थरपारकर नस्ल के वीर्य तृण तैयार किए जाने का कार्य आरम्भ कर दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार द्वारा दुधारू पशुधन के पंजीकरण का निर्णय लिया गया है। पंजीकरण के लिए 778000 नकुल स्वास्थ्य पत्र छपवाए गए हैं तथा इनका वितरण जिला कार्यालयों को आगामी कार्रवाई हेतु किया जा चुका है।
राष्ट्रीय विकास योजना के तहत वित्त वर्ष 2018-19 को विभाग की विभिन्न गतिविधियों के लिए 675.00 लाख रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार की गौवंश के संरक्षण व संवर्धन के प्रति अपनी कृतसंकल्पता इस बात से पता चलती है कि वर्तमान सरकार ने अपनी पहली मंत्रिमण्डल की बैठक में गौ-संवर्धन के लिए सुझाव देने हेतु एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति के गठन का निर्णय लिया और सरकार प्रदेश में ‘गौ सेवा आयोग’ के गठन के लिए प्रयासरत है, सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती व देसी गाय की नस्ल के सुधार के अनेक पग उठाए गए हैं और गौमूत्र आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय अनुदान दिया जा रहा है। वर्तमान गौ सदनों को सुदृढ़ करने तथा नए गौ सदनों को स्थापित करने के लिए स्थानीय लोगों, गैर सरकारी संस्थाओं, पंचायतों व मन्दिर न्यासों की भागीदारी प्रोत्साहित की जा रही है। मन्दिरों में चढ़ावे का 15 प्रतिशत गौ सदनों के रखरखाव व निर्माण पर खर्च किया जा रहा है। इस निर्णय से प्रतिवर्ष गौवंश के विकास के लिए 17 करोड़ रुपये उपलब्ध होंगे। इसके अलावा प्रदेश में बिकने वाली शराब की प्रति बोतल पर एक रुपये का गौवंश विकास ‘सैस’ लगाया गया है।
कांगड़ा जिला के इन्दौरा (डमटाल) में गौ सदन खोलने के लिए 3,55,28,320 रुपये की राशि मन्दिर न्यास से प्राप्त 15 प्रतिशत आय से स्वीकृत की गई है।
सिरमौर जिले के कोटला बड़ोग में 1.52 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले अभ्यारण्य की आधारशिला रखी गई। इसके बनने से क्षेत्र के आस-पास का पशुधन लाभान्वित होगा। जिला कांगड़ा, सोलन व मण्डी में चार नए गौ सदनों के निर्माण के 41,57,500 रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
राज्य में डेयरी, उद्यमी विकास योजना के तहत दुधारू पशुओं के खरीद पर दिए जाने वाले ऋण पर अनुदान के लिए इस वित्त वर्ष के दौरान 10 लाख रुपये की बजट का प्रावधान किया गया है। योजना के अन्तर्गत लाभार्थी को देसी गाय खरीदने पर 20 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है, जबकि अन्य नस्लों की गाय खरीदने पर 10 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान किया गया है।
इसके अतिरिक्त राज्य में मुर्गी पालन व भेड़ बकरी पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए ‘ब्रॉयलर फार्म योजना’ के तहत इस वर्ष के दौरान 50 कुक्कुट इकाई स्थापित करने के लिए 274.00 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। योजना के तहत अब तक विभिन्न जिलों में 33 इकाईयां स्थापित की जा चुकी हैं। इसके अलावा मुर्गी पालन योजना के तहत 90 लाभार्थियों का चयन किया जा चुका है।
राज्य में मेढ़ें वितरण योजना के तहत अनुसूचित जाति के भेड़ पालकों को 1041 मेढ़ें 60 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए गए हैं। बकरी वितरण योजना के तहत 60 प्रतिशत अनुदान पर 417 इकाईयां बांटने के लिए लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया जारी है।
पशुधन की स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरतें पूरा करने के लिए पिछले दस माह के दौरान दो नये पशु औषद्यालय खोले गये हैं, 8 पशु औषद्यालयों को स्तरोन्नत कर पशु चिकित्सालय बनाया गया हैं। एक पशु चिकित्सालय को स्तरोन्नत कर उपमण्डलीय पशु चिकित्सा बनाया गया है। 27 पशु चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती की प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई हैं।
प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से आने वाले समय में राज्य में गौवंश के संवर्धन व संरक्षण में सहायता मिलेगी और राज्य में देसी नस्ल की गायों को बढ़ावा मिलेगा।