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26th April 2015

बागवानों के लिए बड़ी राहत है मौसम आधारित बीमा योजना,प्रदेश के सभी खण्डों में योजना लागू

हिमाचल की आर्थिकी में महत्वपूर्ण है बागवानी। प्रदेश सरकार इसके संवर्द्धन और उन्नयन के लिए कृतसंकल्प है। सेब और आम की फसलों को मौसम से हुए नुकसान के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने फल उत्पादकों को राहत देने के लिए पायलट आधार पर मौसम आधारित फसल बीमा योजना आरम्भ की है। गत दो वर्षों के दौरान प्रदेश के 1,06,113 बागवानों को इस बीमा योजना के अन्तर्गत लाया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा नुकसान की भरपाई के लिए बीमा कंपनियों को प्रीमियम के लिए 25 प्रतिशत अनुदान के रूप में 12.33 करोड़ रुपये अदा किए। प्राकृतिक आपदाओं से फलों की फसलों को हुए नुकसान की एवज में सरकार द्वारा 9.14 करोड़ रुपये की राशि आपदा राहत योजना के अन्तर्गत जारी की गई है, जो अब तक की सबसे अधिक राशि है। इससे बागवानों को विभिन्न सामग्री उपदान दर पर प्रदान की गई है। वर्ष 2013-14 के दौरान 1,26,14,524 सेब के पेड़ों का बीमा करवाने वाले 64,782 बागवानों को मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत लाया गया है। इसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रीमियम का 25 प्रतिशत भाग लगभग 6.17 करोड़ रुपये वहन किया गया। वर्ष 2013-14 में इस योजना के अन्तर्गत 8.14 करोड़ रुपये से अधिक के दावों से बागवानों को लाभान्वित किया गया । वर्ष 2014-15 में रबी मौसम के दौरान इस योजना के अन्तर्गत सेब फसल के लिए 17 विकास खंडों से बढ़ाकर 35 तथा आम के 42 खंडों को इस योजना के दायरे में लाया गया, इसके अतिरिक्त 14 खंडों में नींबू प्रजाति, 12 विकास खंडों में पल्म और 4 विकास खंडों में आड़ू की फसल को भी योजना के अन्तर्गत लाया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 में राज्य के सभी विकास खंडों में बीमा योजना का विस्तार किया गया है। वर्ष 2014-15 में रबी मौसम के दौरान इस योजना के अन्तर्गत शिमला, कुल्लू और मंडी जिलों में ओलावृष्टि के लिए ‘एड-आॅन/इंडेक्स प्लस योजना’ क्रियान्वित की जा रही है। किसानों द्वारा इस रबी सीजन के लिए मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत पहले से ही बीमा करवाई गई सेब की फसल को भी एड-आॅन/इंडेक्स कवर के अन्तर्गत लाया जाएगा। इस रबी मौसम के लिए ओलावृष्टि एड-आॅन कवर के लिए भारतीय कृषि बीमा कंपनी, एच.डी.एफ.सी. एग्रो और आई.सी.आई.सी.आई लोम्बार्ड कार्यान्वयन एजेंसियां होगी। शिमला जिले में एडआॅन इंडेक्स योजना के अन्तर्गत ओलावृष्टि के लिए ठियोग, जुब्बल, कोटखाई, चैपाल, चिड़गांव, रोहड़ू, ननखड़ी, रामपुर, नारकंडा, मशोबरा और बसंतपुर को फसल बीमा योजना के अधीन लाया गया है। इसी तरह कुल्लू जिले में कुल्लू, नग्गर, आनी, बंजार और निरमंड तथा मंडी जिले में करसोग और जंझैली क्षेत्रों को भी योजना के अधीन लाया गया है। इसके अलावा 5 से 15 वर्ष की आयु श्रेणी वाले फलदार पौधों के लिए एड-आॅन इंडेक्स के तहत प्रति पेड़ 115 रुपये बीमा किया गया है जबकि 15 से 40 वर्ष आयु श्रेणी में प्रति पेड़ 230 रुपये का बीमा किया गया है। इसके तहत कुल प्रीमियम के 50 प्रतिशत की आदायगी बीमित बागवान द्वारा की जाएगी जबकि शेष 50 प्रतिशत प्रीमियम का वहन केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा 50ः50 के अनुपात में किया जाएगा जबकि वर्तमान रबी मौसम के दौरान मौसम आधारित फसल बीमा योजना के एड-आॅन इंडेक्स प्लस कवर के तहत सेब उत्पादकों द्वारा 5 से 15 वर्ष आयु श्रेणी में प्रति पेड़ 6.90 रुपये और 15 से 40 वर्ष आयु श्रेणी में 13.80 रुपये का प्रीमियम का भुगतान किया जाएगा। ओलावृष्टि के लिए एड-आॅन कवर के तौर पर 10 अप्रैल 2015 से 30 जून 2015 की बीमा अवधि निर्धारित की गई है। एड-आॅन कवर केवल उन्हीं बागवानों के लिए उपलब्ध है जिन्होंने वर्ष 2014-15 रबी मौसम के दौरान मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत अपनी सेब की फसल का बीमा करवाया है। इसके साथ-साथ यह ऋण लेने और ऋण न लेने वाले दोनों वर्गों के किसानों के लिए स्वैच्छिक है। एड-आॅन कवर के लिए मौसम आधारित बीमा योजना के अन्तर्गत बीमित पेड़ों की संख्या के निरपेक्ष बागवानों को सेब के पेड़ों को दो आयु श्रेणियों में बीमित करना होगा। एड-आॅन कवर के लिए सेब के पेड़ों के आंशिक बीमा की अनुमति नहीं होगी। इस कवर का लाभ लेने के इच्छुक सभी किसानों के लिए बैंक खाते का होना अनिवार्य है जहां वे प्रीमियम और प्रस्ताव प्रस्तुत करेंगे। सभी शर्तों को पूरा करने वाले बागवान इसका लाभ लें पाएंगे तथा बैंक शाखाएं, बीमा मध्यस्थी बागवानों से प्रस्ताव प्रतिवेदन स्वीकार करने से पूर्व उपरोक्त शर्तों की अनुपालना सुनिश्चित बनाएंगी। मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत एड-आॅन/इंडेक्स कवर प्रत्येक बागवान को हुए नुकसान के आक्कलन पर आधारित होगा। बीमित सेब की फसल को ही ओलावृष्टि से हुए नुकसान पर जोखिम छत्र के अधीन माना जाएगा। ओलावृष्टि या बादल फटने के कारण हुए नुकसान का आक्कलन व्यक्तिगत फार्म स्तर पर एक संयुक्त दल द्वारा किया जाएगा। इस दल में बागवानी, राजस्व विभाग, बीमा कंपनी द्वारा तैनात नुकसान आकलनकर्ता केन्द्र सरकार और सम्बन्धित एजेसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। नुकसान का आकलन सामान्य फसल के नुकसान प्रतिशतता के आधार पर किया जाएगा। बागवानों को उनके दावों का भुगतान बीमित राशि के अनुपात में हुए नुकसान के आधार पर किया जाएगा। दावों का भुगतान सर्वेक्षण रिपोर्ट और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर सम्बन्धित नोडल बैंकों को किया जाएगा। नोडल बैंक इसे आगे किसानों के बैंक खातों में जमा करेंगे। कार्यान्वयन एजेंसियां बैंकों को कुल एकत्र प्रीमियम के चार प्रतिशत की दर से सेवा कर का भुगतान करेंगी।

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