Feature
   

28th October 2018

‘देव भूमि दर्शन’ योजना वृद्धजनों के सपनों को करेगी साकार

  • प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर से पर्यटन की ओर

प्रदेश में लगभग सात लाख वृद्धजन हैं और प्रदेश सरकार वृद्धजनों के कल्याण के प्रति संवेदनशील है। प्रदेश के 70 वर्ष से अधिक आयुवर्ग के वरिष्ठ नागरिकों को प्रसिद्ध स्थलों एवं मन्दिरों का भ्रमण करवाने के लिए देव भूमि दर्शननामक नई योजना आरम्भ की गई है। 80 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के नागरिकों को भ्रमण की यह सुविधा निःशुल्क प्रदान करने का प्रावधान किया गया है जबकि इससे कम आयु वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा पैकेज में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। 80 वर्ष से अधिक आयु वाले वृद्धजनों के साथ सहायक के तौर पर एक सदस्य को यात्रा की अनुमति होगी, जिसको किराए में 80 प्रतिशत की छूट होगी।

देव भूमि दर्शन योजना का मुख्य उद््देश्य समाज के इस संवेदनशील वर्ग को सामाजिक उपेक्षा तथा अकेलेपन से बचाने की दृष्टि से उन्हें धार्मिक स्थलों के भ्रमण के लिए सुगम एवं बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध करवाना है। वित्तीय बाधाओं तथा सुविधाओं के अभाव के कारण कई बार वरिष्ठ व्यक्ति ऐसी यात्रा करने में असमर्थ रहते हैं।

इस योजना से धार्मिक यात्रा के इच्छुक हिमाचली मूल के वृद्धजनों का यात्रा करने का सपना साकार हो सकेगा। इस योजना को सभी जिला मुख्यालयों में लागू किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक पात्र वरिष्ठ नागरिक इसका लाभ उठा सकें। योजना को लागू करने के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला समितियां बनाई जाएंगी जो योजना को कार्यरूप देने की अन्य औपचारिकताएं पूरी करेंगी।

यात्रा की अवधि लगभग एक सप्ताह की होगी तथा इस यात्रा का लाभ उठाने के लिए वृद्धजन की आय एक लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस योजना का लाभ केवल हिमाचली मूल के वृद्धजन ही उठा सकेंगे। इस यात्रा की सुविधा तीन वर्ष में एक बार ही उपलब्ध होगी। जिला भाषा अधिकारी को इस येजना का व्यापक प्रचार-प्रसार करने और नियमां के अनुसार इस योजना को समय पर अमल में लाने का जिम्मा सौंपा गया है।

इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार ने राज्य में प्राचीन सांस्कृति धरोहर के अनछूए पहलुओं के संरक्षण व संवर्धन तथा पर्यटकों को सांस्कृतिक धरोहर पर्यटन से जोड़ने के उददेश्य से ने आज पुरानी राहों सेनामक नई योजना आरम्भ की है। इस योजना के तहत प्रदेश के जमा दो पास युवाओं को यथायोग्य प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें सांस्कृतिक मार्गदर्शन नियुक्त किया जाएगा ताकि वे पर्यटकों को प्रदेश की संस्कृति, इतिहास, स्थल की महत्वता तथा लोक गाथाओं और प्रचलित मान्यताओं के बारे अच्छे से बता सकें। इस योजना से जहां युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, वहीं पर्यटन गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। यह प्रदेश सांस्कृतिक, ऐतिहासिक एवं पुरातत्व धरोहर का खज़ाना माना जाता है।

इस योजना के क्रियान्वयन के लिए भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय सांस्कृतिक परिधि समिति गठित की गई है जिसमें विभाग के निदेशक के सदस्य सचिव बनाया गया है। जिला स्तरीय पर यह दायित्व जिलाधीश को सौंपा गया है ताकि जिला स्तर पर स्मारकों व स्थालों का चयन करके उन्हें इस योजना में शामिल किया जा सके। स्मारकों के चयन में स्थानीय विधायकों तथा ट्रैवल एजेंटों, टूअर ऑप्रेटरों तथा होटल संगठनों के सुझावों पर भी ध्यान दिया जाएगा।

इस योजना का मुख्य उददेश्य हर जिले में विलुप्त सांस्कृतिक विरासत को पुर्नजीवित करना, महान व्यक्तियों व स्मारकों, पुरात्तत्व दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों का इतिहास व नक्शे सहित संकेतक पटि््टकाएं लगाना, होम-स्टे योजना को प्रोत्साहित करना तथा युवाओं को मार्गदर्शन के रूप में रोजगार के अवसर प्रदान करना है।

.0.

You Are Visitor No.हमारी वेबसाइट में कुल आगंतुकों 10413785

Nodal Officer: UC Kaundal, Dy. Director (Tech), +919816638550, uttamkaundal@gmail.com

Copyright ©Department of Information & Public Relations, Himachal Pradesh.
Best Viewed In Mozilla Firefox