हिमाचल प्रदेश की आर्थिकी में कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का लगभग 10 प्रतिशत योगदान है। राज्य में 5.42 लाख हैक्टेयर क्षेत्र पर कृषि की जा रही हैं। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं ताकि प्रदेश में कृषि उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ किसानों की आर्थिकी भी सुदृढ़ हो सके। प्रदेश की जलवायु बे-मौसमी फसलों विशेषकर बे-मौसमी सब्जियों को उगाने के लिए काफी उपयोगी है तथा प्रदेश सरकार द्वारा बे-मौसमी सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 2017-18 में 78.680 हैक्टेयर क्षेत्र में सब्जी की खेती की गई, जिसमें 16,91,564 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018-19 के बजट में कृषि के लिए 688 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश में कृषकों की आय बढ़ाने के लिए फसल विविधिकरण पर बल दिया जा रहा है। वर्तमान में राज्य के पांच ज़िलों में 300 करोड़ रुपये की लागत से ‘जीका’ फसल विविधिकरण योजना लागू की गई है। राज्य सरकार द्वारा शून्य लागत खेती के अंतर्गत प्राकृतिक खेती-खुशहाल किसान योजना आरम्भ की गई है, जिसके अंतर्गत किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। गौशालाओं को पक्का करने, गौमूत्र व गोबर एकत्रित करने के लिए गौशालाओं में जरूरी प्रावधान व व्यवस्था करने के लिए 80 प्रतिशत का उपदान दिया जा रहा है। प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले आदान (इनपुट) बनाने के लिए किसानों को ड्रमों पर 75 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक खेती में काम आने वाले आदानों की आपूर्ति के लिए प्रत्येक गांव में प्राकृतिक संसाधन भण्डार खोलने के लिए 50 हजार रुपये तक की सहायता का भी प्रावधान किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा वर्तमान वित्त वर्ष के लिए इस योजना पर 25 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को उपदान दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने के लिए कृषि यंत्रीकरण कार्यक्रम आरम्भ किया गया है, जिसके अंतर्गत वर्ष 2018-19 में प्रदेश के किसानों को ट्रेक्टर खरीदने पर 50 प्रतिशत के उपदान का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार पावर टीलर खरीदने पर भी 50 प्रतिशत के उपदान का प्रावधान किया गया हैं। वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान कार्यक्रम के तहत 20 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने तथा सिंचाई के अंतर्गत और अधिक क्षेत्र लाने के लिए सौर सिंचाई योजना आरम्भ की गई है। योजना के अंतर्गत सौर पम्पों से सिंचाई हेतु लघु एवं सीमान्त वर्ग के किसानों को व्यक्तिगत रूप से पम्पिंग मशीनरी स्थापित करने के लिए 90 प्रतिशत तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है जबकि मध्यम तथा बड़े वर्ग के किसानों को पम्पिंग मशीनरी लगाने के लिए 80 प्रतिशत की आर्थिक सहायता दी जा रही है। सामुदायिक स्तर पर पम्पिंग मशीनरी लगाने के पर शत प्रतिशत भार सरकार द्वारा वहन करने का प्रावधान किया गया है। योजना के अंतर्गत एक से 10 हॉर्स पावर के सौर पम्प लगाए जा रहे हैं। योजना के तहत पांच वर्षों के लिए 200 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। एक अन्य योजना जल से कृषि को बल भी आरम्भ की गई है। योजना के अंतर्गत किसानों को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाने के लिए चैकडेम व तालाबों का निर्माण किया जा रहा है। इस योजना के तहत इस वित्त वर्ष के लिए 40 करोड़ रुपये का तथा आगामी पांच वर्षों के लिए 250 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।
राज्य सरकार द्वारा ‘प्रवाह सिंचाई योजना’ भी आरम्भ की गई है, जिसके अंतर्गत प्रदेश में कूहलों के स्त्रोतों का नवीकरण एवं सामुदायिक क्षेत्रों में कूहलों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा योजना के तहत व्यक्तिगत स्तर पर बोरवैल तथा कुओं के निर्माण के लिए 50 प्रतिशत की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। योजना के लिए इस वर्ष 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। किसानों की फलसों को जंगली व आवारा पशुओं से बचाने के लिए राज्य में ‘मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना’ आरम्भ की गई है, जिसके तहत किसानों को सौर ऊर्जा से संचारित बाड़ लगाने के लिए 80 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है जबकि तीन या इससे अधिक किसानों को सामूहिक रूप से बाड़ लगाने के लिए 85 प्रतिशत की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत 687 किसान लाभान्वित हुए हैं। वर्ष 2018-19 में योजना के तहत 35 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा सुरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए पॉलीहाउस निर्माण पर विशेष बल दिया जा रहा है। सरकार द्वारा मुख्यमंत्री ग्रीन हाउस नवीनीकरण योजना आरम्भ की गई है। योजना के अंतर्गत पांच वर्ष के पश्चात या प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त होने वाले पॉलीशीट को बदलने के लिए प्रदान की जा रही अनुदान राशि को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत किया गया है। योजना के तहत इस वर्ष तीन करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
प्रदेश सरकार के कृषि को बढ़ावा देने तथा किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए किए गए प्रयासों से वर्ष 2022 तक प्रदेश में किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।